भारतीय समाज में महिलान के बदलत स्तिथि (भोजपुरी)

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भारतीय समाज में महिला लोग के स्तिथि समयानुसार बदलत रहल बा| चाहे बात रुआ प्राचीनकाल के कर लिही या मध्यकालीन आ वर्तमान समय के| चुकी बहूत सारा विद्वान लोग के मानना बा कि प्राचीन काल में औरतन के स्तिथि काफी शानदार रहल बा| ओह कालखंड में लगभग हर क्षेत्र में बराबरी के दर्जा रहे| पति के, पत्नीन के अर्धांग्नी के रूप में देखल जात रहे| पतंजलि और कात्यायन जईसन प्राचीन भारतीय व्याकरणविद लोग के कहनाम रहल बा कि प्रारम्भिक वैदिक काल में औरतन के शिक्षा दीक्षा देवल जात रहे| ऋग्वेदिक ऋचन इ बतावेला कि औरतन के शादी एगो परिपक्व उम्र में होत रहे|

उहवाँ बाल विवाह जईसन समस्या ना रहे अउरी संभवतः ओह लोग के आपन पति चुने के आजादी तक रहे| बाद में 500 ई.पू. स्मृति खासकर मनुस्मृति के साथ औरतन के स्तिथि में गिरावट आवे शुरू हो गइल| ओकरा बाद बाबर अउरी मुग़ल साम्राज्य के इस्लामी आक्रमण के साथ अउरी ईसाइयत, औरतन के आजादी आ अधिकार एकदम सीमित कर देले रहे| एकर परिणामस्वरूप सबसे ज्यादा मध्यकाल पर पडल जहाँ महिला लोग के सबसे ज्यादा कष्ट अउरी यातना झेले के पडल बा| एह कालखंड में नाना प्रकार के सामाजिक कुरीतियाँ तक जन्म लेले रहे|

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जईसे जईसे समय बदलत गईल मध्यकालीन इतिहास लिखात गईल| एह भाग में सबसे ज्यादा सामाजिक कुरीति समाज आपन जड़ जमा चुकल रहे| महिला लोग के स्तिथि में सबसे ज्यादा अगर गिरावट आइल बा त मध्यकालीन भारत में आइल बा| एह काल खंड में  सती प्रथा, जौहर प्रथा, पर्दा प्रथा, देवदासी प्रथा, बाल विवाह अउरी विधवा पुनर्विवाह प रोक आदि चीज सामाजिक अंग के एगो हिस्सा बन गईल रहे| एह में से कुछ कुरीति भारत के अलग अलग हिस्सा में आजो देश में मौजूद बा| भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानी शासक लोग के जीत के बाद परदा प्रथा समाज में आ गईल|

लेकिन एगो अउरी महत्वपूर्ण बात इ बा की अतना कुरीति के जन्म लेला के बाद भी औरत लोग के हौसला कम ना रहे| लेकिन ध्यान देवे वाला बात इ बा कि महिला लोग के सशक्त भईला के प्रणाम मध्यकालीन काल के अंतिम समय यानि कि लगभग 15वीं शताब्दी में ही भईल रहे| एकर प्रमाण राजनीति, साहित्य, शिक्षा और धर्म जईसन हर क्षेत्र में रहल बा| उदहारण के रूप में रजिया सुल्तान दिल्ली प शासन कईले रही| गोंड के महारानी दुर्गावती मुगल सम्राट अकबर के सेनापति आसफ़ खान से लड़के आपन जान गवईला से पाहिले 15 साल तक शासन कईले रही| चांद बीबी, जहांगीर के पत्नी नूरजहाँ अउरी  शिवाजी के माई जीजाबाई जईसे बहूत सारा औरतन के कहानी एह बात के प्रणाम रहल बा|

