देश में कव दशक से धर्म के नाम प वोट बैंक के राजनीति होत रहल बा| हरेक चुनाव में बस इहे सुने के मिलल बा कि हम ‘मुस्लिम खातिर हई कर देब हउ कर देब’| लेकिन सच्चाई इ बा कि इ सब कहके सच्चा हितैषी बने खेल त शुरू हो जाला लेकिन कोई कुछ ना करे| एह शोर में मुस्लिम समाज के असली चुनौति मुद्दा बने से अछूता रह जाला| राजनीती के एह दंगल में ज्यादातर नेता मुस्लिम पुरुष लोग के ही केंद्र में राखेला| महिलान के मूल समस्या प चर्चा ही ना हो पावेला| मुस्लिम समाज में महीलान के अधिकार कहाँ बा? एह सब विषय प बहुत कम ही चर्चा हो पावेला| अइसन बिल्कुल नइखे कि वोट बैंक के राजनीती हाल के बोअल बिया ह| बल्कि एकर जड़ इतिहास में भी रहल बा|
वोट बैंक के राजनीती कतना बुरी तरह से हावी बा एकर प्रमाण इतिहास के एगो घटना से मिलेला| मुस्लिम महीलान के अधिकार के लड़ाई 1985 में शाहबानो के मामला के साथे शुरू भईल रहे| इदौर के रहे वाली 62 साल के शाहबानो तलाक के बाद गुजारा-भत्ता ना मिलला प अपना पति के खिलाफ सीआरपीसी के धारा 125 के तहत सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर कईली| कोर्ट उनका हक़ में फैसला सुनवलस| मुस्लिम समाज में पुरुष लोगन के कान खड़ा हो गईल अउरी तात्कालीन कांग्रेस सरकार प दबाव बनावे लागल|
तात्कालीन कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसला के पलटत ‘मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स ओंन डाइवोर्स एक्ट 1986’ पारित कईलस| एह कानून के नाम त बा जईसन वीमेन खातिर कतना बरियार कानून बनावल गईल बा| लेकिन एह कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मिले वाला गुजारा भत्ता प भी रोक लाग गईल| मुस्लिम महीलान के अपाहिज त सरकारे नु बनवले बिया|
देश में मुस्लिमों के सामाजिक, आर्थिक अउरी शौक्षणिक स्तर जाने खातिर 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा गठित ‘सच्चर समिति’ के रिपोर्ट सब लोग के कान खड़ा कर देवे ला| एह रिपोर्ट में सबसे ज्यादा ख़राब स्तिथि मुस्लिम महिलान के रहे| मुस्लिम महीला लैंगिक भेदभाव, धार्मिक भेदभाव, पर्दा प्रथा, तिन तलाक प्रथा(तलाक ए बिद्दत), बहु पत्नी प्रथा अउरी हलाला प्रथा आदि जईसन कुरीतियन से आजो तंग बा|
एह सबी चुनौतिन से लडे खातिर देश में एगो बरियार मुस्लिम महिला आन्दोलन के जरूरत बा| का मुस्लिम महीलान संघे होखे वाला लैंगिक भेदभाव भारतीय संविधान के मूलभूत अधिकार जईसन अनुच्छेद 14(समानता के अधिकार), अनुच्छेद 15(धर्म, जाती, लिंग के आधार प कवनो नागरिक से भेदभाव ना करे के), अनुच्छेद 21(जीवन अउरी निजता के संरक्षण के अधिकार) के उल्लंघन नईखे होत?
मुस्लिम महिला आन्दोलन के जरूरत काहे बा?
