स्वतंत्र भारत के झांकी : भाग – 16

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अध्याय – 3 “भारत के पडोसी देशन से युद्ध  – 2”

1962 : भारत चाइना युद्ध – ‘अ’

एह सीरीज के 16वां भाग में भारत चाइना युद्ध 1962 के बारे में बात होई|. अभी तक हमनी के पहिला अध्याय ‘राष्ट्र एकीकरण के चुनौती’ के बारे में देखनी जा| एह अध्याय में हमनी के एह बात से अवगत भईनी जा कि कईसे लार्ड माउंटबेटेंन, सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरु अउरी वी.पी. मेनन के टीम पाहिले त्रावनकोर ओकरा बाद जोधपुर, जैसलमेर, जूनागढ़, हैदराबाद अउरी कश्मीर के एकीकरण करे में सफल भईले जा| दूसरा अध्याय ‘देश के भीतर मूलभूत एकीकरण’ में हमनी के देखनीजा कि कईसे सबसे पहले प्रशासनिक एकीकरण भईल, ओकरा बाद आर्थिक एकीकरण, सामाजिक एकीकरण भईल|

एकरा अलावां राज्यन के भाषाई एकीकरण अउरी क्षेत्रीयता के खिलाफ एकीकरण प भी चर्चा कईनी जा| ओकरा बाद तीसरा अध्याय शुरू भईल जवन भारत के पडोसी देशन के साथे जतना युद्ध भईल बा ओकरा बारें में विस्तार से चर्चा हो रहल बा| एह अध्याय के पहिला अंक में भारत पकिस्तान के पहिला युद्ध 1947 के बात हो चुकल बा| अब दूसरा अध्याय में भारत चाइना युद्ध के बारें में बतकही होई|

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इतिहास के पन्ना में दर्ज इ भयावह युद्ध जवन 1962 में भारत अउरी चीन के बीचे भईल रहे| एह युद्ध के भारत चीन सीमा विवाद के रूप में भी जानल जाला| एह युद्ध में भारत के हार के सामना करे के पडल रहे| लेकिन इ युद्ध भारत के कूटनीति के वास्तविक मतलब सिखा गईल, जवना के तात्कालिक प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ना समझ पावत रहन| चुकी कवनो महज सामान्य झगरा ना रहे जवना के बातचीत के जरिए समाप्त कईल जा सकत रहे|

विवादित हिमालय सीमा युद्ध खातिर सिर्फ एगो बहाना मात्र रहे| जबकी मकसद में अउर भी कुछ शामिल रहे| चीन में 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत, दलाई लामा के शरण देहलस तब भारत चीन सीमा पर हिंसक घटनान के एगो श्रृंखला शुरू हो गईल| भारत फॉरवर्ड नीति के तहत मैकमोहन रेखा से सटल सीमा प आपन पुलिस चौकी बनावे लागल रहे, जवन 1959 में चीनी प्रीमियर झोउ एनलाई के द्वारा घोषित वास्तविक नियंत्रण रेखा के पूर्वी भाग के उत्तर में रहे|

चीन भारत प 20 अक्टूबर 1962 के आक्रमण कईलस जवन 21 नवम्बर तक चलल| प्रत्यक्ष रूप से चलल लगभग एक महिना के युद्ध में भारत के हार के सामना करे के परल रहे| हालाँकि चीन 1959 से ही अप्रत्यक्ष रूप से हालमा शुरू कर चुकल रहे जवना में छोट-छोट आक्रमण शुरू हो चुकल रहे| ओह घरी चीन, लद्दाख के कोंगकला में सबसे पहिले युद्ध के माहौल बनईलस जवना के भारत ना समझ पावल| सीमा प तनातनी के माहौल गह्रवे लागल रहे|

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चीन के सबसे बड बात इ निक ना लागल रहे कि भारत दलाई लामा के शरण काहे देहलस| शायद एही वजह से युद्ध के मूड बना लेलस| सीमा विवाद त बहाना मात्र ही रहे| हमला के ठीक दू दिन बाद यानी कि 22 अक्टूबर के तत्कालीन प्रधानमंत्री लोगन के सन्देश दिहले| उहाँ के भाषण में बेचारापन अउरी अफ़सोस के प्रतिबिम्ब आसानी से देखल जा सकत रहे| ओकरा बाद भारत के अरुणाचल प्रदेश अउरी चीन के अक्साई दुनों क्षेत्र में लगभग एक महिना तक युद्ध चलल|

युद्ध के शुरूआती दिनन में ही एह बात के अंदाजा लग चुकल रहे कि भारत, चीन के सामना ना कर पाई| देखत देखत में ऊतर पश्चिम क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला अउरी पूर्व में नेफा के तवांग के लेके बोमडिला तक चीन आपन लाल झंडा लहरावे में सफल हो गईल| भारत के फ़ौज तितर बितर हो गईल| लड़ाई के 30 वाँ दिन फिर जवाहरलाल नेहरु रेडियो प आके जनता के नाम सन्देश देले जवना में हार के औपचारिक एलान भईल| एह में बोमडिला के भारत के हाथ से निकल गईला प आपन दुःख प्रकट कईल|

हालाँकि 21 नवम्बर के चीन युद्ध विराम के घोषणा कर दिहलस| भारत के मिलल एह हार में जवन क्षेत्र प चीन कब्ज़ा कईले रहे ओकरा के छोड़े के एलान कईलस| एह एकतरफा एलान के बाद ही युद्ध ख़त्म भईल| अंतराष्ट्रीय स्तर प चीन के छवि ख़राब जरूर भईल| एह युद्ध से इ बात भी स्पष्ट भईल कि भारत के राजनीती में बहुत सारा अलगाव बा| आपसी जवन भी मतभेद रहे उ युद्ध के कारण सामने आइल अउरी अंतराष्ट्रीय स्तर प जाहिर भी होखे लागल|

