डिजिटल इंडिया के असल मायना (भोजपुरी)

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गत महीने बड़ा ही जोरदार विज्ञापन के सहारे केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया के उद्घाटन कईलस, जवन की राष्ट्रहित में एगो बरियार कदम बा, अगर ओकरा के नियोजित ढंग के विश्वास में लेवल जाइ तब | अबकी बार एकरे पहलू दने झाके के कोशिश कईल जाई देखल जाई कि इ ह का ? एकर सकारात्मक पहलु का का हो सकेला ? एकर नकारात्मक पहलु का का हो सकेला ? एकरा सामने कवन कवन महत्वपूर्ण चुनौती आ सकेली सन ? वास्तविक जीवन के ग्राउंड लेवल प डिलीवरी के संभावना केतना बा ? एह सभ के मैदान से बहरी बईठ के ऑडियंस के रूप में देखल जाई अउरी ओकर छोटहन विश्लेषण कईल जाई |

सबसे पाहिले बात कईल जाव कि इ प्रोग्राम ह का ? इ अइसन कार्यक्रम ह जवना में भारत  सरकार 1,13,000 के बजट रखले बिया | एह कार्यक्रम में 2.5 लाख पंचायतन समेत छव लाख गाँव के ब्रॉडबैंड से जोड़े के लक्ष्य भी निर्धारित कईल गईल बा | सरकार, मूल रूप से 2017 तक यह लक्ष्य में पावे खातिर एगो एस्टीमेट समय के एलान भी कईले बिया | सरकार द्वारा एह बात के भी दावा कईल गईल बा कि लगभग 55 हजार जोडल जा चुकल बा |

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एह सभ पंचायत के ब्रॉडबैंड से जोडे प 70 हजार करोड रुपया के बजट के प्रस्ताव बा खैर एकर लक्ष्य 1.7 लाख आईटी पेशेवर तईयार करे के भी लक्ष्य रखल गईल बा | एह सभ करे खातिर इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट योजना के भी शुरुआत कईल गईल बा जवन की सरकार के जनता आ जनता के सरकार से जुड़े में आवे वाला समय में संभव हो सकेला | प्रधानमंत्री जी एकरा के किसानन खातिर एगो क्रांति के रूप में ब्याख्या कईले बानी, जवना में डिजिटल इंडिया के तहत किसान के आईटी से जुड़े खातिर आवाहन भी कईले बानी |

अब तनी एकर ऐतिहासिक पहलु दने झाके के कोशिश कईल जाव | 1970 में भारत सरकार इलेक्ट्रॉनिक डिपार्टमेंट के स्थापना कईलस जवन बाद में (1976) NIC (National Informatics Centre ) के रूप लेलस | इंदिरा गाँधी जी के कार्यकाल में भारत में पहिला बे कवनो सरकार तकनीक अउरी कम्युनिकेशन के संज्ञान में लेलस अउरी कुछ करे खातिर हरी झंडी देखावलस | फिर कुछ दशक बाद NICNET नामक सॅटॅलाइट आधारित कंप्यूटर बनावल गईल फिर तकनिकी विकास करके डिस्ट्रिक्ट लेवल के ऑफिस में उपयोग होखे शुरू भईल |

NICNET के माध्यम से स्टेट कैपिटल से डिस्ट्रिक्ट ऑफिस के बीच समन्यवय स्थापित करे में अहम् भूमिका निभवलस | हम एगो बात से रउआ के अवगत करवावे चाहब कि NICNET के ही इगवर्नेंस के पीछे मेन ब्रेन कहल जाला | एही के मदद से पूरा भारत में कनेक्टिविटी आसान भईल, ओही ब्रेन के एकबार फिर अलग ढंग से उपयोग करके बेहतरीन सेवा देवे के प्रयास कईल जा रहल बा जवना के नाम ह डिजिटल इंडिया‘ |

