केंद्र के मंत्रिमंडल बांग्लादेश के साथे थल सीमा समझौता के क्रियान्वयन करे खातिर मंजूरी दे देले बिया जवना में पश्चिम बंगाल, मेघालय, असम औरी त्रिपुरा से जुडल क्षेत्र भी शामिल बा लेकिन एह समझौता से कुछ प्रश्न भी खड़ा होत बा. सबसे पाहिले इ बतावल चाहब कि इ समझौता ह का. इ मूल रूप से संविधान के 119वा संसोधन हवे, एकरा लागु होखला के बाद बंगलादेशी परिक्षेत्र में रहे वाला भारतीय नागरिक के बांग्लादेश के नागरिकता मिल जाई अगर उ ओहिजे रहल चाहत बाड़े तs.
ठीक ओइसही भारत में रहे वाला बंगलादेशी नागरिक के भारत के नागरिकता मिल जाई अगर उ लोग भारत में रहल चाहत होइहे त. सबसे पाहिले 1974 में भईल रहे बांग्लादेश अउरी भारत के समझौता के मजबूती देवे खातिर संविधान के पहिला अनुसूची के संसोधन कईल गईल रहे.
ओकरा बाद 2011 में जब मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री रहले तब संसद में पेश भईल रहे जवना में दुनु देश के प्रधानमंत्री शेख हशीना जी अउरी मनमोहन सिंह जी एह समझौता प हस्ताक्षर कईले रहले लोग. ओह घरी भाजपा विपक्ष में रहे खूब जम के घेरले रहे जवना में राष्ट्र के सत्यानाश लउकत रहे भाजपाई नेता लोग के, परिणामस्वरुप लटकल रह गईल. अब सोची सोनिया गाँधी भी उहे काम करती जवन उ लोग कईले रहे तब फिर लटकल रह लेकिन अच्छा राजनितिक समझ से पास भईल.
कांग्रेस के असहमति खैर असम वाला लेके अभी भी बा कि ओकरा के एह में शामिल ना कईल जाव. बांग्लादेश से भारत के 36 के आकडा वाला बात भी नईखे, एकर इतिहास भी गवाह बा काहे कि इंदिरा गाँधी, शेख हशीना के पिताजी शेख मुजीबुर्रहमान खातिर मसीहा रही जे बांग्लादेश के आजादी दिलाईले रही.
एह बात के मोदी जी खुद मनले बाड़े की असम वाला थोडा घाटा वाला सौदा जरूर बा लेकिन ओह से फायदा ढेर बा. एकरा में दू गो पक्ष बा, पहिला पक्ष बा कब्ज़ा वाला जमीन जवना में समझौता में मुताबिक भारत के लगभग 17 हजार एकड़ (द हिन्दू के मुताबिक) अउरी लगभग 37 हजार नागरिक के साथे बांग्लादेश के सौपे के बा जवना में सबसे ज्यादा जमीन असम के क्षेत्र से जाई अउरी मानचित्र में भी काफी कुछ बदलाव जरूर आई. एकरा एवज में बांग्लादेश लगभग 7 हजार एकड़ भूभाग के साथे लगभग 14 हजार नागरिक के भारत के हवाले करी.
खैर डाटा देखे में जरूर लागी कि भारत अइसन घाटा वाला सौदा काहे करता लेकिन एकर फायदा भी बा, पहिला बात इ बतावल चाहब की जवन जमीन भारत बांग्लादेश के देवे के समझौता कईले बा उ बांग्लादेश के कब्ज़ा मे पहिलेहि से बा बस अब खाली कागजी औपचारिकता पूरा हो रहल बा.
इ वाला बात ठीक ओकरे लेखा बा जैसे दिल्ली में लोग झुग्गी वाला जमीन प रहे लागल अउरी कवनो सरकार बनल फिर कागज प रजिस्ट्री क देले ओह लोग के नाम से जे लोग रहत रहे. ठीक अइसही बांग्लादेश भी भारत के उ जमीन दिही जवन भारत के कब्ज़ा में बा लेकिन कानूनन बांग्लादेश के हक में बा. इ सब त जमीन के अदला बदली वाला पक्ष हो गईल दूसरा पक्ष बा घुसपैठी प्रक्रिया में एह समझौता से अंतर पड़ी किना ?
बिल्कुल पड़ी अउरी अझुरन साफ़ हो जाई जवना चलते घुसपैठ के आशंका बढ़त रहल ह अब तक. बड़ा मुश्किल होत रहे पहिले घुसपैठियन के पता लगावल काहे कि बांग्लादेश के लोग भारत में कुछ लोग शरणार्थी के हवा देके आपण काम के अंजाम देत रहे. एकर एगो अउरी निक बात इ बा कि माइग्रेशन वाला प्रक्रिया से छुट्टी मिल जाई एकरा में ना त लोग के स्थानांतरण और रिसेटलमेंट वाला चीज अक्सर हिंसक रूप लेलेला इतिहास एकर गवाह रहल बिया.
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