जलवायु परिवर्तन: वर्तमान अउरी भविष्य (भोजपुरी)

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सर्दी, गर्मी, बरसात हमनी के सीधे तौर प प्रभावित त करबे करेला लेकिन हमनी के इ ना जान पवेनीजा कि एकरा पीछे बहूत बड वैज्ञानिक कारण भी बा| पूरा दुनिया एह बात के लेके फिक्रमंद त बडले बा| अउरी अंतराष्ट्रीय स्तर प पिछिला तीन चार दशक से गंभीर रूप से मंथन चल रहल बा कि जलवायु में आवत अनियमितता के कईसे कम कईल जा सकत बा| दुनिया भर के लगभग 200 देश मिलकरके एगो ‘कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टी’ बनईले बा जवना के एकईस्वा बैठक लगले पेरिस में भईल ह| ओह लोग के मुख्य उद्देश्य बा कि धरती में बढ़त कार्बनडाइऑक्साइड के कईसे कम जाव जवना से धरती के तापमान के नियंत्रित कईल जा सके|

लेकिन जवना हिसाब के विकास के अँधा दौड़ शुरू भईल बा ओह हिसाब से अंदाजा लगावल बड़ा मुश्किल बा कि आवे वाला समय में जलवायु के का शकल सूरत होई| कबो कबो एह बात के भय भी रहेला कि आवे वाला समय में कहीं अइसन मत हो जाव कि वैज्ञानिक के देवल प्रलय वाला चेतावनी सही मत हो जाव| सबसे बड दिक्कत विकासशील देशन के लेके बा कि विकास अउरी पर्यावरण के बीच कईसे लाइन खिचल जाव जवना से सतत पोषणीय विकास होत रहो|

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अंतराष्ट्रीय स्तर प कब का भईल ?

सबसे पहिला जलवायु सम्मलेन 1979 में भईल रहे| ओकरा बाद 1992 में जलवायु सम्मेलन प संयुक्त राष्ट्र संधि भईल रहे| 1995 में पहिला बार कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टी के गठन भईल, जवना में 1992 के संधि प हस्ताक्षर करे वाला देश शामिल भईलिसन| ओकरा दू साल बाद 1997 में ‘क्योटो प्रोटोकोल’ प हस्ताक्षर कईल गईल जवना में धनी देश कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्य रखलस| ओकरा बाद 2007 में इंडोनेशिया के ‘बाली’ में बाली रोड मैप प सहमती जतावल गईल आ ग्लोबल वार्मिंग से निपटे खातिर नया समझौता लावे के बात कईल गईल|

ओकरा दू साल बाद कोपेनहेगन बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा लगभग 100 अरब डॉलर के एगो ‘ग्रीन फण्ड’ बनावे के एलान कईले| हालाँकि उ खुद अपना संसद में एकरा के पास करावे में असफल हो गईले| कुछ अउरी देश भी आपन असहमती जतावल जवना कारण उ प्लान असफल ही रहल| 2012 में क्योटो प्रोटोकॉल के अवधि ख़त्म हो गईल मतलब इ कि पहिला चरण ख़त्म हो गईल| हाल में पेरिस में जलवायु के बदलत रूख खातिर एगो सम्मलेन ‘सीओपी’ के आयोजन कईल गईल ह|

दिसम्बर के पहिला सप्ताह में आयोजित होखे वाला एह सम्मलेन में जलवायु परिवर्तन प बात कईल गईल जवना में 196 पार्टीज के नेतागण शामिल रहन जा| अग्रीमेंट के सफल तबे मानल जाई जब कम से कम 55 देश के एह प सहमती मिल जाई| एकर अग्रीमेंट प हस्ताक्षर के समय अवधि 2016-2017 तक न्यूयॉर्क में करे के जरूरत बा| एह अग्रीमेंट के मुताबिक एगो अईसन गोल सेट करे के बा जवना से ग्लोबल वार्मिंग के 2 डिग्री से कम लावे के कोशिश बा| ओह सम्मलेन के एगो अउरी गोल इ बा कि ओकर तापमान कम कर के 1.5 डिग्री सल्सिअस तक पहुचावल जा सके|