डिजिटल इंडिया के सपना साकार करे खातिर इ गवर्नेंस के चार लेवल में बाटल गईल बा – G2C(गिवेर्न्मेंट टू सिटीजन), G2G(गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट), G2E(गवर्नमेंट टू एम्प्लोई), G2B(गवर्नमेंट टू बिसिनेस) | कवनो समस्या के खाली राजनितिक हल ना होखे ओकर दू गो कोम्पोनेनेट होला एगो राजनितिक आ दूसरा तकनिकी | डिजिटल इंडिया एगो तकनिकी हल हो सकेला अगर एकरा के संज्ञान में लेके बढ़िया से काम होखो तब, काहे कि इ गवर्नेंस ही उ नीव ह जवना प ढेर कमरा बनावल जा सकेला चाहे उ कमरा CBCS(चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम) के होखे, चाहे मेक इन इंडिया के लेके होखे, चाहे प्रधानमंत्री जन धन योजना के होखे, चाहे उ डायरेक्ट कैश ट्रान्सफर के होखे, चाहे नायका तकनिकी वाला सरकारी कामकाज के बात होखे |

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एह तरह के कवनो कमरा बनावे खातिर इगवर्नेंस जईसन नीव बहूत ही ज्यादा जरूरी बा | शिक्षा, स्वस्थ्य, सेना, सरकारी कामकाज, ब्यापार, आधार कार्ड, पासपोर्ट, हर जगह प, इ रीढ़ के हड्डी साबित हो सकेला अगर इ सफलतापूर्वक आपन मुकाम पर पहुचे तब | न्यायिक प्रणाली के लेके बहूत तरह के चुनौती के चर्चा भईल ओह सभ के एगो कॉमन प्लातेफ़ोर्म पर लाके पुलिस विभाग, सीबीआई, फोरेंसिक आदि से जोड़ के ओह जटिलता से भरल चुनौती के चारो खाने चित कईल जा सकेला |   

सबसे पाहिले बात कईल जाव G2C(गिवेर्न्मेंट टू सिटीजन) के बारे में, गवर्नमेंट के सेवा जवन इगवर्नेंस के सहायता से नागरिक ओकर आसानी से उपयोग कर सके | उदहारण के रूप में इलेक्ट्रिसिटी, पानी, टेलीफोन, ट्रेन, एयरोप्लेन, होटल आदि के ऑनलाइन बिल चुकावल जा सके | ऑनलाइन एप्लीकेशन, कवनो सुचना ऑनलाइन मुहईया होखे, राउर जमीन से सम्बंधित कागजात ऑनलाइन उपलब्ध होखे, ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवावल जा सके, विद्यार्थिन के पढ़े के सामग्री ऑनलाइन उपलब्ध होखे | एह में काफी अइसन चीज बा जवन शहरी क्षेत्र में उपलब्ध बा अउरी लोग ओह सेवा के आनंद ले रहल बा |

लेकिन हर गाँव तक पहुचावे खातिर एह नीति प विशेष ध्यान देल गईल बा | कृषि उत्पादन, मृदा संबंधी विवरण और बिक्री मूल्य के विश्व के कीमत के साथे तुलनात्मक अध्ययन, एह तीनो चीज के एकसाथे जोड़ के देखे के चाही जवना से सरकार के भी आसानी होई ताकी सरकार उत्पादन के स्वरूप के पता लगा पाई एह से ढेर फायदा बा उचित मूल्य जवन किसान के नइखे मिल पावत ओकरा के तकनिकी सहारे भी हल निकल सकेला | इ वोटिंग के तहत छात्र जवन की काफी संख्या में वोट ना दे पावेले ओह लोग के मौका मिल सकेला, जवना से इलेक्शन प्रक्रिया में छात्रन के भागीदारी के पारदर्शि तरीका से मुक्कमल कईल जा सकेला |

अब बात कईल जाव दुसरका पहलु G2G(गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट) के, एह तरह के मॉडल में राज्य सरकार आ केंद्र सरकार के बीच डिजिटल इंडिया के माध्यम एगो अच्छा गठजोड़ हो सकेला, जवना से केंद्र सरकार, आसानी से राज्य में आपन नीति के लागु कर अउरी निगरानी कर सकेला | उदहारण के रूप में पुलिस डिपार्टमेंट से संबंधित सुचना एक राज्य से दूसरा राज्य में आसानी से आदान प्रदान कईल जा सकेला | दूसरा उदहारण के रूप में लेवल जा सकेला जवना में केंद्र सरकार आ राज्य सरकार से गठ्बंधित कव गो नीति लागू बा जईसे मिड डे मीलजवना में FCI से प्रदान कईल गईल आनाज के विवरण आ गुणवता के बारे में आसानी से अवगत भईल जा सकेला, एह से पौषिक भोजन ना मिले, आनाज में FCI से कीड़ा मिले वाला शिकायत से निपटारा पावल जा सकेला |

