‘कालाधन‘ जैसी चीजो को बेशक एक चुनावी एजेंडा में ले लिया गया हो लेकिन यह इतना भी आसान नहीं है| हालाँकि भारत सरकार से भी बहूत अच्छी पहल की गई है कुछ नीतियों में भी बदलाव किया है जो कि सकारात्मक है| यह काफी गंभीर मामला है आपको याद होगा ग्रीस अभी कुछ दिन पहले आर्थिक संकट से जूझ रहा था उसका एक प्रमुख कारण कालाधन भी रहा है| ग्रीस से जीडीपी का 24% के आसपास कालाधन विदेशों में जमा था|
इसे सोल्व करने के दो स्टेपस है| पहला यह कि हाल फिलहाल में जो जा रहा है उसे रोको दुसरे शब्दों में कहू तो डिफेन्स| दूसरा है अटैक मतलब कि संवाद करते रहो दुसरे देशों से सार्क, जी-20 जैसी मीटिंग के जरिए| जैसा जी-20 की में किया गया था जिसका मकसद बैंकिंग लेन-देन से गोपनीयता का पर्दा हटाना तथा किसी भी देश को उसके नागरिकों के अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के बारे में उस देश की सरकार को रीएल टाइम में सूचित करना है।
शायद आपलोग एक कानून से अवगत होंगे जिसे इस सरकार ने बनाया है| जो लोग अपनी गैर कानूनी संपत्ति का खुलासा करना चाहते थे उनके लिए 90 दिन की एक कंप्लाइंस विंडो दी गई| इस अवधि में उन्हें अपनी विदेशों में जमा अघोषित संपत्ति का खुलासा करना था| यह अवधि 30 सितंबर 2015 को खत्म हो गई| विदेशों में अपनी अघोषित संपत्ति का खुलासा करने वाले करदाताओं को को 30 प्रतिशत टैक्स तथा 30 प्रतिशत की दर से जुर्माना 31 दिसंबर 2015 से पहले जमा करना है। जिन लोगों ने इस निर्धारित अवधि में अपनी विदेशों में जमा अघोषित संपत्ति का खुलासा किया है उन पर नए कानून के तहत मुकदमा नहीं चलेगा| 638 लोगों ने अपनी 3770 करोड़ रुपये आय का खुलासा किया है| जो लोग खुलासा नहीं करेंगे उनके लिए काफी सख्त प्रावधान भी है जिन्हें 90% जुर्माना+ 30% टैक्स+ 10 साल की सजा झेलनी पड़ेगी|
यह पहल मुझे अच्छी इसलिए लगी क्युकी आरोपी को एक मौका मिलना चाहिए जिससे अपनी गलती सुधार सके| आरोपित नाम को मीडिया के सामने रखना, फिर उनके लिए ढिंढोरा पिटवाना, उसपर सियासत करना कि वो तो तुम्हारे पार्टी का है फिर दूसरा जवाब दे कि तुम्हारे पार्टी में भी तो है, इन सारी चीजो से कालाधन वाली समस्या ख़त्म नहीं होनी| होगा क्या कि मीडिया को मशाला मिल जाएगा कुछ दिन के लिए और सियासत को एक चुनावी एजेंडा|
इसका हल यही है कि गुप्त रखकर सकारात्मक तरीके से निपटा जा सके| मेरे समझ से सजा से ज्यादा बढ़िया चीज होगा कि हम आरोपित लोगो का रिफार्म करे क्युकी उन लोगो को भी इसी समाज में रहना है| मैंने पहले डिजिटल इंडिया प्रोग्राम को बेहतर इसलिए बताया था क्युकी उसका उपयोग हम कालाधन रोकने में भी कर सकते है| बड़ी संख्या में पेमेंट गेटवे के खुलने, इंटरनेट बैंकिंग, पेमेंट बैंक और ई-कारोबार के उभरने से बैंकिंग लेन-देन बढेंगे और कैश वाली चीजे कम हो जाएगी|
कोई भी समाज ऐसे तंत्र को अनिश्चितकाल तक बनाए नहीं रख सकता जहां कमाई करने ववाले व्यक्ति कर चोरी को जीवन का एक तरीका समझें। दुर्भाग्य से विगत में हमारे यहां टैक्स की दर काफी अधिक होने के चलते कर चोरी को प्रोत्साहन मिला। देश जब अपने नागरिकों पर तर्कसंगत दर से टैक्स लगाते हैं तो वे उन्हें ईमानदारी से उनकी आय का खुलासा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। आजादी के बाद शुरुआती दशकों में भारत में टैक्स की काफी अधिक दर रही जिसके चलते लोगों ने कर चोरी की।
उस समय सरकार की इतनी क्षमता भी नहीं थी कि इस कर चोरी को पकड़ा जा सके। इसके बाद भारत ने धीरे-धीरे टैक्स की दरें कम करने की दिशा में कदम उठाना शुरु कर दिया। राजग सरकार की सोची समझी रणनीति रही है कि राजकोषीय नीति के माध्यम से कर छूट की सीमा बढ़ाकर तथा बचत को प्रोत्साहित कर मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों की जेब में अधिक पैसा रखा जाए। इससे उपभोग को बढ़ावा मिलेगा तथा अर्थतंत्र में अधिक धन का प्रवाह होगा। उपभोग से अप्रत्यक्ष करों की राशि बढ़ती है।