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कुछ वैज्ञानिक लोग के अनुमान बा कि तापमान वाला उद्देश्य लगभग 2030 अउरी 2050 के बीच मुक्कमल हो सकेला| एह सम्मलेन में वायदा कईल गईल बा कि 1990 के अपेक्षाकृत 2030 आवत आवत लगभग 40% एमिशन में कटौती कईल जाई| ‘EU Edgar database’ के मुताबिक सबसे ज्यादा बदलाव आइल बा 1990 से 2012 के बीच त चीन में आइल बा 3 यूनिट से लगभग 10 यूनिट तक पहुच गईल बा| अमेरिका अउरी यूरोपियन यूनियन के देश में कवनो ख़ास अंतर नइखे आइल पहिलहू लगभग 5 यूनिट करत रहे अउरी आजो करत बा| भारत के अगर देखल जाव त एहिजो काफी अंतर आइल बा नब्बे से दू हजार बारह के बीच| CO2 एमिशन रूस अउरी उक्रेन जईसन देश में घटल भी बा|

अर्थव्यवस्था के राजनीती अउरी कूटनीति  

विकास अउरी पर्यावरण के बीच में इनवर्स के सम्बन्ध बा| अगर अन्धाधुन विकास के कल्पना होई त पर्यावरण के क्षति निश्चित बा| विकास के अँधा दउड़ अउरी पर्यावरण के बीच कहवां रेखा खिचल जाव एह में सब देश अझुराइल बा| सबसे बढ़िया ताजा उदहारण बा चेन्नई में आईल बाढ़| जवना घरी बाढ़ आइल ओह घरी हमहू ओहिजे रही| हर जगह एह बात के चर्चा रहे कि के कतना रोपया के मदद दे रहल बा आ कवन संगठन सक्रीय बा आ कवन ना इहा तक कि हेलीकोप्टर से विडियो बना के लोग टीवी प देखावत रहे कि देखs लोग कईसे डूबेला|

इ सब देखावल त जरूरी चीज बडले बा एगो अउर चीज के बारे में मीडिया टीम के ध्यान देल चाहत रहे कि इ काहे भईल ? खाली ज्यादा बारिश ही एकर कारण बा ? हम एगो प्रोफेसर ‘उमा महेंद्रन जी’ से पूछनी कि सर एकर का कारण हो सकेला? उहाँ से हमार बढ़िया संबंध रहेला| हमेशा साथ में उठना बईठना रहेला| उहाँ के कहनी गौरव केबिन में शाम के आवs ओहिजे कॉफ़ी के साथे चर्चा कईल जाई| हम गईनी त उहाँ के 90 के दशक में मैप देखावे लगनी कि देखs दस साल पाहिले चेन्नई का रहे आ अब का बा?

एगो गाना बा नु हिंदी में ‘सावन आने का कुछ तो मतलब होगा’ ओसही कुआँ, तलाब आ झील के भी कुछ मतलब होखेला खाली अर्थव्यवस्था के राजनीती में फस करके लोग सब तलाब भर भर के बिल्डिंग खड़ा कर देले बा| इ एकदम सरासर गलत बात बा चेन्नई में पहिला हाली अतना बुनी परल बा| नब्बे के दशक में लगभग अतने सेंटीमीटर बुनी आइल रहे आ पहिलहू आवत रहे| मौसम गड्बडईला से ओकरा बाद ओतना बुनी ना परल आ अब परल त उ पानी कहाँ जाव? हम अपना आस पास के एगो साधारण उदाहरन देनी ह|