मध्यकालीन के अंतिम काल कहली आ आधुनिक काल के शुरुआत में सबसे ज्यादा बदलाव महिला लोग के स्तिथि में आइल| भक्ति आन्दोलन जईसन आन्दोलन से महिला लोग के बेहतर स्तिथि हासिल करे के भरपूर कोशिश कईल गईल| महिला संत-कवियित्री मीराबाई भक्ति आंदोलन के सबसे महत्वपूर्ण चेहरा में से एगो रहल रही| एह कालखंड के बाक़ी के संत-कवियित्रियन में अक्का महादेवी, रामी जानाबाई अउरी लाल देद के नाव भी लेल जाला| हिंदुत्व के अन्दर महानुभाव, वरकारी अउरी भक्ति संप्रदाय, हिंदू समुदाय में पुरुष अउरी औरतन के बीच सामाजिक न्याय आ समानता खातिर खुला तौर प वकालत करे वाला प्रमुख आंदोलन में से गिनल जाला|

एह आन्दोलन के ठीक बाद सिक्ख लोग के पहिला गुरु गुरु नानक जी औरतन के धार्मिक संस्थानन के नेतृत्व के जिम्मा देले, सामूहिक प्रार्थना आ भजन आदि में नेतृत्व के स्थान देके समाज में महिला के साथ होखे वाला भेदभाव के खिलाफ उपदेश देले रहले| लेकिन औनिवेशिक काल में एकबे फिर औरत लोगन के मोहरा बनावल गईल ताकि अंग्रेजी शासन स्थापित कईल जाव| जवना के खिलाफ राजाराम मोहनराय, दयानन्द सरस्वती, ईश्वरचन्द विद्यासागर तथा केशवचन्द्र सेन जईसन बहूत सारा समाजसेवी सामने आके विरोध कईले अउरी अंग्रेज लोग के मजबूर कईले कुरितिन के खिलाफ कानून बनावे खातिर| जवना के आगे चर्चा करब|

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ऐतिहासिक कुरीति कईसन रहे

ऐतिहासिक काल खासकर मध्यकालीन इतिहास में सबसे ज्यादा कुरीति जन्म लेले रहे| ओह में सबसे में सती प्रथा, जौहर प्रथा, पर्दा प्रथा, देवदासी प्रथा, बाल विवाह अउरी विधवा पुनर्विवाह प रोक आदि जईसन कुप्रथा प्रमुख रहे| काफी प्रथा अईसन रहलिसन जवना में पुरुषप्रधान समाज के प्रतिबिम्ब मिलेला| एगो अइसन सोच मिलेला जहाँ औरत अपना पति के बगैर कुछ ना कर सकेलिसन| हालाँकि आज सूरत एकदम अलग बा| लेकिन सवाल उहे बा कि सीधे सीधे ना कहिके एगो बहाना खोजल जात रहे| जईसे उदहारण के रूप में सती प्रथा एगो प्राचीन रिवाज रहे जहाँ कुछ समुदाय में का रहे कि पति के स्वर्गवास हो गईला के बाद पत्नी के चिता में आपन जीवित आहुति देवे के परत रहे|

ओह आग में आहुति देवे के प्रक्रिया के धार्मिक कर्मकांड से जोड़ देहल गईल रहे| उम्मीद इ कईल जात रहे कि औरत स्वेक्षा से आपन जीवित प्राण के आहुति देस| जदी अईसन ना होत रहे त धमकावल जात रहे, सामाजिक रूप से लज्जित कईल जात रहे, अउरी आहुति के एगो वीरता के चिन्ह के रूप में देखल जात रहे| इहे ना एह प्रक्रिया के नाम सती एही से रखल गईल रहे ताकि धार्मिक रूप देवल जा सके|

चुकी हिन्दू समाज में प्रत्येक पतिवृता स्त्री जे आपन स्तित्व के रक्षा करेला उ सती कहाला| पौराणिक कथा में नायिका सावित्री आपन पति सत्यवान के जीवन के यमराज से छुडवा के आपन सतीत्व के रक्षा कईले रही| इहे कारन रहे की ओह सावित्री के सती के उपाधि मिल गईल रहे| जब भी घर परिवार के बात आवेला त सती सावित्री के उदहारण सुने के मिलेला| लेकिन एगो चीज ना बुझाईल कि एह प्रथा के सती काहे कहाईल| चुकी सावित्री जी छीन के लाइल रही अपना पति के यमराज के ना कि सावित्री जी खुद पहुच गईल रही अपना पति लगे स्वर्गवास| हलाकि हिन्दू धर्म में एह से जुडल शायद कवनो पप्रमाण नईखे जवन सती प्रथा के बल देत होखे|

