स्पेन का केटालोनिया कैसे कश्मीर बन गया ?

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लगभग एक सप्ताह पहले मेरे कॉलेज के एक प्रोफेसर साहब ने मुझे एक लिंक भेजा था| समय के चलते तब तो पढ़ नहीं पाया था| कल रात को पढ़ा| लिंक ‘द गार्डियन’ पर छपा एक लेख था “Why do some Catalans want independence and what is Spain’s view?” यह लेख मुझे इतना रोचक लगा कि मै गूगल कर थोड़ी और जानकारी इकठ्ठा होने के लिए इच्छुक हुआ| स्पेन में स्तिथ केटालोनिआ की कहानी जानने के बाद दो तीन बातें समझ आई|

पहली बात कि किसी भी देश में अगर आंतरिक संकट उत्पन्न होता है तो उसमे मुख्य हाथ वहाँ के चरमपंथियों का होता है| चरमपंथी का तात्पर्य सिर्फ अलगावाद से नहीं बल्कि उससे भी है जो अलगावाद का जन्म देते है| दूसरी बात यह समझ आई कि अलगावाद की मुखालफत करने वाले लोग ही अक्सर अलगावाद के जन्मदाता होते है| तीसरी बात यह समझ आई कि ‘पोस्ट ट्रुथ एरा’ सच में एक्सिस्ट करता है| अलगावादी समूहों को लगता है कि अलग होने में ही फायदा है वही तरक्की का अंतिम जरिया है जो कि एक कल्पित कथा है|

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‘भावनाओं’ को आधार बनाकर पूरी दुनिया में राजनीती कर चुनाव जीता जा रहा है| यह एक पैटर्न बन चूका है| चाहे बात भारत की करे या फिर अमेरिका, ब्रिटेन या स्पेन के केटालोनिआ प्रान्त की| यह सब जानते थे कि मोदी जी सत्ता में आने के बाद सबके अकाउंट में 15-15 लाख रूपए नहीं देने वाले है| ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति से अमेरिका अपने आप को वैश्विक स्तर पर दूर नहीं कर सकता है| उसे बाक़ी के गरीब देशों को भी साथ में लेकर चलना ही पड़ेगा अन्यथा अंतराष्ट्रीय संस्थानों से अपनी लीडरशिप की पहचान को खोना पड सकता है| यह बात अच्छी तरह से डोनाल्ड ट्रम्प साहब भी जानते थे|

लेकिन फिर भी वहाँ के लोगों ने भावनाओं में बहकर वोट दिया| यही चीज ब्रिटेन में हुई| ब्रिटेन को ऐसा लगता है कि यूरोपियन यूनियन की नीतियों की वजह से उसका आर्थिक विकास रुका हुआ है और वहाँ से निकलते ही उनका कल्याण हो जाएगा| इसी को चुनावी आधार बनाकर राजनीती की गई| परिणाम ऐसा हुआ कि पूरा स्कॉटलैंड ने इसके उलट वोट किया| नौबत ऐसी आ गई है कि ब्रिटेन टूटने के कगार पर पहुच रहा है| ठीक यही चीज स्पेन के केटालोनिआ में हो रहा है|

स्पेन यूरोप का एक प्रमुख देशों में गिना जाता है| यह बुल फाइटिंग, प्राकृतिक सौन्दर्यता और फुटबॉल क्लब के लिए मुख्य रूप से प्रसिद्ध रहा है| केटालोनिआ स्पेन के उत्तरपूर्व में स्तिथ जिसकी राजधानी वर्सोलोना है| यह वही वर्सोलोना है जो अपने फुटबॉल क्लब वर्सोलोना FC और यहाँ के खेलने वाले प्रसिद्ध खिलाडी लियोनेल मेसी के कारण हमेशा चर्चा में रहता है| लेकिन पिछले कुछ दिनों से केटालोनिआ किसी और चीज की चर्चा में है|

इसके चर्चा में आने की वजह है केटालोनिआ प्राके प्रांतीय सरकार द्वारा स्पेन से अलग केटलोनिआ को एक अलग स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित करने की दिशा में प्रयास करना| वहाँ की जनता का एक भारी समर्थन रहा है| इसी प्राप्त जनसमर्थन के आधार पर वहाँ की प्रांतीय सरकार केटालोनिआ को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की कोशिश में लगी हुई है| जिस हिसाब से लोगो का जनसैलाब उमड़ रहा है और समर्थन मिल रहा है वो स्पेन के भविष्य पर एक प्रश्न चिन्ह निश्चित रूप से खड़ा कर रहा है| केटालोनिआ एक स्वतंत्र राष्ट्र बन पाएगा या स्पेन का ही हिस्सा बन के रहेगा इसका जवाब तो समय के गर्भ में है|

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केटालोनिआ का इतिहास लगभग हजार वर्ष पुराना है| केटालोनिआ प्रान्त की राजनितिक इतिहास 12वीं सदी के शुरू में हुई थी| तब से लेके 18वीं सदी के अंत तक केटालोनिआ एक स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में स्थापित रहा था| यहाँ पर केटालोनिआ संस्कृति का विकास हुआ था जिसकी अपनी एक अलग भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाजों और कायदे कानूनों का विकास हुआ| यह माना जाता है कि 1714 में अपेन के राजा फिलिप पंचम द्वारा केटालोनिआ को जीतकर स्पेन में मिला दिया गया|