असही राष्ट्रिय आ अंतराष्ट्रीय स्तर प देश के सोझा अर्थव्यवस्था के राजनीती आ कूटनीति आ जाला जवना से लोग हर बार सम्मेलन में वादा कईला के बादो समझौता करत आइल बा आ करेला| चलीं एगो अउरी उदहारण के दने बढल जाव जवना के सेंट्रल आईडिया उहे बा बस रूप अलग बा| रिलायंस एकर बरियार उदाहरन बा| इ शायद कोई से नईखे छुपल कि अंबानी घराना के बढ़िया संबंध गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री मोदी जी से रहल बा| एगो अउरी बात भी सत्य बा कि ओकरा पाहिले कांग्रेस से भी बढ़िया ओही प्रकार के सम्बन्ध रहल बा| इहाँ तक कि एकबेरी रेडियो टेप में बहूत पाहिले अंबानी जी कहले रही कि ‘कांग्रेस तो अपनी दुकान है’|

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इहो एगो सत्य बात बा कि रिलायंस के उत्थान भी कांग्रेस के ही कारण भईल बा| सरकार के कूटनीति भी बराबर के भागीदारी रहेला एह में| गुजरात में मोदी जी जवना हिसाब से पूंजीपति लोग खातिर जबरन जमीन अधुग्रहण कईले आ पर्यावरण से सम्बंधित मुद्दा के दरकिनार कईले ओह से आर्थिक राजनीती के आसानी से अंदाजा लगावल जा सकत बा| गुजरात के कच्छ जिला में पूंजीपति अडानी जी आपन निजी बंदरगाह ‘मुद्रा’ के आसपास जतना पर्यावरण के विनाश कईले ओकरा खातिर उनका प जुर्माना भी लगावल जा चुकल बा| एह प्रकार के दर्जनों केस ओह लोग लेखा आदमिन प चल रहल बा| ओकर जवाबदेही के कवन जिम्मेदारी बा उहे लोग जानत होई|

इ बात शायद बतावे के जरूरत नइखे कि मोदी जी के शासनकाल में आदानी जी के ख़ूब चानी कटल बा| जब हम गूगल करत रही त एगो बड़ा ही बढ़िया फैक्ट मिलल| सन 2000 में आदानी जी के कुल कमाई 3300 करोड़ रुपया रहे उहे 2014 चहुपते चहुपते लगभग पचास हजार करोड़ हो गईल| हतना बढ़िया उछाल बिना पर्यावरण के समझौता से होखल होखे हम मानिए नईखी सकत| इ उहे मोदी जी हई जे एकदम हडाह भाषण लगले पेरिस के सम्मलेन में देनी ह| एह से अंदाजा लगावल जा सकेला कि नेताजी लोग के सम्मलेन के कथनी अउरी करनी में कतना अंतर बा| अइसना में लोग के उ सवाल बिल्कुल गलत नइखे कि तमाम राजनितिक पार्टी के खर्चा कहाँ से आवत बा?

जलवायु प जवाबदेही जरूरी    

सबसे बड दिक्कत इ बा कि सम्मलेन त होला लेकिन ओकर मूल्यांकन समय समय प ना होला| एह से जलवायु जईसन मुद्दा प जवाबदेही के प्रधानता देल बेहद जरूरी बा| एहिजा एगो बात निकलके इहो आवेला कि देशन के बीच कार्बन एमिशन के लेके बातचीत साफ़ ना हो पावेला जवना से जवाबदेही प्रभावित होला| जवन देश आज पिछुआइल बा अर्थव्यवस्था के विकास के दौड़ में, उ तर्क देवेला कि विकसित भईल लोग एही रास्ते विकसित भईल बा त ओह लोग प रोक काहे लागत बा| सुझाव के रूप में देवेला कि एगो संतुलन बनावल जाव विकसित अउरी विकासशील देश के बीचे जवना से विकासशील देश भी ओह लोग के बराबरी कर सके|

