जयप्रकाश आन्दोलन आ भारतीय राजनीती (भोजपुरी)

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जयप्रकाश नारायण जी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी अउरी राजनेता रही| मूल रूप से इहाँ के इंदिरा गाँधी के विरोध में विपक्ष के नेतृत्व खातिर जानल जाला| इहाँ के एगो समाज सेवक भी रही आ इहाँ के लोकनायक के रूप में भी काफी मशहूर बानी| जयप्रकाश नारायण जी सैधांतिक तौर प बहूर बरियार रही| उहाँ के मार्क्सवाद के ओतने वैल्यू देत रही जतना गाँधी जी के विचारन के| एही से कहल जाला कि गाँधी जी में मार्क्सवाद अउरी गाँधी जी के नैतिकता के अनूठा समन्यवय पावल जाला|

उहाँ के सम्पूर्ण क्रांति के विचार पूरा देशवासि के बीच एगो आत्मविश्वास भरे के काम कईले रहे| आम आदमी के अधिकार अउरी भागीदारी के साथे साथे छात्र के राजनितिक भागीदारी के आवाहन से देश में एगो वैकल्पिक राजनीती के शुरुआत भईल रहे| उहाँ के लक्ष्य ना सिर्फ आम जनता के राजनितिक भागीदारी रहे बल्कि गरीबी अउरी बेरोजगारी पर भी उहाँ के विचार अउरी सिधांत सराहनीय रहल बा| उहाँ के हमेशा शोषणविहीन अउरी खुशहाल समाज के कल्पना कईले रहनी|

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सम्पूर्ण क्रांति के विचार

देश में आजादी के बाद से लेके 1977 तक ज्यादातर आन्दोलन के मशाल थामे वाला नेता, जयप्रकाश जी के नाम देश में एगो अईसन व्यक्तित्व के रूप में उभरेला, जवना में उहाँ के विचार आ दर्शन के प्रतिबिम्ब लउकेला| एही विचार आ दर्शन के सहारे भारत के दिशा तय करे के कोशिश कईले रहनी| 1975 के महत्वपूर्ण भाषण में उहाँ के कहले रही कि भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी के मिटावल आ शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लावल अइसन चीज ह कि ओह घरी के कांग्रेस के सरकार वाली व्यवस्था के सहारे पूरा ना कईल जा सकत रहे|

काहे कि उहाँ के मानना रहे कि उ सब वोही व्यवस्था के उपज रहे| उहाँ के मानना रहे कि इंदिरा गाँधी जी के सरकार पूरी तरह अलोकतांत्रिक आ भ्रष्ट हो चुकल रहे| एही से उहाँ के सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन करे खातिर क्रांति के आवाहन कईनी जवना के नाम रहे “सम्पूर्ण क्रांति”| एही सम्पूर्ण क्रांति के नारा रहे “सिंहासन खाली करी जनता आ रहल बिया”| जेपी जी सम्पूर्ण क्रांति के सफल बनावे खातिर एक साल तक कॉलेज अउरी विश्वविद्यालय बंद करे आवाहन कईले रहनी|

उहाँ के सम्पूर्ण क्रांति के वास्तविक अर्थ रहे  राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। उहाँ के एह सातों क्रांतियों के मिलाके सम्पूर्ण क्रान्ति के कल्पना कईले रहनी| एह क्रांति के असर अतना बेजोड़ रहे कि केंद्र में कांग्रेस के सत्ता से हाथ धोवे के पड़ गईल रहे| उहाँ के हुंकार प नौजवान लईकन के जत्था सड़क प निकल आवत रहे| बिहार के धरती से उठल चिंगारी पूरा देश में प्रभावशाली तरह से देश में फ़ैल चुकल रहे|

आज के बिहार के सियासत के नेता लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान या फिर सुशील मोदी, सब लोग ओही छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के हिस्सा रहे| पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में उपस्थित लाखों लोग जात-पात, तिलक, दहेज अउरी भेद-भाव के छोड़े के संकल्प लेले रहे| ओही मैदान में हजारों-हजार लोग आपन  जनेऊ  तुर के विरोध प्रदर्शन कईले रहे|  ओह घरी चर्चित नारा रहल रहे–

“जात-पात तोड़ दी, तिलक-दहेज छोड़ दी।
समाज के प्रवाह के नवका दिशा में मोड़ दी।“

लोकतांत्रिक समाजवाद के चिंतक

जयप्रकाश नारायण जी एगो सामाजिक चिंतक के रूप में भी आपन छाप छोडले रहनी| उहाँ के विचारधारा में गति अउरी दिशा दुनो रहे| लेकिन आज के राजनेता लोग के पास विचारधारा ही नइखे, गति अउरी दिशा के कल्पना बहूत दूर के बात बा| इहे कारण बा कि उहाँ के विचार ‘लोकतांत्रिक समाजवाद’ से परिपूर्ण रहे जबकी आज के लीडर्स में ‘औपचारिक लोकतंत्र’ कूट-कूट के भरल बा| जयप्रकाश नारायण जी के चिंतन में मार्क्सवादी अउरी गांधीवादी के अनूठा समन्वय मिलेला|