उसके बाद से केटालोनिआ स्पेन का हिस्सा बन गया| राजा फिलिप ने केटालोनिआ के संसद, विश्वविद्यालय और राजकीय कार्यालय इत्यादि बंद करवा दिया| केटालोन लोगों पर केटालोनी भाषा को हटाकर स्पेन की कास्टिल भाषा थोप दिया| केटालोन पर स्पैनिश नियम कानून लाद दिए गए| स्पेन की इस राजशाही प्रयास ने केटालोन लोगो के भावनाओं को बेहद आहत किया| 1931 में जब द्वितीय गणराज की स्थापना हुई थी तब केटालोनिआ को पर्याप्त स्वायत्ता दी गई| इसके अंतर्गत प्रांतीय संसद, अपीलीय कोर्ट और प्रांतीय सरकार की स्थापना की गई| सरकार के प्रमुख को प्रेसिडेंट कहा गया|

लेकिन केटालोनिआ की स्वायत्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी| 1939 में स्पेन में फ्रांसिस्को फ्रांको की तानाशाही स्थापित हुई| इस राजशाही के दौरान बाक़ी के क्षेत्रों की तरह केटालोनिआ को भी कड़े नियंत्रण में रखा गया| यह तानाशाही 1975 तक चली| इन दिनों 1931 में मिली स्वायत्ता पूरी तरह से अर्थहीन हो गई| 1975 में तानाशाह फ्रैंको की मृत्यु के बाद 1978 में नया संविधान का विकास हुआ| इस नए संविधान के अनुसार केटालोनिआ को ऑटोनोमस कम्युनिटी कहा गया|

लेकिन अब प्रश्न यह उठता है कि जब स्वायत्ता मिल ही चुकी है तो वो क्या कारण है जिससे केटालोनिआ लामबंद होकर अलग राष्ट्र बनाने की बात कर रहे है? इसका पहला कारण है राजनितिक कारण है| 1978 में मिली स्वायत्ता से केटालोनिआ लोग पूरी तरह से संतुष्ट नहीं थे| और अधिक स्वायत्तता की माग को लेकर लामबंद होते रहे है और अपनी बातें कहते रहे है| इसी मांग के जवाब में 2006 में स्पेन की राष्ट्रीय सरकार और केटालोनिआ की प्रांतीय सरकार के बीच समझौता हुआ|

इस हुए समझौते में केटालोनिआ को वित्तीय, हेल्थकेयर और शिक्षा के मामले में अतरिक्त शक्तियाँ दी गई| इसके अलावां केटालोन लोगों की भावनाओं की तुष्टि के लिए केटालोनिआ को एक राष्ट्र की संज्ञा भी दी गई| इसका मतलब यह बिलकुल नहीं था कि केटालोनिआ एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया| राजनितिक रूप से यह स्पेन का ही एक अंग बना रहा| तब स्पेन में “सोशलिस्ट वर्कर पार्टी” की सरकार थी|

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लेकिन 2010 में स्पेन की कंजर्वेटिव सोंच वाली “पीपल्स पार्टी” द्वारा समझौते को न्यायलय में चुनौती दी गई| स्पेन के Constitutional court द्वारा इस समझौते की धाराएं असैव्धानिक व अवैध घोषित कर दी गई| कोर्ट ने यह कहा कि केटालोनिआ को राष्ट्र कहे जाने का कोई कानूनी आधार नहीं है| कोर्ट के इस फैसले ने कई केटालोन लोगों की भावनाओं को आहात किया| 2006 में स्वायत्ता मिलने बाद वो स्पेन के अभिन्न अंग बनकर रहने को तैयार थे| लेकिन कोर्ट के फैसले ने उनके भावनाओं को इतना भड़का दिया कि लोग अब स्वायत्ता की जगह स्वतंत्रता पर जोर दे रहे है|

इससे सम्बंधित दो अलग उदाहरण है| इसका एक सामानांतर उदहारण हमें पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के समय देखने को मिला था| शुरूआती दिनों में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लोगों को अलग देश बनाने की चाहत बिलकुल नहीं थी| वो भी स्वायत्ता मांग रहे थे लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान के दमन ने उन्हें इस कदर भड़का दिया था कि वो स्वतंत्रता मांगने लगे थे| अंत में जाके उन्हें अलग देश बनाना ही पड़ा| दूसरा उदहारण श्रीलंका में मिलता है|