कहे के मतलब इ कि कुछो होखे बिना पर्यावरण के समझौता के लोग के सबुर नइखे| हमरा समझ से होखे के इ चाहत रहल ह कि विकसित देश पर्यावरण से समझौता के जगहा प आपन तकनीक के आदान प्रदान करीत जवना से विकासशील देश आपन विकास बढ़िया कर सकित आ पर्यावरण के नुकसान भी ना पहुचित| दूसरा बात इ कि हमनी के पूरा तरह से सौर्य उर्जा प निर्भर ना रह सकिला जा| लेकिन ओकरा के सिस्टेमेटिक तरीका से उपयोग करके कार्बन एमिशन प्रक्रिया के कम जरूर कर सकि लाजा|

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उदाहरन के रूप में लेब बिहार के धरनाई गाँव के केस स्टडी जहवां एगो गाँव के मॉडल के रूप में बनावे के कोशिश कईल रहे| ग्रीन पीस नाम के संस्था के अनुकूल अउरी प्रतिकूल दुनो प्रकार के हस्तक्षेप के परिणाम स्वरुप ओह गाँव में बिजली खातिर सोलर पैनल के व्यवस्था कईल गईल| एह केस स्टडी में देखी कवना कवना प्रकार के चुनौती आवेला जब कार्बन उत्सर्जन के बाय बाय करे के कोशिश कईल जाला| सबसे पहिला दिक्कत इ आइल कि जवन गैर सरकारी संस्था लगवावे के कोशिश कईले रहे ओकरा अंदर भ्रष्टाचार के प्रतिबिम्ब रहे| दूसरा बात इ हो गईल कि गाँव में एह प्रकार के अन्धविश्वास फैला देहल गईल कि सरकार बुरबक बनावत बिया सोलर के कनेक्शन देके जबकि हर शहर में चकाचक लाइट रहेला|

उहे धरनाई गाँव ह जहाँ ओह घटना के पाहिले किरासन के दिया जलत रहे लेकिन जब सौर उर्जा आइल त राजनीती लउके लागल| सालोभर दिन बरोबर थोड़ी न होखेला आ मौसम एकसमान थोड़ी न रहेला| जईसे बरसात के मौसम आइल त इलेक्ट्रिसिटी में तनी मनी कमी आइल लोग के अन्धविश्वास सच लेखा लागेलागल| एकदिन ‘लाल सलाम’ के मित्र लोग आके सब उखाड़ उखाड़ के फेक दिहल लोग आ लाल सलाम के नारा लगावत चल गईल| एह से जलवायु जईसन मुद्दा प राजनितिक, सामाजिक अउरी इकोनोमिकल जवाबदेही जरूरी बा| रिव्यु कतना समय प होता आ ओह प का निर्णय लेल जाता इहो काफी अहम बिंदु बा|

अंत में निष्कर्ष के रूप में इहे कहल चाहब कि जलवायु जईसन मुद्दा के इग्नोर ना करे के चाही, एगो जिम्मेवारी के रूप में लेवे के चाही| जनता के भागीदारी के अहम भूमिका बा सारा समाज के एह मुद्दा के प्रति सजग होखे के चाही| इ अइसन मुद्दा ह जवना के सह प ना त राजनीती हो सकेला आ ना झूठा चुनावी वादा| एकरा पीछे कारन इ बा कि इ मुद्दा कवनो जात आ धर्म से सम्बंधित नइखे| जतना ईट प ईट लोग बाबरी मस्जिद आ राम मंदिर के मुद्दा प बजावत बा ओकर 50% उर्जा पर्यावरण प दे दिही त आवे वाला पीढ़ी हमनी के सुखमय हो जाई| एह से इ खाली सरकार आ सम्मलेन के काम ना ह बल्कि देश में सब लोग के मिलके एह में भाग लेवे के चाही तबे जाके सम्मलेन के उद्देश्य पूरा होई| देश के राजनितिक परिवार के लोग के भी तनी ध्यान देवे के चाही कि पईसा के साथे साथे पर्यावरण के ना खाए के चाही|

 नोट:- हमार इ लेख आखर पत्रिका के जानवरों 2016 के अंक  के अंक में छप चुकल बा|

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