भारत को निवेश अनुकूल राष्ट्र बनाने के लिए मैने आम बजट 2015 में निगम कर को अगले चार वर्ष में चरणबद्ध तरीके से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने की घोषणा की थी। इसके साथ इस अवधि में कार्पोरेट को प्राप्त छूटों को भी चरणबद्ध तरीके से खत्म किया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मौजूदा सरकार अपने इस रुख पर कायम है। विदेश में जमा कालेधन के खिलाफ अभियान सरकार ने कालेधन की समस्या के निदान के लिए सोच-समझकर एक रण्नीति तैयार की है।
सरकार के शपथ ग्रहण के बाद कैबिनेट की पहली बैठक में ही हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए दो रिटायर न्यायाधीशों की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया जो कालेधन के विरुद्ध समग्र प्रयासों की निगरानी करेगा। संप्रग सरकार कोई न कोई बहाना कर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने में तीन साल तक टालमटोल करती रही थी। सरकार ने तेजी से कार्रवाई करते हुए जेनेवा के एचएसबीसी और लींचेस्टीन बैंक में धनराशि जमा करने वाले लोगों के बारे में जो भी जानकारी उपलब्ध थी उसके आधार पर आयकर का आकलन किया।
अधिकांश मामलों में आकलन पूरा कर लिया गया है और जहां भी गैर कानूनी गतिविधियां पाई गईं हैं उन मामलों में ऐसे खाताधारकों के खिलाफ आपराधिक अभियोजन चलाया जा रहा है। इन सभी खातों में 6500 करोड़ रुपये बेलेंस पाया गया है। यही वजह है कि सरकार ने देश से बाहर विदेश में अघोषित संपत्ति को कर के दायरे में लाने के लिए एक कानून का प्रस्ताव किया। क्योंकि यह टैक्स पहली बार लगाया गया इसलिए जो लोग अपनी गैर कानूनी संपत्ति का खुलासा करना चाहते थे उनके लिए 90 दिन की एक कंप्लाइंस विंडो (पालन समयावधि) दी गई।
इस अवधि में उन्हें अपनी विदेशों में जमा अघोषित संपत्ति का खुलासा करना था। यह अवधि 30 सितंबर 2015 को खत्म हो गई। विदेशों में अपनी अघोषित संपत्ति का खुलासा करने वाले करदाताओं को को 30 प्रतिशत टैक्स तथा 30 प्रतिशत की दर से जुर्माना 31 दिसंबर 2015 से पहले जमा करना है। जिन लोगों ने इस निर्धारित अवधि में अपनी विदेशों में जमा अघोषित संपत्ति का खुलासा किया है उन पर नए कानून के तहत मुकदमा नहीं चलेगा।
638 लोगों ने अपनी 3770 करोड़ रुपये आय का खुलासा किया है। इस संपत्ति का खुलासा करने वाले अब चैन की नींद सो सकते हैं। जिन लोगों ने विदेश में सपत्ति जमा कर रखी है लेकिन उन्होंने इस अवधि के भीतर इसका खुलासा नहीं किया है उन लोगों पर कानून के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। ऐसे लोगों को 30 प्रतिशत टैक्स तथा 90 प्रतिशत जुर्माना देगा होगा। इस तरह ऐसे लोगों की पूरी संपत्ति जमा करने के साथ ही उनसे और अधिक धनराशि वसूली जाएगी। इसके अलावा उन पर मुकदमा भी चलाया जाएगा जिसमें उन्हें दस साल तक की सजा हो सकेगी। इस तरह यह कानून भविष्य में भारत से पैसा बाहर जाने से रोकेगा।
एचएसबीसी में 6500 करोड़ रुपये तथा निर्धारित समयावधि में घोषित विदेशी संपत्ति 3770 करोड़ रुपये को किसी भी कर माफी योजना के तहत आय नहीं समझा जाना चाहिए। इस धनराशि की तुलना घरेलू कालेधन माफी की योजना से करना अनुचित है। घरेलू कालेधन के खिलाफ सरकार अलग से कदम उठा रही है। कर चोरी रोकने के संबंध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
प्रधानमंत्री ने जी-20 की बैठक में पहल करके एक देश के नागरिक द्वारा गैर कानूनी तरीके से विदेश में पैसा जमा के मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पर बल दिया। जी-20 की इस पहल का मकसद बैंकिंग लेन-देन से गोपनीयता का पर्दा हटाना तथा किसी भी देश को उसके नागरिकों के अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के बारे में उस देश की सरकार को रीएल टाइम में सूचित करना है। सरकार ने फटका के तहत अमेरिका के साथ एक करार किया है जिसमें भारत और अमेरिका एक दूसरे के नागरिकों के विदेशी वित्तीय संस्थाओं में खाते से लेन-देन के बारे में रीएल टाइम में एक दूसरे को सूचित करेंगे।
