ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बदलत ढांचा (भोजपुरी)

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भारत के अर्थव्यवस्था विश्व के तीसरा बड़ा अर्थव्यवस्था ह| जब से उदारीकरण अउरी नायका आर्थिक भारत में लागू कईल गईल तब से भारत विश्व के एगो बरियार आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर के सामने आइल बा| 1990 से पाहिले मुख्य रूप से भारतीय उद्योग और व्यापार प सरकारी बोलबाला रहे| लेकिन नयका आर्थिक निति आईला के वजह से सरकारी हस्तक्षेप के एकाधिकार टूटल बा| भारत के अर्थव्यवस्था के इ स्तर बा त ओह में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बरियार भूमिका बा|

एगो बड़ा ही मजेदार बात बा कि 2008 के वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद भारत के अर्थव्यवस्था बनल रहे ओकरा पीछे मुख्य कारन इ रहे कि भारत के ग्रामीण अर्थव्यवस्था काफी मजबूत रहे जवन मोर्चा संभलले रहे| उ एह से काहे कि ग्रामीण क्रिया से अंतराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से कवनो सम्बन्ध नईखे| इन्वेस्टर कम हो जईहे शेयर गिरी आर्थिक स्तिथि ख़राब होई लेकिन ओह से गाँव के भईस दूध देवल थोड़ी न कम कर दिही| थोडा बहूत अप्रत्यक्ष रूप से पड़ सकेला लेकिन प्रत्यक्ष रूप से ना|

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था काहे जरूरी बा?

लोगन के दिमाग में एगो अन्धविश्वास रहेला कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था सिर्फ कृषि आधारित बा| जबकी कृषि के अलावां मजदूर अउरी सेवा अप्रत्यक्ष रूप से प्रदान करके आपन महत्वपूर्ण भूमिका निभावेला| भारत बहूत सारा उत्पाद के सबसे बड उत्पादक ह जवन पूरी तरफ से ग्रामीण सरोकार से जुडल रहल बा| भारत गेहू, चीनी, चावल, चाय, कपास अउरी मसाला उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान बा जवन ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुडल रहल बा| एकरा अलावां ग्रामीण बैंक ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अउरी उन्नति के एगो प्रभावी साधन रहल बा|

ग्रामीण बैंक होखे के वजह से बिचौलिया घुसखोर लोग के पीछा छुटल बा| न्यूनतम मजदूरी काफी हद तक मिले शुरू हो गईल बा काहे कि बैंक से होकर के अब पईसा मजदूर तक पहुच रहल बा| हमनी के प्रधानमंत्री जी भी एह दिशा में बेहतरीन काम कईले बानी खाता खोलवाके| एह तरह के फाइनेंसियल इन्क्लूजन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हालत काफी सुधरी|

अगर ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत रही त छोट बड आर्थिक संकट भारत के अर्थव्यवस्था ना हिला पाई| जवना रफ़्तार से पर्यावरण के शोषण प्रक्रिया चल रहल बा ओह से इ अनुमान लगावल जा सकेला कि एक दिन अइसन आई कि लोग बड़े बड़े बिल्डिंग आ कंपनी तुर के खेती करे प मजबूर होई| काहे कि अगर प्राथमिक क्रिया ख़त्म हो जाई त द्वितीय क्रिया खातिर कच्चा माल कहाँ से आई? आयात करके विकास कईल काफी मुश्किल बा| एह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बचावल काफी जरूरी बा|

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ग्रामीण इलाका में पशुपालन, मत्स्यपालन अउरी छोट मोट अनऑर्गनाइजड दोकान के सहारे ढेर लोग के व्यवसाय के एगो जरिया मिल जाला| इ कुल चीज बेरोजगारी जईसन चीज के भी काफी हद तक कम करेला अउरी सेल्फडिपेंडेंट वाला स्पिरिट भरेला| अगर ग्रामीण अर्थव्यवस्था बढ़िया रहत बा ओह से आंतरिक कहल जईसन स्तिथि ना आई| चुकी अगर स्तिथि ठीक रही पईसा लगातार आवत जात रही त लोग नक्सल जईसन चीज के बढ़ावा ना दिहे| ना त बाहरी शक्ति अइसन मौका प अप्रत्यक्ष रूप से हमला कर सकेला|

