मुझे लगता है सरकार को एक बिल ड्राफ्ट करके उसे पास करवा देना चाहिए और उसमे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सारा मीडिया सुबह से लेकर शाम तक सरकार की भजन कीर्तन करती रहे| ठीक वैसे ही जैसे पहले राजा महराजा के महल में दरबारी जी हजुरी लगाया करते थे| NDTV से सम्बंधित क्या केस है उसपर बाद में बातें करेंगे| इसके लिए कानूने है, संविधान और न्यायपालिका है जो इसपर अपना फैसला देगा| लेकिन एक पैटर्न है जिस पर गौर फरमाना बेहद जरूरी है| आखिर सीबीआई रेड एकतरफा ही क्यों हो रहा है? क्या एक पक्ष जो सरकार में है उसको छोड़कर सभी लोग भ्रष्ट है? ऐसा दावा तो अब तक सिर्फ केजरीवाल साहब ही किया करते थे|
लेकिन हरकतों को देखकर यही लगता है कि सरकार अप्रत्यक्ष रूप से यही कहना चाहती है और अपने समर्थकों को खुश करना चाहती है जो लम्बे समय से कुछ बहुत ख़ास ना हो पाने से मायूस रहे है| हम किसी भी संस्था को लेकर सेंसिटिव हो जाते है और उसको अंतिम सत्य के बराबर आकने की भूल करने लगते है| चाहे बात जुडिशल अपॉइंटमेंट के मसले की बात हो या फिर सीबीआई पर| असैवंधानिक हरकते हर जगह संभव है|
कुछ साल पहले 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने इसी सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था| कांग्रेस ने अपने मुताबिक सीबीआई का भरपूर उपयोग किया था| मुझे पता नहीं कि वो तोता अभी भी पिंजरे में बंद तोता ही है या फिर आजाद हो गया? देश के नियम और कानून ऐसे बने है अगर पूरा का पूरा 100% जमीन पर लागु कर दिया जाए तो शायद ही कोई बचे जो आरोप से बच पाए| आपको पता होगा कि मुंबई हमले के दोषी अजमल कसाब पर आतंकवाद और नरसंहार का केस तो थे ही इसके अलावां ऐसे केस भी थे जिसे सुनकर हँसी आएगी| बिना प्लेटफोर्म टिकेट के प्लेटफार्म पर जाने का भी केस लगाया गया था|
आप ही सोचों कि कोई फिदायीन प्लेटफोर्म टिकेट लेकर आएगा क्या हमले करने के लिए| जिस तरह का घिनौना कृत्य किया था उसके मुकाबले प्लेटफार्म टिकेट वाला केस चींटी समान था लेकिन फिर भी लगाया गया है न| इसलिए हर स्टेप पर कानून का प्रावधान हमारे संविधान में किया गया है| इसलिए उस आरोप का क्या वास्तविकता है और किस प्रकृति का केस है इस पर न्यायिक फैसला आना बाकी है|
अभी केस NDTV के मालिक प्रणव पर बैंक से धोखाधड़ी का है| लेकिन बातें उनके पत्रकारों पर शिफ्ट हो जाती है और उनके करैक्टर पर सिर्फ इसलिए बातें होती है क्युकी वो सरकार से सवालें करते है| आखिर पत्रकारिता का सिधांत भी तो यही है कि वो सरकार से निरंतर तीखे सवाल पूछते रहे बजाए सुबह शाम भजन कीर्तन करने के| ऐसे में कोई देशद्रोही कैसे हो सकता है जो मीडिया के सहारे सवालें पूछता हो? क्या सरकार से मीडियाकर्मी का सवाल पूछना देशद्रोह है? एह एक धोखाधड़ी का आरोप मात्र है जिसे प्रूफ होना अभी बाकी है|
