समय के साथ धार्मिक क्रियाकलापों का आत्मअवलोकन जरूरी

Dial down the FREE Subscription for such premium content on our YouTube channel. How to Add Subscribe Button on YouTube Videos (Subscribe Button PNGs)

कुछ महीने पहले जब एक्टर इरफ़ान खान ने धार्मिक क्रियाकलापों का इंट्रोस्पेकशन करने और चीजों को समझने के लिए कहा था तो लगभग देश के ज्यादातर मौलवियों ने उन्हें खूब सुनाया था| कुछ ने तो शराब की ओर इशारा करके हुए सच्चा मुसलमान न होने का सर्टिफिकेट तक दे दिया था| वो वास्तव में कहना क्या चाह रहे उसका पूरा डिस्कोर्स बदल दिया जाता था| मुझे धर्मशास्त्र का इतना ज्ञान तो नहीं है लेकिन आज के समाज को मै जब खुद सोचता हूँ तो लगता है कि सच में समय के साथ संवाद करनी चाहिए|

जो अच्छी चीजें हो उसे स्वीकार्य करनी चाहिए और जो भी बुराइयां उसे अपने समाज से दूर करना चाहिए| जैसे सिख धर्म में लंगर का कांसेप्ट उनकी अंतरआत्मा है| स्वर्ण मंदिर और पटना साहिब में कुछ गुरुद्वारा है जहाँ 24 घंटे लंगर चलते है| रोटियां मशीनों से बनाई जाती है जिससे जितनी भी जनसँख्या हो उसकी पूर्ति की जा सके| मेरा परिवार गायत्री परिवार से जुड़ा रहा है| वहाँ भी ऐसे लंगर की व्यवस्था की जाती है| आज मुझे नबीन भईया से मुझे पता चला कि सनातन धर्म ने इसे अपनाया है पहले ऐसा कुछ नहीं था|

Decoding World Affairs Telegram Channel

पहले मै यही माना करता था कि हर धर्म में ऐसा होता होगा| जबकी सिख धर्म से ही इसकी शुरुआत हुई थी| ऐसे ही जो भी अच्छी चीज है उसे अपने स्वीकार्य करनी चाहिए और बुराइयों को छोड़ना चाहिए| धार्मिक चीजों में किसी की ना सुनने की और पुरानी चीजों से चिपके रहने की आदत छोड़ नए सामाज की स्थापना करनी चाहिए| सनातन धर्म ऐसे परिवर्तन का गवाह रहा है| पुराने समय में राजपूत राजाओं में ‘जौहर प्रथा’ चला करती थी जिसमे राजाओं के हारने के बाद उनकी रानियाँ खुद अपने आप को अबोलिश किया करती थी| इसके बाद सती प्रथा, बाल विवाह से लेके विधवा पुनर्विवाह तक के मसलों पर बदलाव लाया|

See also  अपने पहचान को तरसते गुजरात के भील आदिवासी

बदलते समय के साथ ‘हिन्दू कोड बिल’ लाकर महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित किया| सनातन धर्म के किसी भी धार्मिक ग्रंथ में तलाक शब्द नहीं मिलेगा| यह मुस्लिम धर्म की चीजें है लेकिन समय के साथ अपने में बदलाव लाया और अपनाया| इस धर्म के लोगों ने कभी यह नहीं कहा कि सिख और मुस्लिम धर्म की चीजें क्यों थोपी जा रही है| वो तो राजनीति ही है जो इसे थोपने थापने का रूप देने लगता है| देश में जब यूनिफार्म सिविल कोड की बात होती है तो देश में ऐसे माहौल पैदा कर दिया जाता है जैसे मानो कोई अकाल पड गया होगा|

मुस्लिम औरतें इसके पक्षधर रही है लेकिन उनकी प्रतिनिधित्व ही कही नहीं है| मुस्लिम समाज में पुरुष प्रधान समाज का जो बोल-बाला है वो उनकी बातों को समाज में आने ही नहीं देना चाहता| करीना कपूर और सैफअली खान ने जो बेटे का नाम ‘तैमूर’ रखा इसका वो डिस्कोर्स है ही नहीं जिसकी लोग बात करते है| निसंदेह लोगों को अपने बेटे-बेटियों का नाम रखने की पूरी आजादी है| लेकिन बात यह है नहीं, बात यह है कि आज भी इनकी सोच उसी कट्टरता के तरफ है| जिसने पूरे हिन्दुस्तान को लूटा आप उसे हीरो मानते है| जब तक मोहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी, तैमुर और औरंगजेब को लोग हीरो मानेगे तब तब समस्याएँ पैदा होती ही रहेंगी|

वो इतिहास था तब तानाशाही शासन हुआ करती थी आज जब लोकतान्त्रिक समय में उनके प्रवक्ता बनके वकालत करेंगे तो समाज में अशांति फैलना वाजिब है| क्युकी भावनाएं सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय की नहीं होती बल्कि बाकी के लोगों की भी होती है| मुस्लिम समाज आज भी गुजरात दंगों को एक दाग के रूप देखता है वही सनातन धर्म के लोग पुराने इतिहास को दाग के रूप में देखते तो गलत क्या है| बहुत कम ऐसे हिन्दू लोग होंगे जो ऐसे दंगो को जस्टिफाई करते होंगे लेकिन आपका तो पूरा समाज उनको हीरो मानकर उनके किए गए घिनौने कृत्यों को जस्टिफाई करता है| समय बदल रहा है आप भी बदलिए तब ही बात बनेगी…

See also  किसके हिस्से में रहे बाबा आंबेडकर ?
Spread the love

Support us

Hard work should be paid. It is free for all. Those who could not pay for the content can avail quality services free of cost. But those who have the ability to pay for the quality content he/she is receiving should pay as per his/her convenience. Team DWA will be highly thankful for your support.

 

Be the first to review “समय के साथ धार्मिक क्रियाकलापों का आत्मअवलोकन जरूरी”

Blog content

There are no reviews yet.

Decoding World Affairs Telegram Channel
error: Alert: Content is protected !!