समृद्ध गाँव का सपना देखने वाले डॉ राजवंशी से एक मुलाकात

Dial down the FREE Subscription for such premium content on our YouTube channel. How to Add Subscribe Button on YouTube Videos (Subscribe Button PNGs)

पुणे शहर से लगभग 100 किलोमीटर दूर फल्टन कुछ बेहद प्रतीक्षित व्यक्तियों में से एक डॉ अनिल राजवंशी जी से मेरी मुलाकात हुई| काफी इंतजार के बाद मुझे इनसे मिलने का मौका मिला| मेंरे हीरो ऐसे ही लोग है जिनसे मिलने और अनुभव लेने की हमेशा उत्सुकता रहती ही है| ऐसे लोग हर क्षेत्र में है| डॉ अनिल राजवंशी जी बेहद ही सादगी जीवन जीने वाले लोगों में से है जिन्हें भौतिकवाद छू तक नहीं पाती है| अनिल राजवंशी वैसे तो पेशे से इंजीनियर हैं, लेकिन अध्यात्म की ओर भी उनका सहज झुकाव है| उन्होंने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग, बी.टेक. (1972) और एम.टेक. (1974) की पढ़ाई की है, जिसके बाद आगे की शिक्षा( डॉक्टरेट) प्राप्त करने के लिए वे अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ्लोरिडा चले गए| लेकिन उनका मन भारत के अलावा कहीं लगा नहीं, इसलिए वर्ष 1981 में अमेरिका में अपने कॅरियर के बेहतरीन पड़ाव पर होने के बावजूद वे ग्रामीण भारत में आकर बस गए| जहां उन्होंने लोगों के बीच रहकर एक बेहतरीन भारत बनाने का सपना देखा| ऐसे बहुत से हीरो है जो देश लौटकर देश को बेहतर बनाने में लगे हुए है जिन्हें हम और आप नहीं जान पाते है|

मूल रूप से डॉ अनिल राजवंशी उत्तरप्रदेश के लखनऊ से आते है| वही उनका जन्म हुआ और वही पले बढे| यूनिवर्सिटी ऑफ़ फ्लोरिडा में डॉक्टरेट के पढाई पूरी करने के बाद वो वहाँ पर दो सालों तक ‘मैकेनिकल इंजीनियरिंग’ डिपार्टमेंट में प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे| अमेरिका से लौटने के बाद 1981 में महाराष्ट्र के फल्टन में आ बसे और यहाँ पर उन्होंने गैरसरकारी संगठन NARI (Nimbkar Agricultural Research Institute) की स्थापना की| इनके पास लगभग 30 साल से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट पर अनुभव है| उन्होंने पिछले 33 वर्षों के लिए पर्यावरण के अनुकूल ग्रामीण विकास को प्राप्त करने के लिए हाई टेक आधुनिक विज्ञान और तकनीक का उपयोग करने के लिए अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया है|

Decoding World Affairs Telegram Channel
See also  डोनाल्ड ट्रम्प को लेकर भारतीय इतने उत्साहित क्यों ?

इसलिए डॉ राजवंशी के अनुसंधान ने ग्रामीण आबादी के जीवन को प्रभावित करने वाले क्षेत्रों का एक पूरा स्पेक्ट्रम फैलाया है| इनमें ग्रामीण परिवारों के लिए अक्षय ऊर्जा आधारित खाना पकाने और प्रकाश व्यवस्था शामिल है| कृषि अवशेषों से छोटे पैमाने और तालुका स्तर बिजली उत्पादन, इलेक्ट्रिक साइकिल रिक्शा, नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) का उपयोग कर जल शुद्धीकरण आदि पर भी काम किया है|

कुल मिलकर यह कहा जा सकता है कि फिल्म थ्री इडियट के असल जीवन में यही रंचोड दास झांझर है| ऐसे झांझर और भी बहुत है जिन्हें हम और आप नहीं जानते| आज हम तीन मित्र मै, ओमकार और यशवंत मिलने के लिए गए हुए थे| लगभग 100 किलोमीटर ड्राइव करने के बाद इनसे मुलाकात हुई| उनसे मिलकर एक अच्छे अनुभव से अवगत हुए| किसानों को देखने का इनका एक अलग नजरिया है| ये किसानों को एक प्रोफेशनल रूप में देखना चाहते है| मुझे याद है जब लास्ट टाइम मै उनकी बातें सुन रहा था तब कह रहे थे कि आखिर क्यों जब कृषि की बातें आती है तो एक अलग तरीके से बातें की जाती है| खेती के इक्विपमेंट बनते है तो बस काम से ही मतलब होता है| वो पूछते है कि आखिर क्यों खेती के लिए ट्रेक्टर वातानुकूलित नहीं बन सकता? अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्युकी हमारी मानसिकता यह रहती है कि ट्रेक्टर तो खेत के मालिक को थोड़ी न चलानी होती है| किसी भी समस्या का सिर्फ एक हल नहीं होता| राजनितिक हल जिसके बारे में आए दिन चर्चाएँ होती रहती है वो सिर्फ एक कंपोनेंट है| दूसरा कंपोनेंट है तकनिकी विकास जिसका मूल्यांकन हम करते ही नहीं है| तकनीकी रूप से किसानों का पिछड़ना उनकी बदहाली का कुछ महत्वपूर्ण कारणों में एक है|