मुस्लिम समाज आजो पर्दा प्रथा से उबर नईखे पाइल| तीन तलाक वाला तलवार आजो गर्दन प लटकत रहेला| एह समाज में भी दरगाह के ‘गर्भ-गृह’ में प्रवेश मुस्लिम महिला के वर्जित रहेला| मुंबई के हाजी अली दरगाह के कब्र तक प महिला लोग के गईल बर्जित बा| एकरा पीछे भी सामाजिक अधविश्वास के सहारा लेवल जाला| ओहिजा के कर्ता-धर्ता के इ तर्क रहेला कि ‘कब्र में दफ़न बुजुर्ग लोग के मजार प आवे वाली औरत निवस्त्र दिखाई देवे ली, लिहाजा महिला लोग कब्र तक नईखी जा सकत| एह से महिला लोग कमरा के बाहर जाली प आपन मन्नत के धागा बाँध सकेली जा’|
जबकी ज्यादातर कब्रगाह भारत के प्रमुख शहरन के बीचे ही बा जहाँ महिला लोग के आवाजाही बिल्कुल आम बात बा| उदाहरण के रूप में अकबर, हुमायूं, जहांगीर, सफदरजंग, लोधी, चिश्ती, अउरी गालिब तक के मजारन आ मकबरा में महिला लोग बेरोक-टोक जालिजा| एकरा अलावां शैक्षणिक संस्था में भी चुनौती बा| उदारहण के रूप में मदरसा आदि में अब भी समय के अनुसार तकनिकी बदलाव कवनो ख़ास नइखे भईल| घरेलु हिंसा अउरी महीलान के संघे दोयम दर्जा के लगातार व्यवहार होत आइल बा| एकर एगो श्रृंखला बा| पाहिले घरेलु हिंसा फिर लड़ाई-झगडा अउरी अंत में तिन बेर तलाक तलाक तलाक आ सब ख़त्म| ना कवनो प्रकार के मेहर दिआला अउर नाही कवनो प्रकार के भरण-पोषण खातिर गुजारा भत्ता|
इहाँ तक कि कव गो मामला अईसन भी सामने आवेला जवना में एगो पति दू दू गो महीलान से शादी करेला अउरी दुनो औरतन के दुसरका बियाह के बारे में पता ना रहेला| तनी रउए सोचीं कि 45-50 साल के महिला के एगो पति असही छोड़ देत बा जेकरा लगे ना शिक्षा बा ना जवनो जोगाड़ जवना से जीविका चला सको| तलाक देवे के तरीका बड़ा ही अजूबा बा| कहीं ईमेल प त कही व्हात्सप्प प| उदहारण के रूप में अभी हाल में सायरा बानू नामक महिला के उनकर पति रिजवान एगो चिठ्ठी लिखके तलाक दे दिहले| एह प सायरा बानू कानूनी लड़ाई लड़ रहल बाड़ी कि अइसन तलाक कुरान सम्मत नइखे| एह विषय प ‘आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ इ कहके एह मामला के ठुकरा रहल बा कि मुसलमानन के धार्मिक स्वतंत्रता प न्यायपालिका विचार नइखे सकत| तब इ बताई कि मुस्लिम महिला गरिमा के जीवन कईसे जीवो ?
अइसन हजारो शायरा बानू बाड़ी जे अइसन समस्या से जूझ रहल बा| बस जरूरत बा एगो बढ़िया प्लेटफॉर्म के जहाँ एगो बरियार लीडरशिप शामिल होखे| तब जाके इ आवाज न्यूज़ के प्राइम टाइम प लौउकी आ एह प चर्चा होई| हम कव गो बुद्धिजीवी अउरी तार्किक लोगन के कहत सुनने बानी कि तिन तलाक प्रथा अब मुस्लिम देशन में ख़त्म हो गईल बा एह से भारत में भी अब ख़त्म होखे के चाही|
हमरा समझ से शर्म करे के चाही कि आज अईसन समय आ गईल बा कि एगो लोकतांत्रिक देश में बदलाव खातिर एगो गैरलोकतांत्रिक देश के उदहारण लेवे के परत बा| जबकी एगो लोकतान्त्रिक देश होखे के नाते उ सब देश से बहुत पहिलही अइसन कुरीति प रोक लाग गईल चाहत रहे| एह सब के जड़ बा ‘वोट बैंक के राजनीति’| वोट बैंक दू रूप में उभरेला एगो सकारात्मक अउरी दूसरा नकारात्मक| नकारात्मक पहलु जवन हमनी के लउक रहल बा| एकर सकारात्मक पहलू हो सकेला अगर कवनो नेता नितीश कुमार लेखा महिलान के वोट बैंक बनावे खातिर मुस्लिम महीलान के टारगेट करके चलो|
