स्वतंत्र भारत के झांकी : भाग – 1

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अध्याय – 1 “देश निर्माण के चुनौती – १”

एकीकरण के भूमिका

देश निर्माण – “Long years ago we made a tryst with destiny, and now the time comes when we shall redeem our pledge, not wholly or in full measure, but very substantially. At the stroke of the midnight hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom. A moment comes, which comes but rarely in history, when we step out from the old to the new, when an age ends, and when the soul of a nation, long suppressed, finds utterance..”- J. L. Nehru

स्वतंत्र भारत के पहिला प्रधानमंत्री, प. जवाहर लाल नेहरु के एही भाषण से भारत के एगो नया सवेरा के शुरुआत कईल गईल| “मध्य रात्रि के एह बेला में जब पूरा दुनिया नींद के आगोश में सुत रहल बा, हिंदुस्तान एगो नया जिंनगी अउरी आजादी के वातावरण में आपन आंख खोल रहल बा| इ एगो अईसन पल बा जवन इतिहास में बहुत ही कम लउकेला, जब हमनी के पुरान युग से नया युग में प्रवेश करीले जा आ जब एगो युग खत्म होला आ जब एगो देश के बहुत दिनन से दबावल गईल आत्मा अचानक आपन अभिव्यक्ति लेले……”

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स्वतंत्र भारत के पहिला प्रधानमंत्री चौदह-पंद्रह अगस्त 1947 के राते एगो विशेष सत्र बोला के संबोधित कईले जवना के ‘‘ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी’’ कहल जाला| जब देश आजाद भईल तब एह बात प आम सहमती लेवल गईल कि देश के शासन लोकतान्त्रिक तरीका से चलावल जाई अउरी सारा काम जनता के हित खातिर कईल जाई| लेकिन देश निर्माण के लेके सबसे बड चुनौती रहे राष्ट्र एकीकरण जवना में समाज के हर विविधता के जगह होखे| एकरा अलावां दूसरा चुनौती रहे लोकतंत्र के गरिमा के जिन्दा रखल|

भले वोट देवे के अधिकार मिल गईल रहे, संविधान में लोगन के मौलिक अधिकार आ अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता के जगह दे देवल गईल रहे लेकिन लोकतंत्र कायम राखल एगो बड चुनौती रहे| तीसरा बड चुनौती रहे कि भारत के विकास के खाका कईसे बनावल जाव कि समाज के हर तबका के मूल्य समाहित होखो| दोसरा शब्द में कही त संविधान के समानता के अधिकार के जमींन प उतारत देश के सतत पोषणीय विकास कईसे कईल जाव?

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एह अध्याय में तीनो चुनौतिन प एक-एक करके चर्चा कईल जाई| सबसे पहिला चुनौती राष्ट्र-एकीकरण के बात कईल जाव| 15 अगस्त 1947 के दू गो राष्ट्र अस्तित्व में आइल, भारत अउरी पाकिस्तान| मुस्लिम लीग के ‘टू नेशन थ्योरी’ के कांग्रेस पाहिले विरोध कईले रहे लेकिन बाद में ओह लोग के मांग के स्वीकार कर लेले रहे आ ओहिजे से पाकिस्तान के जन्म भईल| पंजाब के पश्चिमी इलाका आ बंगाल के पूर्वी इलाका(वर्तमान में बांग्लादेश) पाकिस्तान बनल| चुकी लार्ड माउंटबेटेन के भी विश्वास ना होत रहे कि अंग्रेजन के गईला के बाद भारत के नयका सरकार एह विविधता के संभाल पाई|

एह बात के प्रमाण मिलत बा आजादी के कुछ महिना पाहिले वाला रेडियो प्रसारण से जवना में माउंटबेटेन के कहले रहले कि भारत के एकता के बनाए रखे वाला कवनो समझौता तक पहुचल बड़ा मुश्किल हो गईल बा| एह बात के कवनो सवाल नइखे कि एक इलाका के बहुसंख्यक आबादी के अईसन सरकार के हवाले छोड़ देवल जाव जहाँ ओकर दखल ना होखे| एह से एकमात्र हल बा विभाजन| चुकी ब्रिटिश शासन के तरफ से एह बात डिक्लेरेशन हो चुकल रहे कि 1947 में भारत आजाद होई आ सत्ता के स्थानांतरण होई|

