“स्ट्रीट वेंडर्स” खातिर एगो पारदर्शी व्यवस्था के जरूरत (भोजपुरी)

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खाए पिए के सबके आपन पसन होला | हमनी के भीतर एगो मानवीय गुण बा, कि कवनो चीज तनी मनी तय हिसाब से ज्यादा मिल जाला, त आदमी आकर्षित आ खुश हो जाला | सुबह दूध वाला घरे आवत बा आ तय माप से तनी मनी बाद में ढेर दे देला त आदमी खुश हो जाले | इहे चीज सब्जी मंडी में बा | अगर तरजुई के कांटा तनी बाएँ नव जाव त आदमी सब्जी वाला के लुटेरा घोषित कर देला आ उहे तनी दाए मुड़ जाला त निक लागे लागेला | अक्सर जब हम दिल्ली चाहे फरीदाबाद जाई ना त सड़क के किनारे कचौड़ी वाले के पास पुदीना मिक्स भाजी संघे कचौड़ी जरूर खाईना | अच्छा लागेला | हम डोमिनोज भी जाईना | लेकिन दुनो जगह में बहुत अंतर बा | डोमिनोज कतनों कोशिश करले लेकिन भारतीयता के बोध ना हो पावे | हमनी के तनी एक्स्ट्रा प खुश होखे वाला जीव हई जा | फोचका के उदहारण ले लिही | तय मात्रा के मुताबिक फोचका खईला के बाद मुफ्त में मसालेदार पानी पीही आ एगो सुखाइल फोचका डेजर्ट के रूप में अनिवार्य हो गईल बा | बिना कहले फोचका वाला इ परोस देला काहे कि उ बढ़िया से जानत बा कि बिना खईले आदमी ना जईहे |

एगो अउरी बारीक अंतर बा | डोमिनोज या फिर कवनो ब्रांड जवन पिज्जा, बर्गर आदि बेचेला, ओकरा से यदि कहल जाव कि तनी पियाज आ भा टमाटर से टॉपिंग कर द, त करी लेकिन ओकर दाम डेढा हो जाई | लेकिन अगर कचौड़ी वाला लगे बानी आ कही कि भैयवो तनी पियाज छिरिक दे त तनी अउरी | बिना एक्स्ट्रा खर्च के पियाज के टॉपिंग हो जाला | इ मूल अंतर बा | विकास के चकाचौंध में एगो बड वर्ग अझोला होखत जा रहल बा | शहरीकरण अउरी विकसित कहाए के होड़ फेरीवाला के गुलाम बना रहल बा | बेचे कीने के जगह के स्वतंत्रता छिना रहल बा | ख़ास अधिकारी मिल के एह बात के तय करत बा कि कहाँ केकरा बेचे के चाही आ कहाँ ना | जगह तय के अधिकार कहीं ना कही शोषण के दरवाजा खोल देले बा | एगो वास्तविक उदहारण अनुभव के आधार प देल चाहब जवन हमार बिंदु के मजबूत साबित कर सके | कुछ दिन पहिले हमार शिफ्टिंग पुणे में भईल | शाम के स्नैक्स खातिर जब निकलनी एगो फेरीवाला (स्ट्रीट वेंडर्स) सड़क के किनारे वडा पाव बेचत रहे |

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खात खानी बात-बात प पूछ लिहली कि कोई परेशानी त ना नु होला? कहीं कवनो प्रकार के महिना वेग्रह त ना नु देवे के परेला | स्ट्रीट वेंडर्स के तरह से जवाब इ मिलल कि एहिजा पुलिस त ना लेकिन सामने एगो राजनितिक पार्टी के दफ्तर बा ओहिजा रोज सांझी के 100 रु देवे के परेला | हम पूछ देनी कि जब इ वेंडिंग जोन ना ह त काहे लगईले बानी? उहाँ के जवाब बहुत प्यारा अउरी तार्किक रहे | स्ट्रीट वेंडिंग जोन जहाँ बा ओहिजा लोगन के आवाजाही कम बा | प्रोफेशनल लोग बा, बाजार तनी कम बा | अउरी कुछ बाजार वाला जगह प वेंडिंग पॉइंट बनल बा त भीड़ बहुत बा | ओहिजा बेचे के लाइसेंस लेवे खातिर मोटा पईसा खिआवे के परी| ओकरा से बेहतर बा कि कुछ दे ले जिनगी के गुजारा कर लेवल जाव | जाने अनजाने एगो फेरीवाला आ ठेलावाला भ्रष्टाचार के हिस्सा बन जाला | होला उहे जवन होखे के रहेला बस नियम बन जाला जवना के वजह से प्रशासन के भ्रष्टाचार से दरवाजा खुल जाला | इहे हाल दिल्ली जईसन बड महानगर में भी बा | आए दिन असंगठित ठेलावाला के पुलिस परेशान करत रहेले | एकरा पीछे कारण इहे बा कि सभे एह चीज के जानत बा लेकिन आजुले कवनो कानून ठोस आ पारदर्शी ना बन पाइल |