जईसे रामायण ले लिही राजा दशरथ के मरला के बाद तीनो रानी में से कवनो जानी सती ना भईली| रावण के वध के बाद रानी मंदोदरी आ कवनो रानी सती ना भईली| महाभारत में एगो घटना मिल सकेला लेकिन ओकरा से सती ना कहल जा सकेला ओकरा के आत्महत्या कहल ज्यादा उचित होई| काहे कि बनवास में जब राजा पांडू के मृत्यु भईल रहे त उनकर छोटकी रानी माद्री ले लागल की उहे उनकर मृत्यु के कारन रही एह से उ स्वेक्षा से बईठ गईल रही| एकरा से सती ना कहनी ह काहे की अगर सती ही रहित त उनकर बडकी रानी कुंती के भी होखल चाहत नु रहे| लेकिन अइसन ना भईल रहे|

एकरे से लगभग मिलता जुलता एगो अउरी खतरनाक प्रथा रहे जौहर प्रथा| एकर शुरुआत राजपूत घराना में भईल रहे| लोग के कहनाम रहे की इ सती प्रथा से बिल्कुल अलग बा| काहे कि सती प्रथा धार्मिक कारन से होत रहे लेकिन जौहर प्रथा आपन अस्तित्व आ आदर्शन के रक्षा खातिर होत रहे| हालाँकि पूरा मैकेनिज्म एके लेखा रहे| ओहिजो पत्नी के पति के पार्थिव शव के साथे जला देवल जात रहे आ एहिजो| जौहर प्रथा चले के पीछे मुख्य कारण इ रहे कि राजपूत राजा जब युद्ध के हार जात रहन त विदेशी आक्रमणकारी से एगो बात के भय रहत रहे कि ओह लोग के पत्नी के साथ बलात्कार मत करे लागस| विदेशी आक्रमणकारी करत भी रहनजा हारला के बाद|

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जबकि दक्षिण भारत आ महाराष्ट्र आदि में महिला लोग खुद अपना पति के साथे कदम से कदम मिलाके युद्ध लड़त रहिजा| एह सब प्रथा के अंग्रेज शासक भी भरपूर इस्तेमाल कईले रहन जा| अंग्रेजन के शासन दू भाग में बा| पहिला ईस्ट इंडिया कंपनी 1757-1857 तक आ दूसरा ब्रिटिश शासन 1857-1947 तक| पहिला शासन में ईस्ट इंडिया कंपनी लोगन के जमीन हडपे खातिर पाहिले आदमिन के मरवा देत रहे बाद में प्रथा के अनुसार उनकर पत्नी के सामाजिक कुरीति के माध्यम बना के मार देत रहे लोग| फिर पूरा सम्पति ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम कर लेत रहे|

आज समाज में कईसन कुरीति बा?

एह में कवनो दू मत नईखे कि आजादी के बाद औरत लोग शैक्षिक, राजनीतिक सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, प्रशासनिक, खेलकूद आदि विविध क्षेत्रन में उपलब्धि हासिल कईली| आज महिला लोग पाहिले के अपेक्षाकृत आत्मनिर्भर, स्वनिर्मित, आत्मविश्वासी बाड़ी जा, जे पुरूष प्रधान चुनौतीपूर्ण क्षेत्रन में भी आपन योग्यता के प्रदर्शित कईले बाड़ी जा| उ लोग खाली शिक्षिका, नर्स, स्त्री रोग के डाक्टर ना बन करके बल्कि इंजीनियर, राजनीती, पायलट, वैज्ञानिक, तकनीशियन, सेना, पत्रकारिता, बैंक में उचा-उचा पद जईसन नया-नया क्षेत्र में आपन प्रतिभा के परिचय दे रहल बाड़ी जा|

