नक्सलवाद एगो गंभीर समस्या (भोजपुरी)

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भारत के आजाद भईला लगभग 70 साल होखे जा रहल बा, लेकिन हमनी के देश में आजो एगो अइसन समूह बा जवन दुनिया के सबसे बड लोकतान्त्रिक कहाए वाला देश के लोकतंत्र में विश्वास ना रखे| नक्सलवाद देश के एगो गंभीर समस्या बन चुकल बा| इहाँ तक कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कह चुकल बाड़े कि नक्सलवाद भारत के राष्ट्रिय सुरक्षा खातिर एगो बड खतरा बा| जब भी ‘नक्सल’ शब्द कवनो आम आदमी के कान में जाला त दिमाग में आतंकवाद, गोली बन्दुक आदि के चित्र में उभरेला|

पाहिले जब छोट रही आ नक्सल के किस्सा कहानी सुनत रही त इहे लागत रहे| सुदीप चक्रोवर्ती आपन किताब ‘रेड सन- ट्रेवल इन ए नक्सलाइट कंट्री’ के शुरुआत ही एह लाइन “Naxalbari has not died and it will never die” से कईले बाड़े| उहाँ के एह लाइन से अंदाजा लगा ली कि नक्सलवाद कतना बरियार जड़ जमा चुकल बा| खासकर रेड कोरिडोर (आँध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा आदि) में आपन गहिराह रूप से जड़ जमा चुकल बा|

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एहिजा इ समझल बहूत जरूरी बा कि प्राकृतिक संसाधन प अधिकार के लेके आदिवासिन के लड़ाई लगभग तीन सौ सालन से रहल बा, जबकि नक्सलवाद पिछिला चार दशक के देन ह| आदिवासी योद्धा तिलका मांझी अंग्रेजन से कहले रहन कि जब जंगल अउरी जमीन भगवान हमनी के वरदान में देले बाड़े त हमनी के सरकार के टैक्स काहे दिही जा? लेकिन अंग्रेजी शासक लोग ओह लोग के बिल्कुल ना सुनलस| फलस्वरूप भईल इ कि आदिवासी अउरी अंग्रेजी शासकन के बीच बरियार लड़ाई भईल| 1784 के आस पास तिलका मांझी भागलपुर के कलक्टर के तीर मारकर हत्या कर देले, ओकरा जवाब में अंग्रेजी शासक भारी संख्या में आदिवासिन के भी हत्या कर देलस|

अंततः अंग्रेजी सैनिक तिलका मांझी के भी पकड़ के घोडान के बीच बांध देलस अउरी फिल्मी शैली में भागलपुर ले जाके हजारों आदमिन के भीड़ के सामने आम जनता में भय पैदा करने खातिर बरगद के पेड़ प फांसी से लटका देहलस| लेकिन आदिवासी जनता ओह लोग से डरल बिल्कुल ना, बल्कि लगातार संघर्ष अउर बढ़त चलल चल गईल जवना में संताल हूल, कोल्ह विद्रोह, बिरसा उलगुलान प्रमुख रहले| एकरा बाद अंग्रेज भी आदिवासी क्षेत्रन प कब्जा ना कर पवलन अउरी ओह लोग के आदिवासियन खातिर जमीन, पारंपरिक शासन व्यवस्था अउरी संस्कृति के रक्षा खातिर कानून बनावे के परल रहे| लेकिन आजादी के बाद भी भारत ओह लोग के संघर्ष से शिक्षा ना लेलस|

लेकिन एगो सवाल इ उठे के चाही दिमाग में, कि एही समाज के लोग काहे बन्दुक उठावे प मजबूर बा? ओकर कारण के बा? एह प्रकार के सोसाइटी पैदा करे वाला के बा? चुकी एह बात से हमनी के अवगत बानी जा कि बिना विचार आ प्रोपोगेंडा के कवनो संगठन तईयार नइखे हो सकत| बेसक उ विचार नवीन अउरी बनावटी काहे ना होखे| आखिर कवन विचार बा जवन गरीब आदिवासिन के संगठित होखे प मजबूर करता| ओह विचार में सत्यता कतना बा? सवाल इहो बनत बा कि आखिर का कारण बा कि एगो समूह आज भी अपना संविधान में विश्वास काहे नइखे रखत? हिंसक गतिविधि आ ओकर खातिर सुनियोजित व्यवस्था गरीब आदिवासी करे में साचो सक्षम बाड़े या कवनो बाहरी मदद बा? हतना बढ़िया नियम-कानून आ व्यवस्था होखला के बादो हथियार दोसरा देश से ओह इलाका में कईसे पहुच जाता? इ सब एकदम हॉट सवाल ह जवना के समीकरण बड़ा अझुराईल रहल बा|

नक्सलवाद ह का?