वैश्विक मंदी में भी नइखे हिलल ग्रामीण अर्थव्यवस्था

2008 में आइल वैश्विक मंदी के बावजूद भारत के अर्थव्यवस्था बहूत ज्यादा प्रभावित ना भईल रहे| ओकरा पीछे कारन इहे रहल रहे कि भारत के ग्रामीण अर्थव्यवस्था काफी मजबूत रहे| ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अहम् भूमिका बा काहे कि 70% से ज्यादा श्रम ग्रामीण क्षेत्र से ही आवेला| कुछ दशक से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के भले बहूत सारा चुनौती से गुजरे के परल होखे| लेकिन 2004 में यूपीए के सरकार बनला के बाद ग्रामीण क्षेत्र प ध्यान गईल रहे| बैंक से लेवल गईल ऋण माफ़ कईल गईल अउरी रोजगार गारंटी जईसन चीज ग्रामीण क्षेत्र के लोगन के मिलल जावना से कुछ पईसा ग्रामीण क्षेत्र में गईल| एह कारन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तनी सा सुधार आइल अउरी देश के पूरा अर्थव्यवस्था संभाले में थोडा मदद मिलल|

किसानन के कर्ज माफ़ करे से भईल इ कि तनी ओह लोग राहत मिलल| एह से किसान आत्महत्या वाला प्रक्रिया भी धीमा पडल| किसान के आत्मविश्वास भी बढ़ल सरकार के प्रति जवना चलते हर प्रकार के फसल उगावे खातिर रिस्क लेवे लागल| ना त होला का कि ज्यादातर कर्ज में डूबल किसान के हिम्मत ना होला रिस्क लेके कवनो फसल उगावे के, एही से किसान दलहन,तिलहन जईसन फसल उगावे के प्रति भी प्रोत्साहित भईले| दूसरा दने जवन 100 दिन रोजगार के गारंटी न्यूनतम मजदूरी के साथे मिले शुरू हो गईल| पाहिले न्यूनतम मजदूरी ना मिल पावत रहे लेकिन सरकार के अइसन निति से काफी हद तक राहत पहुचल रहे|

एगो अउरी महत्वपूर्ण बात इ बा कि भारत के जवन निर्यात प आधारित बाजार बा जईसे आईटी आ टेक्सटाइल क्षेत्र में हमनी के गाँव के पलायन करके गईल मजदूर ओह लोग के भी अहम् योगदान बा| मजदूर के अलावां ड्राईवर, सिक्यूरिटी, क्लीनर जईसन काम संभाले वाला ज्यादातर लोग गाँव से भी आवेला| एह लोग के मेहनताना भी कम मिलेला जवना चलते कुल लागल भी कम लागल रहे जवना चलते हमनी के आर्थिक संकट में भी दुनिया के सामने मजबूती से खड़ा रहिजा| निर्यात घाटला के वजह से उ लोग ओही इलाका में वापस आइल जहाँ स्तिथि काफी अच्छा ना रहे| नक्सलवाद के समस्या, विकास ना होखे के समस्या काफी विस्फोटक साबित हो सकत रहे लेकिन इ चीज ना भईल काहे कि राष्ट्रिय रोजगार गारंटी अधिनियम काफी हद तक एगो बढ़िया सहारा देले रहे जवना से हमनी के अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी में भी मजबूती से खड़ा रहे|

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चुनौतियों भरा ग्रामीण अर्थव्यवस्था

सबसे बड समस्या इ बा भारत के कृषि क्षेत्र में काफी धीमा विकास दर बा| ओकरा पीछे कव गो कारन बा जईसे सरकार के तरफ से कवनो विशेष प्लानिंग नइखे कृषि के लेके, बदलत जमाना के मुताबिक तकनीक हमनी इहाँ नइखे| पूरा तरह से FDI प निर्भर बानी जा कि उ तकनीक लाइ| इयाद करीं नब्बे के दशक में उदारीकरण भईला के बादो ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज के निर्यात में काफी कमी आइल रहे ओकरा पीछे भी इहे कारन रहे है आधुनिक तकनीक के वजह से हमनी के वैश्विक बाजार प आपन प्रभाव ना छोड़ पईले रही जा| कृषि से संबधित स्पेशल शिक्षण संस्था के भी भारी कमी बा जवन प्रॉपर दिशा निर्देश ना दे पावेला जवना चलते खेती से अनुमानित उत्पाद ना हो पावेला अउरी किसान परेशांन होके या त आत्महत्या कर लेवे ले ना त कर्ज से परेशान होके शहरी क्षेत्र दने पलायन शुरू कर देवे ले|