उदारहण के रूप में देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद प श्रीमती प्रतिभा पाटिल, लोकसभा स्पीकर के पद प मीरा कुमार रह चुकल बाड़ी आ अभी फिलहाल में सुमित्रा महाजन बाड़ी उहो महिला ही हई| एकरा अलावां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, मायावती, वसुन्धरा राजे, सुषमा स्वराज, जयललिता, ममता बनर्जी, शीला दीक्षित, स्मृति ईरानी आदि महिला लोग राजनीति के क्षेत्र में शीर्ष प आसीन बाड़ी जा| भारत में लगभग आधा बैंक आ वित्त उद्योग के अध्यक्षता महिला लोग के ही हाथ में बा|

उदाहरन के रूप में अरुधंति भट्टाचार्य भारत के सबसे बड बैंक ‘स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया’ के अध्यक्ष के पद के सुशोभित कर रहल बाड़ी| एकरा आलावा चंदा कोचर-आईसीआईसीआई, बैंक- रेणु सूद कर्नाड – एचडीएफसीआई, लिमिटेड चित्रा रामकृष्ण – नैशनल स्टॉक एक्सचेंज, शिखा शर्मा-एक्सिस बैंक, शुभलक्ष्मी पणसे – इलाहाबाद बैंक आफ इंडिया, आदि जईसन बहूत सारा अउर भी उदहारण बा| असही लगभग हर क्षेत्र जईसे खेल-कूद, प्रशासनिक क्षेत्र, सामाजिक कार्यकर्ता में महिला लोग आपन प्रतिभा के परिचय देत आइल बाड़ी जा|

हालाँकि आज के आधुनिक इतिहास में बहूत सारा प्रथा जईसे सती प्रथा, जौहर प्रथा, विधवा पुनर्विवाह प रोक आदि ख़त्म हो गईल बा| लेकिन पर्दा, बाल विवाह, भ्रूण हत्या, यौन उत्पीडन, घरेलु हिंसा तस्करी जईसे कुरीति आजो आपन बरियार पैठ बनईले बा| अइसन बिल्कुल नईखे कि संविधान में एह सब के लेके कानून नईखे| लगभग सारा कुरितिन के खिलाफ कानून बा| लेकिन ढंग से इम्प्लेमेंट नईखे कईल गईल| अभी हाल में कुछ सप्ताह पहिले हरियाणा में भईल हिंसक जाट आन्दोलन में गाड़ी रोकवा के औरतन के साथे गैंगरेप कईल गईल|

आए दिन महिला उत्पीडन के मामला आवते रहेला| फिल्म इंडस्ट्रीज से लेके ऑफिस डेस्क तक हर जगह आज स्त्री के एगो बरियार अग्निपरीक्षा से होके गुजरे के परत बा| हतना कानून बना के कहाँ कुछ कम भईल बा? हाल में केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल तक के महिला के प्रवेश प प्रतिबन्ध लगा देवल गईल रहे| जब महिला आ पुरुष में कवनो वेद, उपनिषद, आ कवनो शास्त्र में भेदभाव नईखे कईल गईल त ओहिजा काहे होत बा उ समझ के बाहर के चीज बा|

21वां शताब्दी में अईसन कुल हास्यापद लागेला| इहे ना पीरियड वाली औरत लोग के रसोई घर तक जाए के मनाही आजो बा| एह सब चीज के पाहिले एगो मीथ इहो रहेला कि पीरियड वाली औरत खातिर एगो बहाना बनावल गईल रहे ताकी आराम करे अउरी काम धाम से दूर रहे| चुकी सास वाला समीकरण में आराम नाम के शब्द के कमी के चलते अईसन प्रक्रिया के लावल गईल रहे| हो सकेला पाहिले अईसन कारन होखे लेकिन आज नईखे| एह से अइसन कुरितिन के दूर कईल काफी जरूरी बा| काहे कि अब औरत-लड़की सब लोग आपन समस्या प खुल के बात करे शुरू कर देले बा| एह से ओइसन रुढ़िवादी धरना के अब समाज में जगह ना होखे के चाही|

