स्वतंत्र भारत के झांकी : भाग – 8

Dial down the FREE Subscription for such premium content on our YouTube channel. How to Add Subscribe Button on YouTube Videos (Subscribe Button PNGs)

अध्याय – 2 “देश के भीतर मूलभूत एकीकरण -१”

प्रशासनिक एकीकरण

अभी तक ले हमनी के पहिला अध्याय में देखनी जा कि कईसे लार्ड माउंटबेटेंन, सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरु अउरी वी.पी. मेनन के टीम पाहिले त्रावनकोर ओकरा बाद जोधपुर, जैसलमेर, जूनागढ़, हैदराबाद अउरी कश्मीर के एकीकरण करे में सफल भईले जा| बहुत मुश्किल से सारा राज्यन के एकीकरण कईलेजा| हर जगह पाकिस्तान अउरी राजा राजवाडान के मंशा के मात देत भारत में राज्यंन के विलीनीकरण करवावे के सफल भईलेजा| राज्यंन के एकीकरण भईला से समस्या ख़त्म ना हो गईल रहे| अब चुनौती देश के भीतर होखे वाला हलचल से रहे| श्रृंखला के एह कड़ी के दूसरा अध्याय में मूल रूप से देश के भीतर मूलभूत एकीकरण के बारे में बात होई| सबसे पाहिले देश के भीतर होखे वाला प्रशासनिक एकीकरण के बारे में चर्चा होई| 

हमनी के पहिला अध्याय में देखनीजा कि कईसे भारत के राज्य एकीकरण के निति से प्रभावित रहे| विलीनीकरण से पाहिले जतना भी राज्य रहीसन, सारा राज्यन के आपन प्रशासनिक व्यवस्था रहे, बहुत सारा राज्यन के आपन मुद्रा रहे| एगो गैरलोकतांत्रिक शासन रहे| सारा राज्यंन के भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक अउरी सांस्कृतिक स्तिथि के मूल्यांकन करके एगो यूनिफार्म रूप से प्रशासन के गठन कईल बहुत आसान काम ना रहे| प्रशासनिक एकीकरण में सबसे पाहिले भारत के एगो लोकतान्त्रिक देश के रूप में गढ़ल गईल|

Decoding World Affairs Telegram Channel

हिन्दुस्तान जईसन देश जहाँ विविधता के गहराई के नापल बहुत मुश्किल होला ओहिजा पुरान रीती रिवाजन के तुर के सबके साथ ले चले के चुनौती सामने लउकत रहे| अइसना में पुरान व्यवस्था आ कानून से काम ना चल सकत रहे| तब जरूरत पडल एगो आइन के जवना के हमनी के संविधान कहिनाजा| काफी मेहनत अउरी लगन के मदद से संविधान सभा के लोग भारत के संविधान के रूप रेखा तईयार कईलस|

देश के एकीकरण से पाहिले राज्यंन के टैक्स वसूले के तरीका दोसर रहे| पाहिले जागीरदारी व्यवस्था लागू रहे| जागीरदार लोग राजान के बहुत सारा काम संभालत रहे| जागीरदार लोग के सामान्यतः लघु शासक भी कहल जात रहे| इ लोग टैक्स इकठ्ठा करत रहन जा आ ओकर हिसाब रखत रहन जा| लेकिन टैक्स के रेट का होखे के चाही इ ओह जागीरदारन के विवेक प निर्भर करत रहे| न्यायपालिका के सिस्टम भी बहुत अलग रहे| ओहिजा जज लोग के न्युक्ति राजा करत  रहन|

बहुत सारा राज्यन लगे संहिताबद्ध कानून लागु ना रहे| अइसन जज लोग के कवनो ख़ास महत्त्व ना रहे| काहे कि राजा आ दीवान जब मन करत रहे तबे जज लोग के हटा के मनपसंद जज के न्युक्ति कर लेत रहे लोग| राजा आ दीवान खुद अपना राज्य में न्यायपालिका अउरी विधायिका के काम करत रहे| कुछ राज्यंन में बहुमत के आधार प विधायिका आ प्रशासन के व्यवस्था बनावल जात रहे लेकिन कुछ में राजा के हाथे वीटो पॉवर रहत रहे|

See also  स्वतंत्र भारत के झांकी : भाग – 13

सत्ता के स्थानांतर के समय प्रान्त के प्रशासन क्षमता एगो उच्च मानक प चहुप गईल रहे| कानून के एगो समान प्रणाली अउरी संगठित न्यायपालिका आ प्रशासन के उपलब्ध करवावे के देश सक्षम हो चुकल रहे| सरकारी निति के निष्पक्ष कार्यान्वयन अउरी सही मायने में मूल्यांकन करे के स्तिथि सही रहे| अंग्रेजन के जमाना से ही सार्वजनिक सेवान के संरचना के ढांचा के निर्माण कईल गईल संस्था जवना में अनुभवी पुरुष लोग, जे प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर चयन कईल जात राहे अउरी प्रशिक्षित कईल जात रहे ओह लोग के जिला स्तर प प्रशासनिक जिम्मेदारी दिहल गईल अउरी निर्णायक पदन प बईठावल गईल ताकी प्रशासनिक व्यवस्था में चार चाँद लगावल जा सके|

