आतंकवाद और वैश्विक राजनीती का शिकार भारत-पाकिस्तान संबंध

Dial down the FREE Subscription for such premium content on our YouTube channel. How to Add Subscribe Button on YouTube Videos (Subscribe Button PNGs)

भारत ने जब-जब एक अच्छे रिश्ते के लिए पहल करने की कोशिश की है उसके एवज में हमें घुसपैठ और आतंकवाद के रूप में झेलना पड़ा है| यह एक प्रकार का पैटर्न रहा है| पार्लियामेंट अटैक, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, मुंबई अटैक, पठानकोट अटैक और उरी अटैक इसके पैटर्न के हिस्सा रहे है| जहाँ तक मै समझता हूँ पाकिस्तान के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है राष्ट्रिय स्तर पर वहाँ दो समूह है|

पहला समूह है वहाँ कि आम जनता और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार| ये लोग अपने देश को अच्छे राष्ट्र के रूप जरूर देखना चाहते होंगे जहाँ चैन से अपनी जीवन यापन कर सके| दूसरा समूह है वहाँ कि आर्मी, आई.एस.आई. और कट्टरपंथी समूह जो अक्सर सीमा पर घुसपैठ किया करते है| इनका मकसद यह रहता है कि जो असमानताएं बनी हुई है दोनों मुल्को के बीच उसे बरक़रार रखी जाए|

Decoding World Affairs Telegram Channel

दुर्भाग्य की बात यह है कि दूसरा समूह जितना मजबूत है उतना ही पहला समूह कमजोर| हमारे यहाँ क्या होता है कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार पूरी विमर्श करने के बाद आर्मी को आदेश देती है| वहाँ दूसरा समूह जिसमे कट्टरपंथी समूह के अलावां वहाँ की आर्मी भी है वो सरकार को आदेश देती है कि प्रेस में या यु.एन. में क्या पक्ष रखना है| नवाज शरीफ के यु.एन. का भाषण एक जीता जागता प्रमाण है| पकिस्तान के पूर्व एयर मार्शल असगर खान (जिन्हें पाकिस्तानी एयरफोर्स के पिता के रूप में जाना जाता है) ने अपने एक इंटरव्यू में यहाँ तक कहा कि पकिस्तान को भारत से कोई डर ही नहीं है|

See also  बैंगलोर की घटना पुरुष प्रधान समाज का जीता जागता उदाहरण

वो इंटरव्यू अभी भी यू-ट्यूब पर उपलब्ध है| उसके पीछे वो कारण देते है कि चार बड़े युद्ध हुए है उन सब में पहल पकिस्तान ने ही की है| वो हर युद्ध के लिए पकिस्तान को जिम्मेदार मानते है| उनकी लिखी लिखें अखबारों में भी नहीं छपती| यहाँ तक कि रिकॉर्ड किया गया इंटरव्यू भी प्रसारण नहीं किया जाता| इसके अलावां तीसरा प्रमाण बेनजीर भुट्टो का सरेआम दिन दहाड़े मर्डर| ऐसे बहुत सारे प्रमाण है जो यह सिद्ध करता है कि दूसरा समूह किस हद तक मजबूत है|

जिस दिन पाकिस्तान का पहला समूह मजबूत हो गया उस दिन सारा किस्सा ही ख़त्म हो जाएगा| लेकिन यह बहुत आसान भी नहीं है| इस असमानताओं को बनाए रखने के लिए बहुत सारी शक्तियां अपने स्तर पर काम कर रही है| अगर पाकिस्तान में विदेशी निवेश की बात करे तो 2007 में 8.7 बिलियन डॉलर थी जो घट घट करके 2015 में 0.709 बिलियन डॉलर हो गई है| अगर इस तरह का आतंकवादी इमेज पूरी दुनियां में कायम रहेगा तो वहाँ दो चीजे होंगी| पहली बात यह कि वहाँ मैन्युफैक्चरिंग कम होंगी जिससे वो ना तो एक्सपोर्ट कर पाएंगे और नाही खुद की आपूर्ति|

इसके अलावां बेरोजगारी भी बढ़ेगी और जिहादी कांसेप्ट को चार चाँद लागेला| दूसरा ऐसे में चाइना जैसे देशो को एक अवसर मिल सकेगा जिससे वो अपनी बनाई हुई चीजो को डंप कर सके और वहाँ की जनता की जरूरतों को पूरा कर सके| यही कारण है कि इसे नया बाजार के रूप में देखते हुई चाइना ने चाइना-पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर के लिए बातें की है| इसके अलावां पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर पूरी तरह से चाइना का नियंत्रण है क्युकी उसके इंफ्रास्ट्रक्चर पर चाइना ने निवेश किया था| इससे चाइना को पश्चिमी एशियाई देशों में व्यापार बढाने के लिए मदद मिलता है|

See also  CBCS के रूप में शिक्षा प्रणाली का बदलता मिजाज

अमेरिका अपने एंगल से देखता है कि कश्मीर का एक छोटा हिस्सा उसे हाथ लग जाए जिससे बाक़ी के देशों जैसा एक अपना कैंप लगा सके| कश्मीर ऐसा जगह है जहाँ से कई सारे देशों की सीमाएं जुडती है| ऐसे में चीन और भारत पर दबदबा बनाने के लिए कश्मीर अमेरिका के लिए जरूरी है| इसके लिए अपने स्तर पर हर तरह का प्रयास करता रहा है| जिस प्रकार से सूती कपड़ों के लिए पाकिस्तान की जलवायु बढ़िया है वैसी जलवायु हिंदुस्तान के पास भी है|

लेकिन आज भी अमेरिका पुरे विश्व का 10% सूती कपडा पाकिस्तान से अपने यहाँ इम्पोर्ट करता है जिससे व्यापारिक रूप से जित सके| कुटनीतिक तौर पर चाहता है कि कश्मीर पाकिस्तान के हाथ ही लगे| इससे होगा क्या कि अमेरिका को वहाँ बमबारी कर अपना बर्चस्व ज़माने में आसानी होगी| इसके लिए वजह ढूंढने की जरूरत नहीं है| कश्मीर का बदनाम नाम उसके मिशन के लिए पर्याप्त और ठोस बिंदु है ठीक वैसे ही जैसे एबटकाबाद में ओसामा और इराक में सद्दाम हुसैन को मारने के लिए किया था|

ऐसे में वहाँ का आतंकवाद कैसे ख़त्म हो सकता है जब विश्व की बड़ी शक्तियां उन्हें मदद कर रही है| और हम है उन्ही बड़ी शक्तियों के पास इस समस्या को लेकर जाते है| हम उन्ही बड़ी शक्तियों से निहोरा करते है कि इसे आतंकवादी राष्ट्र घोषित करे| कैसे संभव है?

Spread the love

Support us

Hard work should be paid. It is free for all. Those who could not pay for the content can avail quality services free of cost. But those who have the ability to pay for the quality content he/she is receiving should pay as per his/her convenience. Team DWA will be highly thankful for your support.

 

Leave a Comment

Decoding World Affairs Telegram Channel