तलाक के बिद्दत के अनुसार जवन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के किताब में बा कि अगर कोई देवालों प तीन बेर तलाक लिख के चल जात बा आ औरत पढ़ लेत बिया त तलाक मनाई| अउरी अगर ओह औरत के ओह शौहर से दोबारा शादी करे के बा त ओकरा पहिले दोसरा मर्द से शादी करके आ तलाक देके आवे के परी| एह प्रथा के कहाला ‘हलाला प्रथा’| का इ प्रथा रेप के सही नइखे ठहरावत? तलाक कवनो गलत चीज ना ह लेकिन ओकर प्रक्रिया कईसन बा एह प ध्यान देवल बहुत जरूरी बा| एगो सिस्टेमेटिक तरीका से दिआओ त कवनो दिक्कत नइखे| लेकिन दाल में निमक नइखे त तलाक, बच्चन के स्कूल खातिर समय प तईयार ना कर पावला प तलाक, दारु पी के नशा में बोलल जईसन तलाक इस्लाम खातिर एगो मजाक बा| एह प चर्चा भईल बहुत जरूरी बा|
मुस्लिम महीलान के आवाज उठावे वाली एगो संस्था बिया ‘भारतीय मुस्लिम महिला आन्दोलन’ जवना के गठन 2007 में भईल रहे लेकिन आजो सशक्त नइखे हो पाइल| इ संस्था नवम्बर 2015 में दस राज्यन में लगभग 4700 महीलान के बीच सर्वे कईलस| जवना में 92.1 प्रतिशत महिला लोग जुबानी अथवा एकतरफा तलाक के गैरकानूनी घोषित करे के मांग कईले बाड़ी| 91.7 प्रतिशत महिला लोग बहुविवाह के खिलाफ बाड़ी| एकरा अलावां 83.3 प्रतिशत महीलान के मानना बा कि मुस्लिम महीलान के न्याय दिवावे वाली मुस्लिम फॅमिली लॉ के विधिसम्मत (कोडीफाई) करे के जरूरत बा| अइसन सर्वे अउरी जांच के उम्मीद सरकार से करे के चाही| लेकिन सरकार हमेशा लेखा अभियो खामोश बिया|
कोई कुछ नइखे करत खाली राजनीती करताs
देश में जतना राजनितिक पार्टी बाड़ी सन सब के सब आपन रोटी सेके में लागल बा| कवनो चुनाव में एह समस्यांन के मुद्दा के रूप में ना लावल जाला| सारा पार्टींन के ध्येय रहेला कि मुस्लिम कार्ड खेली| कांग्रेस बिया हमेशा डेरवावे के कोशिश करेले कि हमरा के वोट द ना त बीजेपी जीत जाई| एकर इहे मैनिफेस्टो रहेला| AIMIM जईसन मुस्लिम डोमिनेंटड पार्टींन के भाषण गुजरात 2002 से शुरू होके ओहिजे ख़त्म हो जाला| खाली परुषंन के बाइनरी बनाके खड़ा करे के कोशिश करेला| एकर मैनिफेस्टो इहे ह| एह से मुस्लिम समाज के महीलान के बारे में राजनितिक पार्टींन के तरफ से चर्चा बहुत कम मिल पावेला| अइसना में एगो गहिराह लीडरशिप के जरूरत बा जवन मुस्लिम महीलान के आवाज बन सके|
कुछ संगठन बाड़ी सन जवना के लोग आधार मान के चलेला| जईसे ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के आज एगो सरकारी संस्था के रूप में लोग तवज्जो देला जवन कि बिल्कुल उचित नइखे| जब भी सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करके कुछ बढ़िया करे के कोशिश करेला तब एगो बेचारगी वाला मुस्लिम विक्टिम कार्ड के खेल शुरू हो जाला, जईसे भारत में इस्लाम खतरा में पड़ गईल होखे| अल्पसंख्यक के देश में जगह नइखे रह गईल| जबकी सच्चाई इ बा कि इ संस्था कवनो सरकारी संस्था ना ह| इहो एगो एन.जी.ओ. लेखा रजिस्टर्ड बोर्ड ह|