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मार्क्सवाद के आर्थिक संरचना अउरी गांधीजी के नैतिकता से उहाँ के बहूत प्रभावित रही| उहाँ के सबसे ज्यादा जोर रहे आत्म अभिव्यक्ति अउरी आत्म स्वतंत्रता जईसन मूल्यन प रहे| चुकी उहाँ के मार्क्सवाद से काफी प्रभावित रहली एह से उहाँ राजनितिक स्वतंत्रता के साथे साथे आर्थिक स्वंतंत्रता के भी गुहार कईले रहनी जवना से कि शोषणविहीन समाज के कल्पना कईल जा सके|

उहाँ के कहनाम रहे कि समाजवाद के खाली एके रूप बा आ एके सिधांत बा उ मार्क्सवाद हउए| हमरा किताब के नाम इयाद नइखे आवत लेकिन लाइब्रेरी में एकबे पढले रहनी उ अभी ले इयाद बा एगो बात जवना में उहाँ के कहले रही कि कोई भी सतारूढ़ समाजवादी दल समाजवाद के निर्माण कर सकेला यदि ओह लोग भी दू गो चीज होखे| पहिला प्रतिरोध के कुचले खातिर बल प्रयोग के पर्याप्त शक्ति आ दूसरा विरोध से निपटे खातिर पर्याप्त लोकसमर्थन| अइसन बिल्कुल ना रहे कि खाली मार्क्सवादी विचार हावी रहे|

बहूत असमानता भी रहे| जईसे काल मार्क्स अधिनायक तंत्र के बात करत रहले जबकी जयप्रकाश नारायण जी लोकतांत्रिक साम्यवाद के| मार्क्स समाजवाद भौतिक अउरी आर्थिक पक्ष प बल देत रहे लेकिन जयप्रकाश नारायण जी लोकहित के बात करत रही| एक तरफ मार्क्स समाजवाद खुनी क्रांति प बल देत रहे लोग ओहिजा दूसरा तरफ जयप्रकाश जी गाँधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन अउरी सत्याग्रह के बात करत रही| एह सब असमानता के बावजूद दुनो लोग के समाजवाद के लक्ष्य एके रहे| दुनो लोग शोषणविहीन समाज के कल्पना करत रही जा आ गरीब के उत्थान खातिर समर्पित रही जा|

आपातकाल अउरी जनता पार्टी के निर्माण

1974 समाप्त होखत होखत देश के सामान्य स्तिथि बेहद चिंताजनक हो गईल रहे| खास तौर प 1970 के बाद आशा अउरी विश्वास सबकुछ समाप्त होखे लागल रहे| लोगन में आक्रोश बढ़ गईल रहे| गरीबी हटावे खातिर कुछ ना कईल गईल जबकी इंदिरा जी के ओह समय नारा ही रहे ‘गरीबी हटाओ’| आर्थिक स्तिथि दिनों दिन ख़राब होत चल गईल रहे| मूल वृद्धि आसमान छूए लागल रहे| राजनितिक अस्थिरता बढ़त चलल चल गईल| लोकतंत्र के महत्वपूर्ण संस्था प प्रधानमंत्री के एकाधिकार बढे लागल रहे|

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भ्रष्टाचार बढ़त चलल चल गईल| मारुती वाला मामला प इंदिरा जी के मुह बन रहे| इंदिरा जी विरोध करे वाला लोगन से दुश्मन जईसन व्यवहार करे लगली| बहूत सारा अख़बार प कब्ज़ा करे के कोशिश करे लगली| यहाँ तक कि दूरदर्शन प प्रसारित होखे वाला न्यूज़ वेग्रह प भी संजय गाँधी आपन अधिकार जतावे लगले| अइसन तानाशाही, रेलकर्मी के हड़ताल प बर्बरता पूर्ण दमन अउरी गुजरात छात्र आन्दोलन के कुचले वाला घटना, इ सब जयप्रकाश नारायण जी के बुरी तरह से प्रभावित कईलस| बढ़त आक्रोश के दबावे खातिर उहाँ के आपातकाल लागू कर देनी अउरी सारा विरोधियन के जेल में भेजवा देनी|

दू साल बाद जईसे आपातकाल ख़त्म भईल ओकरा बाद 1977 में जवन ऐतिहासिक चुनाव भईल उ अपना आप में एगो बहूत बड दिलचस्प चीज रहे| लोग जवना तरह से वोट देहले रहे ओह से इ पता चलल कि आपातकाल वाला निर्णय से लोग काफी नाराज रहे| इंदिरा गाँधी, संजय गाँधी समेत उ सब लोग चुनाव में बुरी तरह से धराशाई हो गईल रहे जेकर आपातकाल के ताल्लुकात रहल रहे| आजादी के बाद पहिला पार्टी बनल रहे तमाम पार्टी के जोडके जवन कांग्रेस के विरोध चुनाव जीतल|