ब्रिटिश साम्राज्य के एह निर्णय के बाद सबसे ज्यादा देश में गरमाहट आइल रहे| सवाल इ खड़ा होत रहे कि एह लोग के गईला के बाद कतना राज्य स्वतंत्र होई सम्पूर्ण भारत या 565 राजवाडन के राज्य या भारत आ पाकिस्तान| आजादी के कुछ महिना पहिले महात्मा गाँधी, सरदार बल्लभभाई पटेल आ जवाहर लाल नेहरु के सामने दू गो सबसे बड समस्या रहे| पहिला कि जवन सांप्रदायिक हिंसा दिनोदिन बढ़त चलल चल गईल बा ओकरा के कईसे रोकल जाव आ  भारत के बिगड़त चेहरा के कईसे संभालल जाव|

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दूसरा समस्या रहे ‘लैप्स ऑफ़ पैरामाउंसी’| चुकी आजादी के पाहिले हमनी के देश में छोट-बड मिलाके कुल 565 राजवाडा रहले सब लोगन के पास आपन फ़ौज, आपन कानून आ आपन शासन व्यवस्था रहे| ओह शासन व्यवस्था पर अंग्रेजन के प्रत्यक्ष शासन रहे| इहाँ तक के कुछ राजा लोगन के पास आपन करेंसी तक रहे| इ सब राजा लोग अंग्रेजन के गुलामी स्वीकार कर लेले रहले जवना के ‘पैरामाउंसी’ कह गईल रहे| अंग्रेजन के गईला के बाद पैरामाउंसी भी ख़त्म होखे वाला रहे आ ओह में इ अधिकार देवल गईल कि सारा राजवाडा आपन भविष्य खुद तय करिहे|

अगर ऊपर ऊपर देखल जाव त कानूनन बात सही लागत बा| लेकिन एगो प्रश्न दिमाग में उठे के चाही कि जब अंग्रेज भारत में शासन करे आइल रहन तब का सारा 565 रियासत अलग अलग स्वतंत्र रहे? का अइसन भईल रहे, कि अंग्रेज लोग आपन शासन करे खातिर सारा राज्यन के मिलाके ब्रिटिश इंडिया बनवले रहन? जवाब मिली बिल्कुल ना| ओह लोग के आईला के पाहिले भी सारा राजा लोग एके देश भारत में आवत रहले|

निष्कर्ष इ निकल के आवत बा कि जब भारत के जोड़लही ना रहन जा त अलग होके आपन स्वतंत्र राज्य बनावे के अधिकार या बांटे के अधिकार कईसे दे देले| खैर भईल इ कि एह अधिकार के मिलते राजा राजवाडा लोगन भीरी तिन गो विकल्प खुल के सामने आइल| पहिला आपन खुद के स्वतंत्र राज्य बनवास, दूसरा भारत में विलय करस, तीसरा पाकिस्तान में विलय करस| एह अधिकार के मिलते पाकिस्तान के जन्मदाता मोहम्मद अली जिन्ना पूरा फायदा उठावे लागल रहन| हमनी के आजादी त मिलत रहे लेकिन देश बिखरे लागल रहे|

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चुकी देश में हर जगह हिंसा आपन स्थान लेवे लागल रहे| वायसराय के सलाहकार वी.पी. मेनन आपन किताब ‘द स्टोरी ऑफ़ द इंटीग्रेशन ऑफ़ इंडियन स्टेट’ में लार्ड माउंटबेटेंन के एगो दर्द लिखले बाड़े जवना में उहाँ के कहले बानी कि माउंटबेटेंन के एह बात के एहसास होखे लागल रहे कि कही अइसन मत होखो कि आवे वाला भविष्य में लोग एह सब हिंसा के उनको के जिम्मेवार मानो| वी. पी. मेनन उनका के सलाह देले कि जवन गलती हो गईल बा ओकरा के अभियो सुधारल जा सकत बा, अगर माउंटबेटेंन राजवाडन के राज्य के भारत में मिलावे खातिर मदद करे लागस|

एह से भारत के आवे वाला पीढ़ी उनका के भारत के जोड़े वाला शख्स के रूप में देखी| पंजाब आ बंगाल के उदाहरन देके माउंटबेटेंन के एह बात के तरफ इशारा कईले कि अभी त सत्ता में स्थानांतरण भी नइखे भईल तब हतना दंगा फसाद होता| होखला के बाद का होई? वी. पी. मेनन माउंटबेटेंन के सलाह देले कि प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप करके हालात के सुधारी आवे वाला भविष्य रउरा के हीरो के रूप में देखी|

एह सीरीज के भाग 2 अगिला अंक में…..

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