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अइसन बिल्कुल नईखे कि इ चुनौती खाली हिन्दू समाज में बा| बल्कि मुस्लिम समाज के भी बुरी तरह से जकडले बा| मुस्लिम समाज आजो पर्दा प्रथा से उबर नईखे पाइल| तीन तलाक वाला तलवार आजो गर्दन प लटकत रहेला| एह समाज में भी दरगाह के ‘गर्भ-गृह’ में प्रवेश मुस्लिम महिला के वर्जित रहेला| मुंबई के हाजी अली दरगाह के कब्र तक प महिला लोग के गईल बर्जित बा| एकरा पीछे भी सामाजिक अधविश्वास के सहारा लेवल जाला| ओहिजा के कर्ता-धर्ता के इ तर्क रहेला कि ‘कब्र में दफ़न बुजुर्ग लोग के मजार प आवे वाली औरत निवस्त्र दिखाई देवे ली, लिहाजा महिला लोग कब्र तक नईखी जा सकत| एह से महिला लोग कमरा के बाहर जाली प आपन मन्नत के धागा बाँध सकेली जा’|

जबकी ज्यादातर कब्रगाह भारत के प्रमुख शहरन के बीचे ही बा जहाँ महिला लोग के आवाजाही बिल्कुल आम बात बा| उदाहरण के रूप में अकबर, हुमायूं, जहांगीर, सफदरजंग, लोधी, चिश्ती, अउरी गालिब तक के मजारन आ मकबरा में महिला लोग बेरोक-टोक जालिजा| एकरा अलावां शैक्षणिक संस्था में भी चुनौती बा| जईसे मदरसा आदि में भी अब समय के अनुसार तकनिकी बदलाव के जरूरत बा| धार्मिक शिक्षा के एगो पैमाना तय करके तकनिकी चीज के पढाई प ध्यान दीवावल जरूरी बा| एह से मुस्लिम लडकिन के आत्मविश्वास प चार चाँद लाग जाई|

स्कूली जीवन के एगो मित्र बाड़ी उनका से मुस्लिम समाज के हमरा अनुभव मिलत रहेला| काफी खुल के कई गो मुद्दा प बात करेली| एह सब करे खातिर धार्मिक कहानी आ जादू टोना जईसन चीज के सहारा लेल जाला| एगो बड़ा ही हास्यापद बात हमरा के बतईले रही| नानी के घर जब गईली त नानी उनका के शिक्षा देवे लागली कि बॉलीवुड फिल्म आदि से लईकिन के दूर रहे के चाही हमनी के इस्लाम में इ हराम बा| उनकर नानी कुरान के कवनो आयात के उदाहरण देले रही| तब फटाक से प्रश्न कईले कि नानी बॉलीवुड त नब्बे के दशक में आइल आ हमनी के कुरान बहूत सैकड़ो साल पूरान ह त इ कईसे हो सकेला?

एह प खिसिआके कहली कि आज के लईकिन में इहे दिक्कत बा ढेर सवाल-जवाब करे लगलिसन| जब नईखे समझे के त मत समझ| एह कहानी के इहे पता चलत बा कि एहू समाज में आजो कुरियाँ बा लेकिन आधुनिक लड़की सवाल जवाब करे शुरू कर देलिसन जवन कि एगो सुखद संकेत बा समाज खातिर| ज्यादातर जगह प कुरान के मिस इन्टरप्रेट करके ट्रांसलेशन कईल गईल बा| हमरा समझ से कवनो धार्मिक ग्रन्थ सामाजिक कुरीति के जगह ना देले बल्कि लोग गलत तरीका के पेश करके सामाजिक कुरीति उत्पन्न कर देवे ले|

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    Santosh Kumar Patel

    बहुत बढ़िया सार्गर्भित आ शोधपरक। लिखत रहीं।
    साधुवाद।

    March 8, 2017
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