इ त एगो उदहारण रहल ह, अइसन बहूत सारा नीतिगत चुनौती के हल इगवर्नेंस के मदद से कईल जा सकेला | PDS प्रणाली में ढेर शिकायत आवत रहे ओह सभ में सुधार कईल जा सकेला इगवर्नेंस के उपयोग करके, डीलर के चोरी प लगाम लाग सकेला अगर सब कुछ डिजिटलाइजड हो जाव तब एकर ताजा उदहारण बा कैश ट्रान्सफर के सहायता के गैस, किरासन के चोरी करे वाला डीलर प लगाम लाग गईल बा | कोई दोसरा के कार्ड प गैस लेवे में कवनो फायदा नईखे काहे कि ब्लैक वाला दाम लागी आ सब्सिडी कार्ड धारक के खाता में जाई |

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अब बात आइल तीसरा पहलु यानी G2E(गवर्नमेंट टू एम्प्लोई) क्षेत्र में, एह में एम्प्लोई के सरकारी कामकाज, ओह से जुडल सारा कॉम्पोनेन्ट जईसे अटेंडेंस, सैलेरी, एम्प्लोई रिकॉर्ड अउरी बाकी के तमाम चीज जवना से सरकारी काम काज में पारदर्शिता आ गति में मिलो | उदहारण के रूप में ले ली सरकारी स्कूल में मूल रूप से देखल गईल बा कि शिक्षक समय पर ना आवास आ कुछ आइबो ना करस अउरी महिना के अंतिम दिन भाई भतीजावाद के प्रक्रिया के तहत आके हस्ताक्षर करके पूरा सैलेरी उठा लेवेलन | खैर इ दिक्कत खाली सरकारी स्कूल ही ना बल्कि बहूत सारा सरकारी ऑफिस में होला ओह सभ प लगाम लग सकेला बायोमेट्रिक अटेंडेंस वाला सिस्टम के तहत, एह से काम के एफिशिएंसी आ सक्रियता बढ़ी |

पांचो मिनट लेट भईली रुआ कि राउर अनुपस्तिथि लाग जाई, शिक्षक आ कर्मचारी लोग में जागरूकता बढ़ी जवना से पंक्चुअल भी हो जईहे जा | कर्मचारी आपन शिकायत बड़ा ही आसानी से एह मॉडल के तहत रख सकेला आ सुझाव भी साझा कर सकेला | सही कर्मचारी के न्युक्ति जवना से आतंकवादी गतिविधि पर भी लगाम लगावल जा सकेला एह सिस्टम से, काहे कि पूरा डाटा वैध रूप से डिजिटलाइजड मॉडल से रखल जा सकेला, थोडा ऑफिस में फाइलफाइल खेल से भी सुकून मिली | न्यू तरह के अप्प्स डेवेलोप करके काम करे वाला कर्मचारी आपन पूरा अपडेट (बैलेंस, वर्किंग डेज, लीव) रख सकेला | ओवरटाइम काम करे वाला लोग के अपना मने सबकुछ अपडेट हो सकेला इ सब संभव बा काहे कि हमारा यूनिवर्सिटी में एह तरह के अप्प बा जवना में राउर मार्क्स, अटेंडेंस, समय सरणी सब बढ़िया ढंग से बा ओह अप्प में |

चौउथा स्तंभ बा एह मॉडल के G2B(गवर्नमेंट टू बिसिनेस) जवन इकोनोमिकल दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण बा | एह मॉडल के तहत गवर्नमेंट आ बिज़नसमैन से एगो संवाद के जरिया हो सकेला जवना से बिज़नस से सम्बंधित सुचना निरंतर सरकार के मिलत रही | कुछ चुनौती रहल बा एह सेक्टर में जवना चलते लूप होल निकाल के भ्रष्टाचार भईल बा, 2G स्पेक्ट्रम एकर बरियार उदहारण बा, ऑक्शन के समय डिजिटलाइजड रहित आ पूरा प्रक्रिया ओकर मैकेनिज्म से भईल रहित त शायद ओह तरह के घटना ना घटित या आशंका कम हो जाईत घटे के |