आज जेकरा के हमनी के आई.ए.एस. ऑफिसर कहिनीजा| ओह व्यवस्था में बिल्कुल छेड़ छाड ना कईल गईल| चुकी आज भी एह विषय के लेके समयानुसार चर्चा होत रहेला| जिला स्तर प एह लोग के बिना चुनाव के एह से बईठावे के निर्णय लेवल गईल ताकी राज्य अउरी केंद्र के बीचे एगो समन्यव बईठावल जा सके|

एगो बड़ा गंभीर प्रश्न इ उठेला कि सरकार के संसदीय स्वरुप में देश चलावे खातिर प्रधानमंत्री पद खातिर चुनाव होला, राज्य में मुख्यमंत्री खातिर भी चुनाव होला लेकिन जिला स्तर प जिला चलावे खातिर प्रतियोगी परीक्षा से काहे लेवल जाला? खैर जिला पार्षद जईसन पद के भी उपयोग कईल गईल लेकिन हर जगह पंचायत स्तर प मुखिया, सरपंच आ जिला पार्षद के शक्ति बदलत रहेला| हैदराबाद अउरी मैसूर के सामने जवन समस्या रहे उ काफी आसान रहे| हैदराबाद में पुलिस एक्शन के बाद पूरा शक्ति केंद्र के हाथ में आ गईल अउरी प्रांतीय शक्ति राज्य के हाथे थमा देवल गईल|

लेखापरीक्षा अउरी लेखा खातिर जिम्मेदारी नियंत्रक अउरी भारत के ऑडिटर जनरल के हाथे मिलल| बाकी के जतना भी छोट छोट राज्य रहीसन जवन भारत में एकीकरण कईली सन ओकनी साथे भी कवनो ख़ास दिक्कत ना रहे| उदारहण के रूप में भोपाल, मणिपुर, त्रिपुरा अउरी विलासपुर आदि| चीफ कमीशनर एक-एक गो ऑफिसर के नियुक्त करके प्रशासन संभाले के जिम्मेवारी दे दिहले| चीफ कमिशनर राज्य मंत्री के अधीन होके बजट प काम करत रहले|

जब तक के संविधान विश्वास में ना आ जाए तब तक एगो समिति के गठन कईल गईल जवन चीफ कमीशनर के प्रशासनिक मामला प सलाह दे सको| ओह समिति में संविधान सभा के ही लोग शामिल रहे| दिक्कत तब खड़ा होत रहे जब बड राज्य के बात आवत रहे जवन छोट छोट राज्यन के मर्ज करके बनावल रहे| उदहारण के रूप में उड़ीसा अउरी मद्रास जवन बड राज्य रही सन| ओह सब राज्यन के जिला स्तर प अउर तुरल गईल ताकि प्रशासन के संभालल जा सको|

See also  कई अवसर गवाने का नतीजा है भारत-चीन सीमा विवाद

ओह घरी कवनो व्यवस्था बन ना पावल रहे तब तक एगो छोटा टर्म खातिर काम चलाऊ शासन प्रणाली बनावल गइल, ठीक ओसही जईसे जोगाड़ बाँधल जाला| असली चुनौती इ रहे कि परमानेंट हल कईसे निकालल जाव| पूरा देश के एगो धागा में बाँध के चलावे खातिर एगो यूनिफार्म कानून व्यवस्था आ प्रशासन के जरूरत रहे| जब ले देश के लोगन में समानता अउरी बराबरी के भावना खुद मन में जागृत ना होई तब ले देश सुचारू रूप से ना चल पाई| एही से संविधान के एगो व्यावहारिक पक्ष में देखल जाला जवन एह प्रकार के विश्वास जगावेला|

तब शुरू भईल उ प्रक्रिया जवना के तहत एगो अईसन प्रशासनिक ढांचा तईयार करके के काम शुरू भईल जवन गाँव से उठके केन्द्रीय सचिवालय तक चहुपे| एह सब खातिर ओह लोग के पर्याप्त कर्मचारी के भी जरूरत रहे जवन निचे के लेके ऊपर तक काम करो| ओकरा के खोजे खातिर भी अलग से काम शुरू भईल| एकरा अन्दर भी बहुत सारा चुनौती आइल कि पदन के रैंक कईसे बनावल जाव| सैलेरी के ढांचा कईसे होखे के चाही|