एक महिना के युद्ध में भारत बहुत कुछ गवां चुकल रहे| भारत के एक हजार से ज्यादा सैनिक शहीद भईल रहले अउरी लगभग एक हजार से ज्यादा घायल भईल रहले| 1696 सैनिकन के कुछ पता ही ना चल पावल| एकरा अलावां लगभग चार हजार सैनिकन के युद्ध बंदी के यातना झेले परल रहे| कुल मिला के भारत इ युद्ध हार चुकल रहे| एहिजा दू गो सवाल बहुत महत्वपूर्ण बा| पहिला कि आखिर इ युद्ध भईल काहे? आ दूसरा सवाल इ बा कि हमनी के इ युद्ध काहे हरनी जा?

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इ युद्ध काहे भईल एकरा तह तक जाए खातिर हमनी के साल 1950 के घटना तक जाए के परी| दुनो देशन के इतिहास अउरी कमोबेस लगभग एक साथे शुरू भईल रहे| भारत 1947 में आजाद भईल अउरी ओकरा ठीक दू साल बाद ही चीन में लम्बा संघर्ष के बाद पब्लिक रिपब्लिकन ऑफ़ चाइना एक साम्यवादी देश बनल| दुनो देशन के मौजूदा सफ़र एक साथे शुरू भईल|

भारत 1947 में कम्युनिस्ट चीन के मान्यता त दे दिहलस लेकिन ठीक एक साल बाद 1950 में चीन एगो बरियार घटना के अंजाम दे दिहलस| चीन, भारत अउरी चीन के बीचे बसल आजाद देश तिब्बत प आक्रमण कर दिहले रहे| अउरी बहुत जल्द ही ओकरा प कब्ज़ा कर लिहलस| चीन तिब्बत के आपन एगो राज्य घोषित कर दिहलस| तिब्बत के प्रमुख दलाई लामा हवे जेकरा के लेके आज भी चीन अउरी भारत के बीच खीचतान चलत रहेला|

पाहिले सिर्फ भारत के उत्तर अउरी उत्तरपूर्व के कुछ ही क्षेत्र भारत अउरी चीन से जुडल रहे लेकिन चीन के तिब्बत प कब्ज़ा के बाद भारत के बहुत बड सीमा के जुडाव चाइना से हो गईल जवना सुरक्षा प चिंता के नया आयाम खोल के रख दिहलस| प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के लगे विदेश मंत्रालय भी रहे| नेहरु ने विदेश मंत्रालय के अधिकारिन खातिर एगो सन्देश जारी कईले जवना में उहाँ के एह बात के आवाहन कईनी भारत चाहे दुनिया के कवनो देश चीन के तिब्बत प हमला के ना रोक सकेला| अगर चीन भारत प कब्ज़ा करी त उ भारत पर भी हमला कर सकेला अइसन हालात में तीसरा विश्व युद्ध जन्म ले सकेला|

ओह सन्देश में एगो महत्वपूर्ण बात इ रहे कि जवाहर लाल नेहरु एह बात से भी अवगत करईले कि अगर भारत के विवादित जमीन प चीन हमला करी त शायद उ कब्ज़ा करे में भी सफल होई| जवाहर लाल नेहरु चीन के ताकत से कुछ ज्यादा भयभीत रहले| एह से उहाँ के सलाह देहनी कि हमनी के चीन से बढ़िया रिश्ता करे में ही भलाई बा| चीन के तिब्बत प कब्ज़ा के बाद जवाहर लाल नेहरु सीमा से संबधित बातचीत कहे के पहल भी शुरू ना कईले उहाँ के मानना इ रहे कि जब तक चाइना एह बात के आगे नइखे बढ़ावत तब तक भारत के तरफ से आगे बात कईल ठीक नइखे|

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चीन भारत से एह बात के आश्वासन देत रहे कि उ तिब्बत के मामला बहुत जल्दी ही शांति से सुलझा लिही| जबकी तब के गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल, जव्हारलाल नेहरु के चिठ्ठी लिख के चाइना के मंसा प संदेह व्यक्त कईले| उहाँ के कहनाम भी ठीक रहे कि चीन भारत के धोखा दे रहल बा| भारत के उत्तरपूर्व से जुडाव भी मुर्गा के गर्दन लेखा बा| एह से भारत के इ मामला के गंभीरता से लेके उचित कार्यवाई करे के चाहि ना त एकर बहुत बड कीमत भारत के चुकावे के पड़ सकत बा| 

सरदार बल्लभ भाई पटेल के पत्र से एगो बात साफ़ बा कि पटेल जी के मन में चाइना के लेके आशंका रहे| पटेल जी सिर्फ अकेले ना रहन जेकरा मन में संदेह रहे| उनका अलावां कांग्रेस में जतना भी दक्षिणपंथी नेता (पन्त से लेके जे. बी. कृपलानी तक) रहले सब लोग के मन में अइसने संदेह रहे| लेकिन समस्या इ रहे कि उ दौर अइसन रहे जवना में नेहरु के चुनौती देवे वाला कोई रहले ना रहे| जवाहरलाल नेहरु के एह सब प का प्रतिक्रिया भईल अउरी ओह प्रतिक्रिया के भारत अउरी चीन के रिश्ता प का प्रभाव पडल? आखिर इ समस्या शुरू कईसे भईल एह बारे में अगिला अंक में अगिला एतवार के एह प विस्तार से पूरा चर्चा होई|

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