एकरा लेखा लाखों संस्था देश में बाड़ी सन लेकिन फिर भी एह्के ज्यादा तवज्जो काहे दिआला| एह लोग के पास कवनो कानूनी अधिकार नइखे लेकिन तबो कानूनी मामला में हस्तक्षेप करत रहेला| ओइसे इ लोगन के तर्क रहेला कि मुस्लिम समाज के भलाई खातिर काम करेला| अगर इ सच्चाई बा त काहे मुस्लिम औरतन के कानून के तरफ गुहार लगावे के परेला| निसंदेह सरकार भी एह लोग के गैरजरूरी अहमियत दे देले बिया|
एह तरह के एगो माहौल बनावल गईल बा कि मुस्लिम समाज खातिर इ संस्था ही अंतिम हल बा| मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एकमात्र छपल किताब में बिल्कुल गैरजिम्मेदाराना मनगढ़ंत कानून बना के कुरान के धज्जी उडावल गईल बा| पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान एकबे राज्य सभा टीवी प अंडरलाइन करके मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अइसन कानून के खुलासा कईले| देवार प लिख के तलाक देवे के प्रक्रिया के सही ठहरावे वाला एकरे किताब में मिलेला|
सच में एह तरह के माहौल बनावल गईल बा कि जे आँख, कान आ मुह बन करके एह बोर्ड के ना मानी ओकरा के इस्लाम से ख़ारिज कर देवल जाई| लगभग 85-86 में हतना बड आन्दोलन चलल| शाहबानो के लेके कानून पास भईल| एकरा बावजूद सेक्शन 125 में सबसे ज्यादा केस मुस्लिम महीलान के ही बा| मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड त कहेला कि इ सब कईल इस्लाम के खिलाफ बा| त सवाल इ बा कि काहे मुस्लमान औरत लोग उनकर बात नईखी जा सुनत?
सवाल इहो उठत बा कि हजरत उमर जे तीन तलाक के इजाजत देले रहन| उ तलाक देवे वाला के संघे का करत रहन? उ चालीस कोड़ा लगवावत रहन| जब इस्लामी कानून बढ़िया से लागू होता त पूरा तरीका से लागू होईत| तब काहे कवनो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जाके इ ना कहे कि कानून में एगो अउरी लाइन जोड़ दिहिजा कि जे तलाक दिही ओकरा चालीस कोड्वो मारल जाव| सबसे बड दिक्कत इ बा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ना त अपना कानून में बदलाव चाहत बा अउरी नाही यूनिफार्म सिविल कोड जईसन जरूरियात कानूनन प सहमती जतावत बा| एह से मुस्लिम महिला समाज में एगो बरियार आन्दोलन उठे के चाही जवन कुरीतियन से गंभीरता से लडे अउरी उचित हल के तरफ बढे जवना से सभे के सामूहिक विकास संभव होखे अउरी लैंगिक असमानता के कम कईल जाव|
सबसे पाहिले होखे के इ चाही कि कोडीफाई मुस्लिम फॅमिली लॉ बनावल जाव| सारा समुदाय चाहे हिन्दू होखे या इसाई सब लोग के यूनिफार्म कोडीफाई कानून बा, जवन शादी से जुडल मुद्दान खातिर नियम बतावेला| मुस्लिम समुदाय में अब तक अईसन कवनो कानून नइखे| कुरान के नाम प बहुविवाह, जुबानी तलाक जईसन कुप्रथान के प्रश्रय देवेला| एह सब समस्यांन के हल ढूढल बेहद जरूरी बा|
एह से कवनो देश के नैतिक अउरी आर्थिक विकास तबे संभव बा जब ओकर प्रत्येक वर्ग हर क्षेत्र में विकास करे| सामाजिक-आर्थिक-शैक्षणिक विकास तबे संभव बा जब ओकर मानव विकास स्तर सुधरी, एहसे देश में रहत हर वर्ग आ समूह के विकास सीधे तौर प देश के विकास पर प्रभाव डालेला| एहसे इ जरूरी बा कि विकास चौतरफा होखे अउरी हर क्षेत्र आ वर्ग के ध्यान में रखके कईल जाव|
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