यह सहयोग उन सभी देशों के साथ भी होगा जो जी-20 के अधिकार क्षेत्र के तहत सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान के वैश्विक मानकों पर हस्ताक्षर करेंगे। राजस्व सचिव के नेतृत्व में भारतीय अधिकारियों के एक दल ने स्विस अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की थी। मंत्री स्तर पर भी वार्ताएं की गई हैं। स्विटजरलैंड भारत को एचएसबीसी के उन खातों के बारे में जानकारी देने को तैयार हो गया है जिनसे जुड़ी हुई सूचनाएं भारत चुराई गई जानकारी के अतिरिक्त भी वहां की सरकार को देगा।
गौरतलब है कि एसएचबीसी खातों के बारे में चुराई गई सूचना फ्रांस के माध्यम से भारत सरकार को मिली थी। ऐसे में उम्मीद है कि आगामी दो वर्षों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की रुपरेखा तैयार हो जाएगी और कुछ शर्तों के साथ विदेशों में जमा कालेधन के के बारे में जानकारी मांगने वाले देशों को सूचनाएं मिलनी लगेंगी। इस तरह जिन लोगों ने विदेश में कालाधन जमा किया है जब उनके बारे में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से सूचनाएं भारत के कर प्रशासन के पास पहुंच जाएगी। घरेलू काला धन अधिकांश कालाधन अब भी भारत में ही जमा है।
इसलिए हमें राष्ट्रीय दृष्टिकोण में बदलाव की जरूरत है ताकि प्लास्टिक करंसी को अधिकाधिक बढ़ावा दिया जाए तथा नकदी से लेन देन को कम किया जाए। सरकार इस समस्या के समाधान के लिए विभिन्न प्राधिकारों के साथ काम कर रही है ताकि इस बदलाव को प्रोत्साहित किया जा सके। बड़ी संख्या में पेमेंट गेटवे के खुलने, इंटरनेट बैंकिंग, पेमेंट बैंक और ई-कारोबार के उभरने से बैंकिंग लेन-देन बढेंगे तथा प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल भी बढ़ेगा।
इस दिशा में जैम (जनधन, आधार और मोबाइल) तथा सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के खातों में धनराशि भेजने के लिए डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर इसी दिशा में प्रयासों को मजबूती देगा। जन धन योजना के सभी 18 करो़ड़ खाताधारकों को रुपे कार्ड उपलब्ध करा दिया गया है। इससे उन्हें प्लास्टिक मनी से परिचित होने और इसके इस्तेमाल करने को बढ़ावा मिलेगा। मुद्रा योजना ने अगले कुछ वर्षों में भारत के 25 करोड़ परिवारों में से छह करोड़ परिवारों को उद्यमी बनाने का लक्ष्य रखा है।
बैंक उन लोगों को जो लोन देंगे उसे सिर्फ मुद्रा क्रेडिट कार्ड के माध्यम से एटीएम से निकाला जा सकता है। इस तरह उनके अधिकांश लेन देन प्लास्टिक करंसी या बैंकिंग तंत्र के माध्यम से होंगे। सरकार एक निश्चित सीमा से अधिक नकदी का लेन देने होने पर पैन कार्ड का ब्यौरा देने के लिए नियम बनाने जा रही है। आयकर के निगरानी तंत्र को मजबूत बनाते हुए कर चोरी के संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से पता लगाने के लिए क्षमता बढ़ाई गई है। नकदी के बड़े लेन देन का पता लगाने के लिए इसकी क्षमता मजबूत की जा रही है।
जीएसटी लागू होने पर भी इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इस प्रकार सोने जैसी वस्तुएं जहां निर्यातक कस्टम ड्यूटी के भुगतान के बाद खरीदता है उसके बाद के जो भी ट्राजेंक्शन नकदी से होंगे उन्हें आसानी पकड़ा जा सकता है। सरकार की नीति कर संरचना को तर्कसंगत बनाने, तर्कसंगत दर पर टैक्स वसूलने, निम्न आय वर्ग के लोगों के हाथ में अधिक धनराशि छोड़ने और समाज के सभी वर्गों में प्लास्टिक मनी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने की है। इससे उन लोगों के नकेल कसने में मदद मिलेगी जो कालेधन का इस्तेमाल करते हैं।
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