जनता पार्टी बनला के बाद जवन हाल भईल पार्टी के अन्दर अइसन बुझात रहे कि बानर के हाथ में नरियर दे देवल गईल होखे| चौ. चरण सिंह, बाबु जगजीवन राम, मोरारजी देसाई के बीच भावी प्रधानमंत्री के लेके खूब विवाद भईल| हालाँकि जयप्रकाश जी के सहमती मोरारजी देसाई के तरफ ही रहे| अउरी आख़िरकार मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बनले पहिला गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री| अफसोस के बात इ रहल कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के आगे इ पार्टी ज्यादा दिन ना चलल अउरी दुकड़ा टुकड़ा में बट गईल|

वैकल्पिक राजनीती के शुरुआत

1975 में आपातकाल लागल, 1977 में लोकसभा चुनाव भईल, जनता पार्टी बनल| लेकिन जईसे व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के आगे जनता पार्टी के विकेंद्रीकरण भईल तब ओह में से ढेर छोट छोट पार्टी वैकल्पिक राजनीती के तौर प सामने आइल| लालू यादव, नीतीश कुमार, मुलायम सिंह यादव, राम विलास पासवान, जार्ज फर्नांडिस, सुशील कुमार मोदी जैसे तमाम नेता कबो जयप्रकाश नारायण के चेला मानल जात रहन जा| लेकिन सत्ता के लोभ ओह लोग के जयप्रकाश नारायण के विचारधारा से बिलकुल अलग कर देलस|

भारत में तब से प्रभावशाली वैकल्पिक राजनीती के शुरुआत भईल| बीजेपी पार्टी भी ओही जनसंघ से निकलल पार्टी हिय जवन जनता पार्टी के साथ गठबंधन में रहल रहे| आज जतना भी पार्टी बाड़ी सन गैर कांग्रेसी सब के सब ओही जनता पार्टी के एगो अंग ह समाजवादी पार्टी होखे, जदयू, राजद, एनसीपी होखे आदि| वैकल्पिक राजनीती के साथे साथे एक प्रकार के सरकारी कामकाज में लोकतांत्रिक पारदर्शिता आइल| लोग के असली लोकतंत्र से अवगत होखे के मौका मिलल जवना में इ सिद्ध भईल कि अगर कामकाज में मनमानी होई त जनता कबो उखाड़ के फेक सकेला|

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लेकिन सबसे ज्यादा दुःख के बात इ बा कि कवनो नेता जवन एकसमय जयप्रकाश नारायण जी के चेला कहात रहे लोग, सबलोग जेपी जी के सिधांत के नजरंदाज करे लागल रहे| खासकर तब जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बनल रहले तबे शुरुआत भईल रहे| इ घटना ठीक आजादी के समय लेखा रहे जब गाँधी जी आन्दोलन कईले रहले सब लोग साथ रहे लेकिन सरकार बनला के बाद गाँधी जी के भी वैल्यू कम हो गईल रहे| बिहार में नब्बे के शुरुआती दौर में जब लालू यादव मुख्यमंत्री बनल रहले तब समूचा देश के अनुभव होखे लागल रहे कि अब जनता राज कायम हो रहल बिया|

आज भी कवनो वैकल्पिक राजनीती के शुरुआत करेला त जेपी जी के सिधांत के जरूर याद करेला| तब के शुरुआती लालू यादव के छवि आ आज के लालू यादव के छवि में जमीन आसमान के अंतर बा| आम आदमी पार्टी बनल रहे त आपन साधारण छवि देखावे खातिर ढेर MLA लोग रिक्शा आ मेट्रो से विधानसभा गईल रहे लोग| मुख्यमंत्री बनला के बाद लालू यादव जी भी साइकिल से विधानसभा गईल रहले | लेकिन बाद में जयप्रकाश नारायण जी के जातिविहीन सिधांत से लालू, नितीश, मुलायम आदि सब लोग समझौता कईलस|

आज के समय में जयप्रकाश नारायण जी लेखा नेता मिलल काफी मुश्किल बा| उहाँ के सिधांत अउरी विचार, हमेशा लोग के आजो प्रभावित करेला| आज भी कोई अगर नया राजनीती शुरू करे के सोचेला त उहाँ के सिधांत के जरूर याद करेला, भले कुछ दिन बाद सब कुछ भूल के आपन ट्रैक पकड़ लेला| असली समाजवाद के कल्पना उहें के कईले रहली| आज के तथाकथित समाजवाद में अउरी उहाँ के लोकतांत्रिक समाजवाद में जमीन आसमान के अंतर बा| जातिगत सियासत के हमेशा उहाँ के विरोध कईले रहनी लेकिन उहाँ के चेला लोग आज ओही के आपन इंधन मान के सियासत चलावेला| उहाँ के शोषणमुक्त समाज के सपना आजो अधुरा बा| जवना चलते उहाँ के कांग्रेस के विरोध कईले रहनी उहे चीज आज ओह सब पार्टी बा जवन जनता पार्टी से टूट टूट के बनल रहे|

नोट :- हमार इ लेख आखर में अक्टूबर अंक में छप चुकल बा|

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