टैक्स कलेक्शन प्रोसेस में आसानी मिलित आ एगो आकड़ा सामने आ सकत रहे जवना छोट ब्यापारीन के जेकर हिसाब सरकार बहीखाता में लगभग ना के बराबर रहेला | किसान खेती करेला लेकिन ओकर दाम या त सरकार तय करेला या ब्यापारी | ब्यापरिन के मनमुताबिक दाम लेवे वाला प्रक्रिया प लगाम लग सकेला, जवना में सरकार धन के कुछ उचित हिस्सा ब्यापारी के खाता में भेजे आ उचित कीमत किसान के खाता में, बिचौलिया लोग के प्रभाव कम होई त निश्चित रूप से किसान के अच्छा दाम मिले लागी |

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अब बात कईल जाव एह से सम्बंधित चुनौती के जवन की एह मॉडल के सफलता में बाधा बन सकेला | सबसे पाहिला एह देश में सुचना प्रेषित करे वाला संस्था NIC(नेशनल इनफार्मेशन सेंटर) लगे एह टास्क के पूरा करे के क्षमता नईखे एह से एकर पुनर्निर्माण बहूत जरूरी बा, जवना के लेवल वाइज बाँट के काम करे के परी, ओतना ऑफिसर के नया न्युक्ति करे के पड़ी | दूसरा चुनौती जतना बड चादर होखे ओतने पैर फैलावे के चाही यानी के थोडा थोडा एरिया लेके कवर करे के चाही एकरा पीछे कारन इ देब कि इ मामला बा वित्तमंत्रालय से जुडल, ढाई लाख पंचायत ब्रॉडबैंड से जोड़े में बीस हजार करोड़ से ज्यादा ही लागी पईसा ओह से अर्थ्ब्यावस्था हिल जाई अचानक भईल तब |

दुसरका चुनौती बा कि भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर ओतना बेहतर नईखे, पूरा देश में बैंडविड्थ के बरियार कमी बा जवना चलते इन्टरनेट धीरे चलेला | फिलहाल हमनी के देश इंफ्रास्ट्रक्चर के मामला में विदेशी प ज्यादा निर्भर बा | अगर छोटा उदमी अपना सेटअप लगाना चाहे तो बड़ा मुश्किल होगा | भले दावा लोग २ mbps स्पीड देवे के बात करत होखे लेकिन इ कईसे संभव होई भगवांन जाने काहे कि भारत इन्टरनेट स्पीड के मामले में 118वां स्थान है एह से बेहतर स्पीड थाईलैंड, इंडोनेशिया वियतनाम आ एकर अलावा 114 देश के बा |

नेट न्यूट्रलिटी के मामला विभाग के डाटा के मानी तब भारत बेशक नेट यूजर में तीसरा स्थान होखे लेकिन भारत में पूरा आबादी के मात्र 20 प्रतिशत लोग ही लाभ उठा पावता | एगो अउर इंटरेस्टिंग डाटा देत बानी 0.7 प्रतिशत यूजर ही मात्र 10 एमबीपीएस के स्पीड से नेट यूज़ करेला अउरी 4.9 प्रतिशत लोग ही 4 एमबीपीएस के स्पीड के लुफ्त उठा पावेला | अभी गाँव में ढंग से मोबाइल का टावर तक ना रहेला, बिजली की समस्या हमनी से कहाँ छुपल बा, सिर्फ ब्रॉडबैंड गाँव तक पहुचाने मात्र से कुछ खास फायदा ना होई |

बल्कि इ तय कईल जरूरी बा कि लोग एह सेवा के उपयोग करे में केतना सक्षम बा | अंत में निष्कर्ष के रूप ने इहे कहल चाहब कि मॉडल बहूत अच्छा बा बहूत सारा समस्या हल हो सकेला लेकिन ओकरा से पाहिले जरूरी बा गाँव आ शहर के बीच सुविधा के नजरिया से असमानता कम कईल चाहे बिजली के बात होखे या मोबाइल टावर के, बिना बेसिक के अगर एकरा के संभव करे के कोई कोशिश करी एकर हाल उत्तरप्रदेश के बाटल लैपटॉप वाला मिनी डिजिटल उ.प्र. लेखा हो जाई |

नोट :- हमार इ लेख आखर पत्रिका के अगस्त अंक में छप चुकल बा|

 

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