सबसे पाहिले सचिवालय बनावे खातिर काम शुरू भईल जवना के गाँव से जोड़ल जा सको| टैक्सेशन प्रणाली सजातीय बनावल बहुत जरूरी रहे ताकी सारा लोग सामान रूप से टैक्स भर सको| टैक्स लोग भरी तबे नु कर्मचारी लोगन के वेतन दिआई| राजस्व खातिर एगो बोर्ड के गठन कईल गईल| न्यायपालिका के एगो नया रूप देवे के जरूरत रहे जवन केंद्र अउरी प्रांतीय स्तर प निष्पक्ष रूप से काम कर सके| हाई कोर्ट के मॉडल बनावे के प्रक्रिया अभी बाकी रहे|

त्रावणकोर अउरी कोचीन दुनो के आपन-आपन विधायिका एगो विस्तृत मताधिकार प काम करत रहे| चुकी विधायिका बनावल एह से जरूरी रहे काहे कि केंद्र खातिर एगो संविधान बनावे के रहे| ओह संविधान सभा में उपस्तिथि अनिवार्य रहे| मध्य भारत में इंदौर अउरी ग्वालिअर से सबसे ज्यादा सदस्य के चुनल गईल रहे| इंदौर अउरी ग्वालिअर से क्रमशः पंद्रह अउरी चालीस सदस्य चुने के कहाईल रहे जबकी बाकी के प्रदेश से बीस-बीस गो सदस्य संघ के विधान मंडल खातिर चुने के आदेश रहे| लेकिन कुछ राज्य जईसे राजस्थान औरी पेप्सो अभी तक विधान मंडल के गठन ना कईले रहे|

See also  स्वतंत्र भारत के झांकी : भाग – 27

ओह लोग के सलाह देवल गईल कि जल्दी से चुनाव करा के विधान मंडल के गठन कर लेस लोग| एकरा पीछे दू गो कारन रहे पाहिला इ कि प्रशासनिक मशीनरी अभी तक विश्वास में ना आ पाइल रहे| दूसरा इ कि नया संविधान आईला के बाद 1952 में सार्वभौमिक मताधिकार के आधार प संघ अउरी प्रान्त दुनो स्तर प एक साथे चुनाव होखे वाला बात तय रहे| तब तक त्रावनकोर-कोचीन, मध्य भारत अउरी स्वराष्ट्र मात्र तीन गो प्रान्त विधानमंडल के गठन कर पावल रहे| जेकर अभी तक ना हो पावल ओकरा जगह नॉन-ऑफिसियल लोगन के संदस्य बनाके ओह लोग के प्रतिनिधित्व के जगह के भरल गईल|

भारत-पाक विभाजन के समय जतना भी अंग्रेज ऑफिसर्स रहन जा रिटायर होत रहन जा| पाकिस्तान में भईल कि जतना भी मुस्लिम ऑफिसर्स रह्सन सभ के सभ ओह लोग के पद के भर दिहले जा| लेकिन भारत में एह सब के भरे खातिर प्रशासनिक सेवा के पद के ओसही रखल गईल| ओह में आई.ए.एस. अउरी आई.पी.एस. के न्युक्ति होखे शुरू हो गईल| ओकरा बाद संविधान विश्वास में आइल अउरी काम करे शुरू कईलस| एही संविधान के सहारे आजादी के बाद प्रशासन में पहिला सुधार सार्वभौमिक मताधिकार के आधार प सरकार के संसदीय स्वरुप के शुरुआत के साथे भईल| चुकी इ बात त जान गईनी जा कि राज्यन के एकीकरण हो चुकल बा| लेकिन पूरा देश के प्रशासन कईसे चलावल जाव इ एगो बड चुनौती रहे| तब पूरा देश के राज्य, जिला, तहसील के रूप में विकेंद्रित कईल गईल ताकी एगो जवाबदेही प्रशासन के व्यवस्था कईल जा सको| एह प्रक्रिया के सत्ता के विकेंद्रीकरण कहल जाला|

एकरा अलावां अभी बहुत कुछ बाकी रहे जवना से प्रशासनिक व्यवस्था के सुधारल जा सको| समयानुसार जब जब जरुरत पडल तब तब संभावित बदलाव आइल| लेकिन ओह घरी जरूरी इ रहे कि एगो टेम्पररी हल निकालला के बाद परमानेंट हल खोजल जाव| जवना में काफी हद तक सफल भी भईले जा| देश के भीतर अभी बहुत चीज के एकीकरण बाकी रह गईल रहे| एह सीरीज के अगिला कड़ी में आर्थिक एकीकरण के बारे में चर्चा होई|

Spread the love

Support us

Hard work should be paid. It is free for all. Those who could not pay for the content can avail quality services free of cost. But those who have the ability to pay for the quality content he/she is receiving should pay as per his/her convenience. Team DWA will be highly thankful for your support.

 

Be the first to review “स्वतंत्र भारत के झांकी : भाग – 8”

Blog content

There are no reviews yet.

Decoding World Affairs Telegram Channel
error: Alert: Content is protected !!