ऐसे तो जीटीवी जी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी और जी बिजनेस के संपादक समीर अहलूवालिया पर कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल ने एक स्टिंग ऑपरेशन की सीडी जारी कर आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी के खिलाफ खबर रुकवाने के लिए सुधीर चौधरी और समीर अहलुवालिया ने उनसे सौ करोड़ रुपए मांगे थे| फिर उनपर देशद्रोह की बातें तो नहीं हुई| उनका मामला सिर्फ भ्रष्टाचार और महज केस तक ही सिमित रह गया| उसी सुधीर चौधरी को सत्ता में आने के बाद सरकार उन्हें अधिकारी स्तर की सिक्यूरिटी देती है क्युकी उनका एनालिसिस एकतरफा होता हैऔर इनका म्यूजिक एक पक्ष को सुकून देता है|
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने बैंक से धोखाधड़ी के मामले में प्रणॉय रॉय (न्यूज चैनल NDTV के को-फाउंडर और एग्जिक्यूटिव को-चेयरपर्सन) के घर छापा मारा था| छापा मारना कोई दिक्कत की बात नहीं है, बल्कि दिक्कत की बात यह है कि वो सोशल मीडिया और चौराहों पर दोषी ठहराए जा चुके है और उनका चैनल देशद्रोही साबित किया जा चूका है जो की दुर्भाग्य की बात है| सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि लगभग सारे राजनितिक पार्टियों ने ट्रोल इंडस्ट्रीज खोला हुआ है जहाँ पर गलत फैक्ट को आधार बनाकर मनगढंत कहानियां बनाई जा रही है जिससे लोगों को सेंसिटिवाइज किया जा सके|
सीबीआई ने कोई भी दस्तावेज पब्लिक नहीं किया है| लेकिन कुछ ऐसे मेसेज गढ़कर अफवाहे फैलाई जा रही है कि सीबीआई को उनका जन्म प्रमाण पत्र मिला है जिसमे यह दावा किया जा रहा है उनका नाम परवेज राजा है और उनका जन्मस्थली कराची है| यह कोरा झूठ के अलावां कुछ भी नहीं है| लोगों को ऐसे फैक्ट्स पर बिल्कुल विश्वास नहीं करना चाहिए| उनका जन्म राजस्थान में हुआ था|
एकबार फिर एक मीडिया हाउस जो हमेशा तीखी सवालें पूछती रहती है उसे घेरने के लिए पाकिस्तान का सहारा लिया गया| मुझे यह समझ नहीं आता कि आखिर लोगों को पाकिस्तान के नाम पर क्यों हर चीज के लिए लामबंद किया जाता है| प्रणॉय के बर्थ-सर्टिफिकेट पर कराची लिखा भी होता, तो क्या किसी को क्यों तकलीफ है? भगत सिंह, लालकृष्ण आडवाणी, रामजेठ मलानी, भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गुलजार भी पाकिस्तान में पैदा हुए थे| उसी पाकिस्तान को भारत में ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा दिया हुआ है| वहाँ से नमक, कपास, प्याज आता है| अच्छा ख़ासा कारोबार चलता रहा है|
यही नहीं उस व्हात्सप्प मेसेज में एक और चीज का दावा किया गया है कि उनकी पत्नी राधिका का असली नाम राहिला है और उनके दादाजी बाबर की सेना में रोसईया थे| यह भी कोरा झूठ के अलावां कुछ भी नहीं है| यहाँ पर लोगो को थोडा दिमाग से सोचना चाहिए कि आखिर यह कैसे संभव हो सकता है? 1483 में पैदा हुए बाबर का 1530 में देहांत हो गया था| अगर राधिका के दादा बाबर की सेना में रसोइए थे, तो जरूर 400 साल से ज्यादा जिए होंगे, वरना राधिका 1949 में कैसे पैदा होतीं|
बात धोखाधड़ी की चल रही थी लेकिन ये व्यक्तिगत हमले क्यों हो रहे है? ठीक है जो भी होगा उसके लिए न्यायलय है वो इसपर अपनी कार्यवाई करेगी| लेकिन ऐसे एक पब्लिक मास द्वारा न्यायलय के पहले फैसला देना और व्यक्तिगत स्तर पर हमले करना कहाँ तक उचित है| इसमें सरकारें शामिल है| उनलोगों के फण्ड पर ही ऐसे इंडस्ट्रीज का निर्माण होता है जो लोगों को बहका सके| पहले यह माना जाता था कि भाषण से अनपढ़ लोगों को और अख़बार के लोबिस्ट से पढे-लिखे लोगों को गुमराह किया जाता है| लेकिन अब समय बदला है सुचना क्रांति की दौर में तकनीक का सहारा लेकर लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है|