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हालाँकि सरकार एह विषय प कुछ करे के प्रयास जरूर कईलस लेकिन सही ढंग से अमली जामा ना पहना पाइल | 2014 में बनल कानून के खास बात इ रहे कि ओह में “टाउन वेंडिंग कमिटी” बनावे के बात कईल गईल रहे | निर्णय लेवे के अधिकार वाला टीम में एकर जगह रहे | काम इ रहे कि पूरा दिल्ली के सर्वे करो आ स्ट्रीट वेंडर्स लोगन के एगो सूची तईयार करो | सूची में तईयार लोगन के 9 साल तक के लाइसेंस देवे के प्लान कईले रहे | अगर दुकान आगे रखल चाही तब 9 साल बाद ओकरा दोबारा फ्रेश बनवावे के परी | एह कानून में इ अधिकार ओह समिति के देल गईल बा कि हर महिना किराया अउरी क्षेत्र के देखरेख करो | वेंडर्स के बेचे के समय निर्धारित बा आ जगह भी 6×4 फीट से ज्यादा ना होखे के चाही | इ सब त ठीक बा लेकिन इ तब तक सफल ना हो पाई जब तक से पूरा नियंत्रण सरकार के हाथे ना आ जाई | या त पहिले लेखा रहे दिही जेकरा जहाँ लगावे के बा ओहिजा लगाईं आ भा पूरा बढ़िया से जिम्मेवारी लेके एकरा के मुकम्मल करी |

एह वर्ग के ज्यादातर सरकारी नितियन में अझोला कईल गईल बा | FDI जईसन विदेश निवेश के पूरा छुट मिलला से असही आमदनी कम भईल बा | ऊपर से नीतिगत अन्याय अउरी ख़त्म कर दिही | हमनी के भूले के ना चाही कि एह व्यवसाय में लगभग 5 करोड़ भारत के लोग जुडल बा | एह से ओह लोग के हित के भी ध्यान में रखल ओतने जरूरी बा जतना कि विदेश निवेश के | फेरीवाला, ठेला-कुम्चा प बेचे वाला आलू टिक्की, बर्गर आदि खातिर कच्छा माल जईसे आलू आदि एहिजे के किसान के लेके उपयोग करेला | जबकी मैकडी, डोमीनोज आदि ज्यादातर कच्छा माल इम्पोर्ट करके ही उपयोग करेला| कहे के मतलब इ बा कि असंगठित क्षेत्र में लागल जतना भी ठेला कुमचा वाला लोग आ चाहे फेरीवाला बा, ओह सब लोगन के पहचान मिले के चाही | इ ना सिर्फ पाच करोड़ लोगन के व्यवसाय से जुड़ल बा बल्कि भारत के किसानन द्वारा पैदा भईल कच्छा माल के भी खपत करेला | एह से एह वर्ग के सुनियोजित तरीका से व्यवस्थित कईल बहुत जरूरी बा |