भारत के 70% जनसँख्या गाँव में रहेला जवन कृषि प पूरी तरह से निर्भर रहेला| एहिजा से जीडीपी में खाली 23% के आस पास ही कॉन्ट्रिब्यूशन रहेला, जवन धीरे धीरे बढ़ रहल बा| दूसरा दने 30% जनसँख्या जवन शहर में रहेला उ जीडीपी में 75% शेयर रखेला| शहरी लोगन के प्रति व्यक्ति आय निरंतर तेजी से बढ़ रहल बा लेकिन गाँव के लोगन में वृद्धि ह होत बा लेकिन शहर के अपेक्षाकृत काफी धीमी रफ़्तार से हो रहल बा| भारत में बिहार एगो अइसन राज्य बा जहाँ सबसे ज्यादा लोग गाँव में रहेला|

लेकिन बिहार के इकनोमिक सर्वे के मुताबिक प्राथमिक क्रिया जईसे खेती में निरंतर गिरावट आ रहल ओहिजे द्वितीय क्षेत्र में काफी बढ़ोतरी हो रहल बा जवना चलते ओवरआल विकास दर काफी अच्छा से बढ़ रहल बा| अगर भारत के आकडा दने नजर घुमावल जाव त ओहिजो इहे हाल बा| 1999-2000 में जीडीपी में प्राथमिक क्षेत्र के योगदान रहे 23.2% उहे 2013-2014 में घटके पहुच गईल 13.9% तक| ओहिजे दूसरा तरफ द्वितीय अउरी तृतीय क्षेत्र में काफी बढ़ोतरी भी भईल रहे|

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था के एगो अउरी बड चुनौती बा भूमंडलीकरण| ग्रामीण अर्थव्यवस्था के रीढ़ के हड्डी कहल जाए वाला खेती बारी भी प्रभावित बा| कुम्हार द्वारा बनावल मिटटी के कप के जगह प प्लास्टिक के कप, दिवाली के मिटटी वाला दिया के जगह चमचमात लाइट, बनवारी के पतई के बनल पत्तल के जगह प प्लास्टिक के प्लेट मुमंडलीकरण के प्रभाव के बढ़िया उदहारण बा|

आज हमनी के घर परिवार में दातुन के जगह टूथपेस्ट लेले बिया| विकास के दौर में किसान सड़क प आ गईल बा| कुम्हार मिटटी वाला कामकाज छोड़ के शहर में ऑटो रिक्शा चलावे प मजबूर बा| धीरे धीरे बहुराष्ट्रीय कंपनी गावं दने पैर पसार रहल बा जवना के परिणामस्वरूप ग्रामीण अर्थव्यवस्था कमजोर हो रहल बा| एह से जल, जंगल अउरी जमीन तीनो बुरी तरह से प्रभावित बा इहे कारण बा कि अब गाँव में भी साफ़ पानी मिलल मुश्किल हो गईल बा|

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मजबूती जरूरी

अंत में निष्कर्ष के रूप में हम इहे कहम कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बचावल काफी जरूरी बा| काहे कि आर्थिक संकट के समय रीढ़ के हड्डी जईसन काम करेला| सबसे पाहिले जवन बुनियादी जरूरत बा उ लोगन के पास पहुचावल बेहद जरूरी बा| हर घर में बिजली पहुचावल, हर गाँव में पक्का सड़क बनावल, हर घर तक शुद्ध पानी पहुचावल बहूत जटिल काम नईखे लेकिन काफी जरूरी बा|

आज चाइना के आर्थिक हालत ठीक नइखे, अमेरिका भी जुझिए रहल बा अउरी ग्रीस में जवन संकट आइल ओकर प्रभाव वैश्विक स्तर प देखल भी गईल तबो भारत के अर्थव्यवस्था आज पूरा विश्व के सामने सोझ खड़ा बा ओकरा पीछे कारन इहे बा कि हमनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के संरचना काफी मजबूत बा| अगर भारत इ कुल सुविधा दे पावत बा त पहिला चीज होई कि रोजगार बढ़ी जवना से ग्रामीण क्षेत्र के राष्ट्रिय आय में वृद्धि होई| परिणामस्वरुप उत्पादन भी बढ़ी अउरी विकास भी लउकी| अगर ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत रहत बा त हमनी के वैश्विक अर्थव्यवस्था प ज्यादा निर्भर ना रहे के परी|

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