पाकिस्तान से रिश्ते सुधारना इतना भी आसान नहीं

Dial down the FREE Subscription for premium content. How to Add Subscribe Button on YouTube Videos (Subscribe Button PNGs)

भारत ने जब-जब एक अच्छे रिश्ते के लिए पहल करने की कोशिश की है उसके एवज में हमें घुसपैठ और आतंकवाद के रूप में झेलना पड़ा है| यह एक प्रकार का पैटर्न रहा है| पार्लियामेंट अटैक, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, मुंबई अटैक, पठानकोट अटैक और उरी अटैक इसके पैटर्न के हिस्सा रहे है| जहाँ तक मै समझता हूँ पाकिस्तान के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है राष्ट्रिय स्तर पर वहाँ दो समूह है| पहला समूह है वहाँ कि आम जनता और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार|

ये लोग अपने देश को अच्छे राष्ट्र के रूप जरूर देखना चाहते होंगे जहाँ चैन से अपनी जीवन यापन कर सके| दूसरा समूह है वहाँ कि आर्मी, आई.एस.आई. और कट्टरपंथी समूह जो अक्सर सीमा पर घुसपैठ किया करते है| इनका मकसद यह रहता है कि जो असमानताएं बनी हुई है दोनों मुल्को के बीच उसे बरक़रार रखी जाए| दुर्भाग्य की बात यह है कि दूसरा समूह जितना मजबूत है उतना ही पहला समूह कमजोर|

अगर हम ध्यान से दोनों मुल्कों को देखे तो पाएंगे कि हम हर एंगल से एक दुसरे से जुड़े हुए है| उदहारण के तौर पर हम भाषाई और सांस्कृतिक लहिजा से बेहद जुड़े है| पाकिस्तान में बॉलीवुड की फिल्मे  लोग पसंद करते है| यहाँ तक कि शादी के रस्म-रिवाज सब लगभग पर्याय है| भौगोलिक रूप से भी काफी जुड़े हुए है| भारत और पाकिस्तान का डायरेक्ट जुडाव है| लाहौर से अमृतसर को जोड़ने वाली जी.टी. रोड का द्वार बाघा बॉर्डर पर स्तिथ है| हमारे बातचीत करने का लहिजा एक है|

हम एक दुसरे के पूरक हो सकते थे| लेकिन अंतराष्ट्रीय सियासत ने ऐसा माहौल बनाया हुआ है जिससे यह सब बहुत मुश्किल सा लगता है| व्यापार को लेकर जब भी जापान के संबध में बातें होती है तो वहाँ सबसे बड़ी चुनौती हमारे पास होता है उनकी भाषा| वहाँ के लोग उत्पादित वस्तुओं को उसी के भाषा में चाहते है और उनकी डिमांड और लोगो के अपेक्षाकृत बिल्कुल अलग प्रकार की होती है| इसलिए सामान्यतः यह मानकर चला जाता है कि जापान हमारे लायक बाजार नही है| लेकिन जो हमारे पास में है उसपर हमारे छोड़कर सबका अधिकार रहा है|

अपने यहाँ क्या होता है कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार पूरी विमर्श करने के बाद आर्मी को आदेश देती है| वहाँ दूसरा समूह जिसमे कट्टरपंथी समूह के अलावां वहाँ की आर्मी भी है वो सरकार को आदेश देती है कि प्रेस में या यु.एन. में क्या पक्ष रखना है| नवाज शरीफ के यु.एन. का भाषण एक जीता जागता प्रमाण है| पकिस्तान के पूर्व एयर मार्शल असगर खान (जिन्हें पाकिस्तानी एयरफोर्स के पिता के रूप में जाना जाता है) ने अपने एक इंटरव्यू में यहाँ तक कहा कि पकिस्तान को भारत से कोई डर ही नहीं है|

See also  लोकतान्त्रिक नजरिए से EVM सबसे बेहतर विकल्प

वो इंटरव्यू अभी भी यू-ट्यूब पर उपलब्ध है| उसके पीछे वो कारण देते है कि चार बड़े युद्ध हुए है उन सब में पहल पकिस्तान ने ही की है| वो हर युद्ध के लिए पकिस्तान को जिम्मेदार मानते है| उनकी लिखी लेखें अखबारों में भी नहीं छपती| यहाँ तक कि रिकॉर्ड किया गया इंटरव्यू भी प्रसारण नहीं किया जाता| इसके अलावां तीसरा प्रमाण बेनजीर भुट्टो का सरेआम दिन दहाड़े मर्डर| ऐसे बहुत सारे प्रमाण है जो यह सिद्ध करता है कि दूसरा समूह किस हद तक मजबूत है|