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अब बात इ आवत बा कि एकर का हल हो सकेला? हमरा समझ से एह प्रकार के टाउन वेंडिंग कमिटी बनईला से बेहतर बा कि कुछ अइसन प्लान होखो जवन जमीन प लउके | एकरा जगह प स्ट्रीट वेंडर प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनावल जा सकेला | लाइसेंस के भी सिस्टम उहे होखो | लेकिन जगह निर्धारित करे के भी प्रावधान होखे कि के कहाँ लगाई | ठीक ओसही जईसे मेला आदि में दुकान आदि के व्यवस्थित तरीका से दुकानदार के नाम से तय कईल जाला | बाकायदा एकरा खातिर लाइन से छोट उचाई वाला स्टाल बनावल जा सकेला | स्टाल नंबर के मुताबिक सभके दोकान तय होखे | रोड आ संगठित दोकान के बीचे खाली स्थान रहेला | ओह खाली स्थान के सुनियोजित तरीके से उपयोग कईल जा सकत बा | जवना के उचाई कम होखला के वजह से पीछे के संगठित दोकान के भी परेशानी ना होई आ स्टाल अउरी संगठित दोकान के बीचे एगो रास्ता भी बनल रहो | एह से होई का कि पहिला चीज, दोकान शहरी सौंदर्य के हिसाब से क्रमबद्ध तरीका से लाग जाई | दूसरा फायदा इ होई कि पुलिस के वसूली जईसन चीज से निजात मिल जाई | तीसरा फायदा इ होई कि स्ट्रीटवेंडर्स के स्वतंत्रता मिल जाई जवना से बिना भय के आपन दोकान बढ़िया से चला पाई |

अब इ सवाल उठ सकेला कि एकरा में आ एकरा पीछे लागल दोकान में का अंतर रह जाई? बिल्कुल अन्तर बा | इ ओह जगह प बा जवना से गरमजरुआ जमीन कहाला | संभवतः सरकार के ही होला जवना के सामने वाला घर के लोग कब्ज़ा कर लेला | खैर शहर में थोडा कम होला | उ स्पेस बाचल रह जाला | ओह जगह के पूरा पूरा उपयोग भी हो जाई आ रेहड़ी पटरी के वजह से कभी कभी ट्रैफिक के जवन दिक्कत आवेला ओकरा से निजात भी मिल जाई | अइसन बिल्कुल नइखे कि इ कॉन्टेक्स्ट के बिल्कुल बाहर बा | एकरा के स्मार्ट सिटी जइसन प्रोजेक्ट के हिस्सा बनावल जा सकेला | अभी तक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में एकरा प बात नइखे भईल | इहाँ तक कि अगर मौल वेग्रह भी बन रहल बाड़ी सन त मौल बिल्डिंग के बाहर अउरी कैंपस के भीतरी स्टाल बनावल जा सकेला | अगर हर मौल के पूरा बाउंड्री से सटा के असंगठित लोगन खातिर स्टाल लागे त बहुत आसानी से तक़रीबन सौ से ज्यादा स्टाल लाग सकेला | जब अतना स्टाल लाग सकेला त सोची कि कातना लोगन के पूरा शहर में रोजगार मिल सकेला |

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जवन भी किराया होखे आ एकरा से जुड़ल कागजी कार्यवाई के संबधित अधिकार होखे, उ सिर्फ सरकार द्वारा निर्मित ‘स्ट्रीट वेंडर प्रोटेक्शन अथॉरिटी’ के हाथ में ही निहित होखे के चाही | जवन भी मौल से देवे लेवे के हिसाब होखे उ सरकार आ मौल के बीचे ही होखे | एह तरह के प्लान बना के भी स्ट्रीट वेंडर्स के अधिकार सुरक्षित रख सकेला | एकरा अलावां स्ट्रीट वेंडर्स के सुरक्षा के इंतजाम भी सख्त होखे के चाही जवना से कवनो पुलिस चाहे अधिकारी आपन पद के गलत फायदा मत उठा पावस | ओह अथॉरिटी में ‘ग्रिएवांस एड्रेसल बॉडी’ जईसन चीज के स्पेस देवे के परी तभी एह समस्या के कुछ हल निकल सकेला | अगर कवनो पुलिस गलत करत बा आ जबरन विस्थापित करे के कोशिश करत बा त ओकरा उचित दंड देवे के भी प्रावधान तय करे के परी | 2014 वाला कानून आ टाउन वेंडिंग कमिटी सब हवा हवाई बा | जमीनी स्तर प हकीकत उहे पुरनका बा आ समस्या भी अभी ओहिजे बा | एह से जरूरी बा कि वेंडर्स लोगन के फुल प्रूफ अधिकार मिलो ताकी प्रशासनिक अन्याय से निजात मिल सके | आपन व्यापार करके जीविका चलावे के सन्दर्भ में इहाँ तक 1989 में सुप्रीम कोर्ट भी अपना निर्णय में इ बात कह चुकल कि फेरीवाला लोगन के फंडामेंटल राईट बा | कानून बनला के तीन साल बाद भी स्तिथि जस के तस बा|

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