श्रीलंका में तमिल और सिंघली के बीच चल रहे एथनिक टकराव में तमिल लोग स्वायत्तता चाहते थे| जब श्रीलंका की सरकार दमन करनी शुरू की तो लिट्टे जैसे समूहों का जन्म हुआ| वही बाद में चलकर जब भारत की मध्यस्तता से पीस एकॉर्ड पर हस्ताक्षर किया गया और उनकी स्वायत्ता सुनिश्चित की गई तब जाकर थोड़ा शांति का वातावरण बना| इन दोनों देशों से एक बढ़िया तजुर्बा मिलता है| अगर विविधता का ध्यान रखा जाता है तो देश का चिंतित हिस्सा अभिन्न अंग बना रहता है और अगर नहीं की जाती है तो देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है|

2011 के राष्ट्रिय चुनाव में क्षेत्रीय अखंडता को केंद्र में रखकर ‘पीपल्स पार्टी’ चुनावी मैदान में उतरी और आसानी से चुनाव जीत गए| मारियानो राजो स्पेन के प्रधानमंत्री बने| ये केटालोनिआ को स्पेन से अलग होने के विरोधी है| लेकिन एक सत्य यह भी है कि इन्ही की पार्टी ने इस अलगावाद को जन्म दिया है| स्वायत्त बनकर रहने में केटालोनिआ खुश तो थे लेकिन इन्ही लोगों के अथक प्रयास ने उन्हें अलगावाद बना दिया| केटालोनिआ के प्रांतीय चुनाव के बाद अलगावादियों का एक गठबंधन सत्ता में आया| ये पार्टिया केटालोनिआ की स्वतंत्रता के पक्षधर थी| केटालोनिआ का प्रेसिडेंट कार्ल्स पुजिमोंट को बनाया गया| सत्ता में आते ही कार्ल्स पुजिमोंट स्वतंत्र बनाने के प्रयास शुरू कर दिए| इसलिए जरूरी यह होता है कि विविधता की कदर की जाए और उनके संस्कृति और समाज को अपने तरह से जीने की पूरी छुट हो| यही एक चीज है जो देश को मजबूत बनाए रखती है|

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दूसरी तरफ अगर आर्थिक दृष्टिकोण से देखे तो केटालोनिआ समृद्ध प्रान्त रहा है| स्पेन के जीडीपी में 20% का और विदेशी निवेश में 21% का योगदान अकेले केटालोनिआ का है| यहाँ के लोगों की प्रतिव्यक्ति आय भी स्पेन के प्रतिव्यक्ति आय से काफी अधिक है| कपडे के उद्योग के लिए केटालोनिआ स्पेन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है| केटालोनिआ के लोगों का मानना है कि उनके संसाधनों का देश के अन्य हिस्सों में हस्थांतरण करके उनका आर्थिक विकास प्रभावित किया जा रहा है|

यह बातें तब भी उठी थी जब बांग्लादेश आजाद हो रहा है| बांग्लादेश (तब की पूर्वी पाकिस्तान) की यही चिंता थी कि आर्थिक रूप से संपन्न पूर्वी पाकिस्तान का शोषण हो रहा था और वहाँ की गुणवता को प्रभावित की जा रही थी| स्पेन की भी यही चिंता है कि उसको उतना फायदा नहीं मिल पा रहा जिसके वो हकदार है| उनका मानना है कि स्वतंत्र होने के बाद उनकी आर्थिक समृधि केटालोनिआ के विकास के काम आएगी| उन लोगो का कहना है कि स्वतंत्र होने के बाद उनकी शक्ति ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और नॉर्वे जैसे देशों के बराबर हो जाएगी जिससे वो अपनी क्षमता का और विस्तार कर सकेंगे|

केटालोन लोगों का मानना है कि उनकी भाषा, संस्कृति आदि स्पेन के अन्य क्षेत्रों से अलग है| केटालोन भाषा को स्कूल में पीछा ढकेला जा रहा है| यह भी उनकी चिंताएं रही है| इसके अलावां कुछ सांस्कृतिक टकराव भी रहा है| उदहारण के रूप में केटालोनिआ की संसद द्वारा बुल फाइटिंग पर 2010 में प्रतिबन्ध लगा दिया गया था| स्पेन के constitutional court द्वारा प्रतिबन्ध को असैवधानिक और अवैध घोषित कर दिया गया| जो उनके बीच असंतोष का एक मुख्य कारण रहा था| यह घटना इस बात को साबित करने के लिए काफी है कि केटालोनिआ का मालिक वो नहीं बल्कि स्पेन है|

इसलिए स्पेन के नजरिए से जरूरी है कि उनके आर्थिक संपन्नता की भी इज्जत की जाए| इसके लिए पीपल्स पार्टी को चाहिए कि वो पार्टी से ऊपर उठकर स्पेन के बारे में सोचे वही अखंडता सुनिश्चित करेगी| मेरे समझ से भी केटालोन लोगों का हित भी स्पेन के साथ जुड़े रहने में ही है| वैसे भी स्पेन किसी भी कीमत पर नहीं चाहेगा कि केटालोन उसके हाथ से जाए क्युकी इससे ना सिर्फ अर्थव्यवथा बल्कि टूरिज्म और खेल भी जुड़ा हुआ है| इसके अलगावादी नेताओं को इसे कश्मीर बनने से रोकना होगा नहीं तो स्पेन के साथ साथ उनकी व्यक्तिगत हानी भी होगी|

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