हमारे देश का एक बड़ा तबका युद्ध के लिए ललकार रहा है इससे नुक्सान हमारा तो है ही साथ में पाकिस्तान के पहले समूह का भी बहुत बड़ा नुक्सान है जो ऐसे घिनौने कृत्यों के लिए दोषी नहीं है| सैधांतिक तौर पर हमारा लक्ष्य तो दूसरा समूह होगा लेकिन लेकिन हानि पहले समूह की होगी| ना सिर्फ सोशल मीडिया बल्कि मेन स्ट्रीम मीडिया के लोग भी भारत पाकिस्तान युद्ध के लिए ललकार रहे है| दिन भर भारत पाकिस्तान के पास कितने हथियार है इसका विश्लेषण करते रहते है| मानो ऐसा हो रहा है जैसे बस अब निकलने ही वाले है| स्वाभाविक सी बात है कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य सेना में नहीं होगा|

इसलिए सोशल अस्सेमेंट के बारे में भी उन लोगो को अंदाजा नहीं होगा| कंप्यूटर पर वार वाला गेम और वास्तविक वार में जमीन आसमान का अंतर होता है| मुझे कोई अनुभव तो नहीं है लेकिन इतिहास बहुत डरावना रहा है| चाहे बात विश्व युद्ध की करे, चाहे वियतनाम और हिरोशिमा और नागासाकी वाला जापान युद्ध की| अगर सच में युद्ध से ही हल निकलना होता तो अब तक भारत-पाकिस्तान के बीच चार बड़े युद्ध हो चुके है| अब तक तो हल आ जाना चाहिए था?

युद्ध किसी भी देश को आर्थिक पायदान पर कम से कम 20 साल पीछे धकेलती है| हो सकता है कि अगर युद्ध होता है तो रुपया कमजोर होकर सौ रुपया एक डॉलर के बराबर हो जाए| अगर ऐसा होता है तो स्वाभाविक सी बात है इम्पोर्ट होने वाली वस्तुएं बहुत महँगी हो जाएंगी| खासकर तेल का दाम बहुत बढ़ जाएगा| इसके फलस्वरूप ट्रांसपोर्ट होने वाले सारी जरुरी समाने महँगी हो जाएगी| यह भी संभव है कि जिस प्याज को 80रु किलो खरीदने पर हाय तौबा मचाया करते थे उसे डेढ़ सौ से दो सौ रूपय किलो खरीदने को मजबूर हो जाए|

See also  War of ego between India and Pakistan

सरकार कितना सब्सिडी देगी? सरकार सीमित डॉलर को प्याज और घरेलु उत्पाद खरीदने के लिए खर्च करेगी कि करोड़ों-अरबो रूपए में मिलने वाली युद्ध की वस्तुओं में? एक बार को सरकार घरेलु आपूर्ति के वस्तुओं के साथ समझौता कर सकती है लेकिन युद्ध के वस्तुओं से साथ कभी नहीं कर सकती है| इसलिए इस बात के लिए लोगो को भी तैयार रहना रहिए कि सीमा पर सिर्फ सेना नहीं बल्कि देश के अन्दर वो भी मरेंगे|

जिस दिन पाकिस्तान का पहला समूह मजबूत हो गया उस दिन सारा किस्सा ही ख़त्म हो जाएगा| लेकिन यह बहुत आसान भी नहीं है| इस असमानताओं को बनाए रखने के लिए बहुत सारी विश्व शक्तियां अपने स्तर पर काम कर रही है| अगर पाकिस्तान में विदेशी निवेश की बात करे तो 2007 में 8.7 बिलियन डॉलर थी जो घट घट करके 2015 में 0.709 बिलियन डॉलर हो गई है| अगर इस तरह का आतंकवादी इमेज पूरी दुनियां में कायम रहेगा तो वहाँ दो चीजे होंगी|

