दिवाली को ध्यान में रखकर देश में लोगो ने सोशल मीडिया के माध्यम से चाइनीज सामानों का बहिष्कार करने की अपील की| इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के सरकारी मीडिया ने बड़े ही गंदे तरह से जवाब दिया| चीनी मीडिया का कहना है कि भारत के प्रॉडक्ट किसी भी मामले में चीनी प्रॉडक्ट्स का मुकाबला नहीं कर सकते| सही बात है| यही तो अंतर है चीन और भारत में|
इसके पीछे कारण है| चीन वस्तु का उत्पादन करने के लिए किसी भी चीज का चिंता नहीं करता है| उदाहरण के तौर पर समाजिक और पर्यावरणीय पहलु को सबसे ज्यादा नजरंदाज करता है और मजेदार बात यह है कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर्यावरण संरक्षण के लिए सबसे ज्यादा भाषनबाजी भी यही करता है|
पहली बात, एक केस स्टडी लेते है| चुकी हम जानते है कि भारत में मांस की खपत कम है लेकिन उपलब्धता बहुत ज्यादा है| इसके लिहाज से भारत इस उद्योग को एक पोटेंसिअल के तौर पर देखता है| भारत में मांस उद्योग के लिए बड़ा ही सतर्कता से नियम कानून बनाए गए है| इसके लिए एक संस्था है एपीडा| एपीडा शुरू से अंत तक प्रोसेस का जांच करती है| जैसे मान लीजिए भैंस का मांस निकालना है| उसके लिए नियम बनाए गए है कि कोई भी दुधारू भैस का मांस नहीं निकाला जा सकता|
किसी भी ऐसे भैंस का मांस नहीं निकाल सकते जो मिल्चिंग पीरियड में हो| इसके अलावां कंपनी से निकलने वाले बाईप्रोडक्ट का डीकंपोज़ करने की जिम्मेदारी भी कंपनी की ही होती है| हम पर्यावरण को भी ध्यान में रखते है| यही चीज अगर चाइना में होता है तो उसका ध्येय होगा सिर्फ मांस निकालना बा| स्वाभाविक सी बात है भारत से उत्पादित मांस का दाम ज्यादा होगा चाइना के उत्पादन के अपेक्षाकृत क्युकी decompose करने वेग्रह की वजह से हमारी लागत बढ़ जाती है|
दूसरी बात, इसके अलावां वहां एनवायर्नमेंटल क्लीयरेंस बहुत ही जल्द मिल जाता है| हमारे देश में पूरी चीजों की जांच होती है| ऐसे में जिन्हें जल्दी पास करवाना होता है उन्हें ऑफिसर्स का जेब गरम भी करना पड़ता है| शायद यही कारण होगा जिसकी वजह से वहां की मीडिया ने भारत में ऊपर से लेकर नीचे तक हर सरकारी विभाग में भयानक भ्रष्टाचार का जिक्र किया है| वो सब पैसा कहीं न कहीं से तो लेना होता है| वस्तु के मूल्य में दाम जुड़ता जाता है| इसलिए भारत की वस्तुएं महँगी होती है|
तीसरी बात भारत में कोई भी वस्तु उत्पादन करने से पहले वो रिसर्च खरीदना पड़ता है| चाइना का एक नियम बताता हु| अगर आपको कंपनी वहाँ लगानी है तो आपको पूरा रिसर्च वर्क एक्सप्लेन करना पड़ेगा| आपको कई-कई सालों तक ट्रायल के नाम पर लटका के रखेंगे| बाद में पता चलेगा आपके कांसेप्ट में 10% मॉडिफाई करके अपने नाम से उत्पादन करना शुरू कर दिया| कहीं न कहीं अनैतिक तरीके से उनकी लागत कम है तो वस्तु अंतिम कीमत भी कम ही होगी|
चौथी बात सबसे ज्यादा मानवाधिकार का उल्लंघन चीन में होता है| इसका मूल्यांकन कोई नहीं करता है| वहाँ वर्कर के लिए बंकर वाले बेड है| एक बेड दो लोगो को दिया जाता है| एक रात को ड्यूटी करता है और एक दिन को| उनकी मेहनत के बराबर उन्हें मेहनताना भी नहीं मिल पाता है| कुल मिलाकार कहे तो वहां मजदूरों का बुरी तरह शोषण किया जात है| जहाँ चार मजदूर की जरूरत है वहां दो को लगाकर दबाव बनाया जात है जिससे कम लागत में ज्यादा से ज्यादा वस्तुओं का उत्पादन कर सके| उनके प्रोडक्ट के दाम कम होना लाजमी है|
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