फुल टाइम बॉडी है जो ऐसे मेसेज तैयार करते है| शाम को जब ऑफिस से लोग वापस घर आते है और व्हात्सप्प मेसेज देखते है तो उनमें देशप्रेम जग जाता है और बाबर और पाकिस्तान के नाम पर खून खौलना शुरू हो जाता है| बिना सोचे समझे मेसेज को फॉरवर्ड करते है और इस तरफ से वर्म की तरह यह गलत तथ्य तमाम लोगों के बीच फैलता चला जाता है| यही प्रक्रिया है| इसी गलत तथ्य पर लोग लामबंद होकर एक विचार बनाते है जिसे हम सिविल सोसाइटी का उभरता विचार मानने लगते है| लोगों को यह समझना चाहिए और भीडतंत्र में शामिल होने से बचना चाहिए|
ऐसी बातें करने वाले और ‘देशद्रोह’ का प्रणाम बाटने वाले लोगों में नब्बे से ज्यादा प्रतिशत लोग ऐसे है जिन्हें यही नहीं मालूम होगा कि केस क्या है? सीबीआई का दावा है कि आरआरपीआर होल्डिंग्स ने जनता से एनडीटीवी के 20 फीसद शेयर खरीदने के लिए इंडियाबुल्स प्राइवेट लिमिटेड से कथित तौर पर 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था| सीबीआइ का आरोप है कि आरआरपीआर होल्डिंग्स ने इंडिया बुल्स का उधार चुकाने के लिए आइसीआइसीआइ बैंक से 19 फीसद सालाना की दर से 375 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था| एनडीटीवी के प्रमोटरों ने एनडीटीवी में अपने तमाम शेयरों को गिरवी रखकर आइसीआइसीआइ बैंक से यह कर्ज लिया था|
जांच एजंसी के मुताबिक शेयर गिरवी रखे जाने की बात सेबी, स्टॉक एक्सचेंजों और सूचना व प्रसारण मंत्रालय को नहीं बताई गई| यह आरोप है अभी प्रूफ होना बाकी है| लेकिन यह ऐसा भी केस नही है कि उस चैनल को देशद्रोही साबित किया जा सके| लगभग सारे कारोबारी शेयर की चोरी करते है जैसे लोग टैक्स की चोरी करते है| मै जस्टिफाई बिल्कुल नहीं कह रहा| जो गलत है उसे सजा मिलनी चाहिए|
मुझे चिंता बस इस बात की है कि डिबेट मेन स्ट्रीम से बार बार शिफ्ट क्यों होती है? ऐसे उद्योगपति जो देश से कर्जा लेकर लन्दन में जाकर बैठे है और चैम्पियनस ट्राफी का लुफ्त उठा रहा है और हमारी सरकार कुछ नहीं कर पा रही है| यह चर्चा से परे सिर्फ इसलिए रहता है क्युकी वो कभी इसी पार्टी का राज्यसभा का सांसद रहा है या किसी भी तरह से संबध रहे है| कार्यवाई सभी पर समान रूप से होनी चाहिए| यही नहीं जो सरकारें अपने आप को शुद्ध साबित करती रही है वो खुद अपनी पार्टी फंडिंग को पब्लिक करने से डरती है|
आज भी इसे RTI से दूर रखा गया है| अगर सच में एक मत है तो इसे RTI के दायरे में ला दिया जाए| कम से कम पता तो चले कि कौन वो दानवीर कर्ण है इतना पैसा दान करता है कि लोकसभा की रैलियां करने के लिए 7 हजार करोड़ रूपए पार्टी फण्ड में आ जाते है| इस बात की भी चिंता है कि जो लोग अपनी खुद का टैक्स नहीं भरते वो पानी पी करके कोसते है, व्यक्तिगत हमले से भी नहीं चुकते है और झूठे मेसेज पर जज्बाती होकर देशद्रोह का प्रमाण क्यों देने लगते है| यह केस टैक्स चोरी से बिल्कुल अलग नहीं है| इस हिसाब से तो देश की एक बड़ी जनता देशद्रोही हो जाएगी|
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