पहली बात यह कि वहाँ मैन्युफैक्चरिंग कम होंगी और विदेशी निवेशें कम होंगी जिससे वो ना तो एक्सपोर्ट कर पाएंगे और नाही खुद की आपूर्ति| इसके अलावां बेरोजगारी भी बढ़ेगी और जिहादी कांसेप्ट को चार चाँद लागेला| दूसरा ऐसे में चाइना जैसे देशो को एक अवसर मिल सकेगा जिससे वो अपनी बनाई हुई चीजो को डंप कर सके और वहाँ की जनता की जरूरतों को पूरा कर सके| चाइना की यही चाहत भी है| चुकी जिस हिसाब से चाइना के अर्थव्यवस्था का तहस नहस हुआ है वो चाहेगा कि बहुत जल्द ही ट्रैक पर आ जाए| अर्थव्यवस्था में एक क्रन्तिकारी परिवर्तन के लिए चाइना कुटनीतिक सहारे से अपने बाजार की तलाश में है|

यही कारण है कि इसे नया बाजार के रूप में देखते हुई चाइना ने चाइना-पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर के लिए बातें की है| इसके अलावां पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर पूरी तरह से चाइना का नियंत्रण है क्युकी उसके इंफ्रास्ट्रक्चर पर चाइना ने निवेश किया था| इससे चाइना को पश्चिमी एशियाई देशों में व्यापार बढाने के लिए मदद मिलता है| पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के ठीक बगल में इरान में चाहबहार पोर्ट है जिसपर कई मर्तबा बातें हो चुकी है कि भारत वहाँ निवेश करेगा|

See also  अर्थशास्त्र और धर्मशास्त्र की सियासत में उलझा बीफ निर्यात

लेकिन अंतराष्ट्रीय सियासत की वजह से समयानुसार उसपर भी बातें बदलती रही है| पुरे विश्व को इस बात का पता है कि अगर भारत ऐसी चीजे हासिल करने में सफल होता है तो उसकी अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे मजबुत अर्थव्यवस्था होगी| यही कारण है कि पाकिस्तान को ऐसा बनाया गया है जिससे भारत पश्चिमी बाजारों में प्रवेश न हो पाए| अगर चाह्बहार जैसी चीजें माध्यम बनकर आती है तो उसपर भी सियासत करके अटकलें लगाई जाती है|

अमेरिका अपने एंगल से देखता है कि कश्मीर का एक छोटा हिस्सा उसे हाथ लग जाए जिससे बाक़ी के देशों जैसा एक अपना कैंप लगा सके| कश्मीर ऐसा जगह है जहाँ से कई सारे देशों की सीमाएं जुडती है| ऐसे में चीन और भारत पर दबदबा बनाने के लिए कश्मीर अमेरिका के लिए जरूरी है| क्युकी कोई भी ऐसी फाइटर प्लेन नहीं है जो बिना फुएलिंग किए डायरेक्ट अमेरिका से आकर चाइना या भारत पर अटैक कर सके| इसके लिए अपने स्तर पर हर तरह का प्रयास करता रहा है|

जिस प्रकार से सूती कपड़ों के लिए पाकिस्तान की जलवायु बढ़िया है वैसी जलवायु हिंदुस्तान के पास भी है| लेकिन आज भी अमेरिका पुरे विश्व का 10% सूती कपडा पाकिस्तान से अपने यहाँ इम्पोर्ट करता है जिससे व्यापारिक रूप से जित सके| कुटनीतिक तौर पर चाहता है कि कश्मीर पाकिस्तान के हाथ ही लगे| इससे होगा क्या कि अमेरिका को वहाँ बमबारी कर अपना बर्चस्व ज़माने में आसानी होगी| इसके लिए वजह ढूंढने की जरूरत नहीं है| कश्मीर का बदनाम नाम उसके मिशन के लिए पर्याप्त और ठोस बिंदु है ठीक वैसे ही जैसे एबटकाबाद में ओसामा और इराक में सद्दाम हुसैन को मारने के लिए किया था|

ऐसे में वहाँ का आतंकवाद कैसे ख़त्म हो सकता है जब विश्व की बड़ी शक्तियां उन्हें मदद कर रही है| और हम है उन्ही बड़ी शक्तियों के पास इस समस्या को लेकर जाते है| हम उन्ही बड़ी शक्तियों से निहोरा करते है कि इसे आतंकवादी राष्ट्र घोषित करे| कैसे संभव है?

Spread the love

Dial down the FREE Subscription for premium content. How to Add Subscribe Button on YouTube Videos (Subscribe Button PNGs)

Support us

Hard work should be paid. It is free for all. Those who could not pay for the content can avail quality services free of cost. But those who have the ability to pay for the quality content he/she is receiving should pay as per his/her convenience. Team DWA will be highly thankful for your support.

 

Be the first to review “पाकिस्तान से रिश्ते सुधारना इतना भी आसान नहीं”

Blog content

There are no reviews yet.

error: Alert: Content is protected !!