बात शुरू करने से पहले ही वो इस बात से सूचित करते है कि यहाँ पर जो भी काम होता है वो पैसे के लिए नहीं बल्कि लगन के लिए होता है| इसलिए जो लोग यहाँ पैसे कमाने की नजर से आतें है तो शायद वो गलत है| भौतिकवाद से उन्हें बेहद बैर है| अपने आईआईटी के तजुर्बे को हमसे साझा करते हुए कहते है कि एक शिक्षिका थी जो इस बात पर गर्व करती थी कि उनके पास चार सौ साड़ियाँ है| वो सीधे-सीधे कहते है कि क्या करना है इन सब का? पहनना तो वही दो चार ही है| वो साधारण जीवन पर बहुत ज्यादा जोर देते है| ऐसे बहुत सारे उदाहरण देकर हमें समझाना चाह रहे थे कि भौतिकवाद से परे की दुनिया बेहद सुखी और आनंदमय होती है| हमसे आत्म निर्भर होने की उम्मीद करते है| अपने व्यस्ततम समयों में दे रहे कुछ पल देने के पीछे मुख्य कारण यह बताते है कि हमें आगे वो चीजें देखनी है, चीजों को समझना और जानना है| वो उम्मीद करते है कि आने वाली पीढ़ी बहुत ही स्मार्ट और तकनीक के धनी हो जो इस देश की ग्रामीण व्यवस्था का विकास कर सके| खेती छोड़ रहे लोगों से बहुत चिंतित है| यह चिंता उन्हें और काम करने को उर्जा देती है|

See also  Innovation as a tool for achieving inclusive growth in India

आज की पीढ़ी से उन्हें बहुत शिकायत रहती है| वो कहते है कि हमारी पीढ़ी जिसमे हम जी रहे है, बहुत डराई गई है| हमलोगों को आने वाले सालों को लेकर हमेशा डराया जाता है| आज के 5 साल बाद क्या होगा, 10 साल बाद क्या होगा| वो बताते है कि जब वो अमेरिका छोड़ के आ रहे थे उन्हें बहुत से लोग सनकी कहते थे| यहाँ आने के बाद साइकिल से घुम-घुम कर चीजों को समझा और जाना फिर शोध केंद्र बनानी शुरू की| जब आए थे तक की फोटो दिखाते हुए हमें बताते है कि जब यहाँ वो आए थे तो कुछ नहीं था लेकिन धीरे धीरे सबकुछ डेवेलप किया| अपने समय की बातें याद करते हुए कहते है कि तब हमें पढने के लिए लाइब्रेरी का चक्कर लगाना पड़ता था| आजकल तो सबकुछ इन्टरनेट प उपलब्ध है, इसके बावजूद भी हमारा यूथ पढ़ने से थोड़ी दूरी बढ़ाए रखना चाहता है| वो बताते है कि जितने भी छात्र उनके पास काम करने आए उनमे एक बात नोट किया जो लगभग सबमे कॉमन थी| वो ये कि आज की पीढ़ी बहुत ही जल्दबाजी में रहती है| तुरंत एक्शन और रिएक्शन की उम्मीद काम को एफ्फेक्टिव नहीं बना पाता है| वो इस बात पर जोर देते है कि हमें सिर्फ अपनी सुननी चाहिए|

ग्रामीण भारत के बारे डॉ राजवंशी की अपनी एक समझ है| उसे पाने के लिए उनका अपना अलग रोडमैप है| इसके तीन भाग के रूप में देखते है| पहला, ग्रामीण लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए उचित मूल्य पर ग्रामीण घरों के लिए आधुनिक उपकरण की उपलब्धता के लिए एक तंत्र विकसित करना| दूसरा, ग्रामीण आजीविका पैदा करना| तीसरा, स्मार्ट और बुद्धिमान युवाओं और देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग प्राप्त करना और ग्रामीण विकास में संलग्न करवाना| इन तीन घटकों की मदद से ग्रामीण समृधि को प्राप्त करना और गाँव से हो रहे शहर की ओर पलायन को रोकना है| इसे कैसे प्राप्त किया जाए इसका पूरा विवरण अपनी किताब ‘रोमांस ऑफ़ इनोवेशन’ में लिखा हुआ है| जिसकी एक-एक प्रति हमें हस्ताक्षर करके आज दी है| इसे पढना अभी बाकी है|  जैसे पढता हूँ इनकी समझ, इनकी बातें निश्चित रूप से साझा करता रहूँगा| “Romance of Innovation – A human interest story of doing R&D in rural setting″ के अलावां उन्होंने अपनी लिखी दो और किताबें (“1970s America – an Indian Student’s Journey” और “Nature of Human Thought”) दी है|
कुल मिलकर एक अच्छा ख़ासा मुझे पढने के लिए मटेरियल मिल चूका है| समय मिलते जैसे जैसे इसे पढता जाऊंगा वैसे-वैसे समयानुसार बातें साझा करता जाऊंगा|

See also  घनघोर संकट में छात्र राजनीती
Spread the love

Support us

Hard work should be paid. It is free for all. Those who could not pay for the content can avail quality services free of cost. But those who have the ability to pay for the quality content he/she is receiving should pay as per his/her convenience. Team DWA will be highly thankful for your support.

 

Be the first to review “समृद्ध गाँव का सपना देखने वाले डॉ राजवंशी से एक मुलाकात”

Blog content

There are no reviews yet.

Decoding World Affairs Telegram Channel
error: Alert: Content is protected !!