आज काल राजनितिक उठा-पटक में “आप” एकदम बरियार अझुराइल बिया. कुछ दिन पाहिले एगो आर्टिकल पढले रहनी सम्पादकीय में, जवना में इ बात प चर्चा भईल रहे कि अंग्रेजी के उपन्यासकार अपना उपन्यास में एगो चीज लिखले बाड़े जा कि TRP जनरेटिंग मशीन आ मीडिया टाइकून अउरी लोबिईस्ट लोग के जब कवनो घटना ना मिलल त खुद घटना करवावल लोग ताकी TRP बटोर सकस. अइसही एहो घटना इतिहास के याद आवेला जवना में देश के तरफ ने मूस ख़तम करके निर्देश दिहल गईल रहे कि जे मुस के मार पूछ लाई प्रूफ के रूप में ओकरा के इनाम मिली.
ओकर दुष्परिणाम इ भईल कि लोग मूस पोसे लागल ताकी ओकर कमाई होखो. ठीक वैसही कोनो नियम बनावल जाता पार्टी के अन्दर त सकारात्मक पहलु के खातिर त ओकर दुष्परिणाम के तरफ लोग सोचेलागेला. मननी की पार्टी में आपन विचार रखे के रुआ के स्पेस दिहल बा एकर मतलब इ बिल्कुल ना भईल कि छोट लईकन लेखा इ कही कि हई करs ना तs प्रेस कांफ्रेंस करके हई कs देब हाउ कs देब.
इ आवाज उठावे के तरीका ना हवे इ जबरन कौनो बात के भड़ास उतरेके अउरी विरोह करेवाला तरीका हवे. इ बात ठीक बा कि ताली एक हाथ से ना बाजे लेकिन हमरा समझ के हिसाब से यादव जी कुछ ज्यादा फायदा उठावाताड़े अपना राजनितिक अनुभव के, वास्तविक जीवन में भी कोई ना सही अइसन अनुशासनहीनता, अगर इ काम रुआ अपना कंपनी में बॉस के साथे करब तs गारंटी के साथ कह सकेली कि ओकरो से फुहर गाली देत रुआ के बाहर के रास्ता देखाई.
इ बात भी सही बा कि रुआ एकतरफ अलग राजनीती करके दावा करतानी ओकरा में अंतर दिखता. लेकिन हमरा नइखे लागत कि विकास के काम ओह से रुकल बा फिर भी दिल्ली के बाहर रहे वाला लोग दिल्ली के जनता के अन्धाधुन गरिया रहल बा. उहे नशामुक्ति अभियान चलावे गईल रहले भाजपा के तेज तरार नेता हर्षवर्धन के आपन स्वस्थ्य मंत्री पद से हाथ धोवे के पर गईल जवन नशामुक्त करेके आदेश दिहलस. कई वायदा भी पूरा भईल बिया जवन की बाकी के पार्टी से अपना के अलग रखले बिया. दुसरका बात अगर योगेन्द्र यादव के सारा प्रस्ताव के ढंग से पढ़ल जाव तs दुगो बात निकल के अवाता.
पहिला कि उ चाह्ताड़े कि उनको केजरीवाल वाला वीटो पॉवर मिल जाओ जवना से स्वतंत्र निर्णय ले सकस यही से बेचैन बाड़े राज्य के चुनाव वाला मसला पर निर्णय के पॉवर राज्य के देवे खातिर. दूसरा फायदा इ कि उ नवीन जयहिंद के हटा सकस रास्ता से ताकि हरियाणा के जंगल के शेर बन सकस. मूल रूप से टकराव के मुख्य कारण नविन जयहिंद के मसला भी बा जवन की बहूत पुरान बा. उहे बात बा एक म्यान में दू गो तलवार कइसे रह सकेला.
ध्यान से उनकर बात सुनल जाओ तs उ इ बात भी बीच बीच में कहताड़े की हमनी के केजरीवाल के नेतृत्व में ही काम कईल चाहत बानी जा. एह से एकतीर से दू गो शिकार होत नजर आवता. प्रशांत भूषण के कवनो गलती नइखे जवन कहाता तवन कराताड़े काहे की राजनितिक समझ बेहद कम बा भूषण जी के पास. केजरीवाल के एकदम सही नब्ज पकडले बाड़े योगेन्द्र यादव जवना से आपन बात के प्रधानता देवे खातिर प्रेशर बना सकस, उ पाहिले भी बहूत कोशिश कइले रहले लेकिन वाजिब सफलता ना मिलल रहले अबकियो कवनो खास सफलता नइखे लउकत.
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