नक्सलवाद मूल रूप से कम्युनिस्ट क्रन्तिकारियन के आन्दोलन के औपचारिक नाम ह जवना के उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से भईल रहे| नक्सलवाद के आपन पक्ष इहे रहेला कि उ जंगल आ जमीन खातिर लड़ रहल बा| नक्सलवाद कवनो क्रांति ना ह बल्कि एगो हिंसक प्रतिक्रिया ह जवना के हल करे के बारे में हमनी के सार्थक चर्चा ना करीलेजा| होला का कि ओह लोग के हिंसक प्रतिक्रिया में हमनी के एतना भावुक हो जाईना जा कि ओह लोग के पक्ष अक्सर धुंधला पड़ जाला| एही से हिंसक रिएक्शन प समाधान जल्दी ना निकल पावेला| ओहिजा डार्बिन के नियम लागु होला| तू हमरा के ना मरबs त हम तोहरा के मार देब|

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एही से नक्सली अउरी जवान आपन अस्तित्व खातिर एक दूसरा के मारेला| नक्सली के अस्तित्व जंगल-जमीन अउरी जवानन के आपन ड्यूटी होला| इ सभे जानत बा कि हिंसा कबो कवनो चीज के समाधान ना होला| बन्दुक से कबो क्रांति ना आ सकेला खासकर सामाजिक त बिल्कुल ना| महात्मा गाँधी एकर सबसे बड उदहारण रहल बाड़े| आजादी के समय महात्मा गाँधी अहिंसक रास्ता एही से अपनईले रहन काहे कि उ जानत रहन कि बिना गलती के सजा से पूरा व्यवस्था हिला सकत बा| इहे भईलो रहे, भारत में अत्याचार होत रहे आ ब्रिटेन में ओकर राजनितिक प्रभाव पडत रहे|

अगर ओहिजे हिंसा से काम लेवल गईल रहित त तमाम कानून रही सन जवन नियमतः जेल में डाल सकत रहे आ आन्दोलन कमजोर पड़ सकत रहे| आजादी प हमनी के दबदबा के कमजोर सकत रहे आ क्रोध के आग में अउर लोग मर सकत रहे| एह से क्रांति हमेशा सार्थक विचार आ दर्शन से आवेला| हिंसात्मक आचरण के कोई भी अच्छा इन्सान डिफेंड ना कर सकेला| आर्थिक अउरी सामाजिक पिछड़ेपन के आड़ लेके कोई भी हिंसा करे उ निश्चित रूप से अपमानजनक कृत्य बा|

नक्सल समूह के इहे कहनाम रहल बा कि इ सब ओह सामाजिक अनदेखी के बदला ह जवन पिछला दशक से सरकार ओह लोग साथे कईले बिया| एह मामला में दुगो चीज निकल के आवत बा| पहिला इ ओह लोग प्रतिक्रिया विचारहीन आ अंधा बा| दूसरा ओह लोग के प्रतिक्रिया प हमनी के जवाब भी सार्थक नइखे| कबो चर्चा करे से पाहिले इ मान लिही उ लोग के तरीका गलत बा| ओकरा बाद मुद्दा प चर्चा करे के शुरू करी| ना त होला का कि ओह लोग के विरोध के तरीका में ही उलझ के रह जाईना जा आ असली मुद्दा अछूता रह जाला|

एकर मूल कारन का बा?

आमतौर प लोगन के लागेला कि नक्सलवाद दुश्मन ह| लेकिन हमरा समझ से उ लोग दुश्मन ना ह| काहे कि उ लोग भी एही समाज के ह, इहे समाज ओह लोग के पैदा कईले बा| अंतर बस अतने बा कि हमनी के समाज एगो गाली देले बा आ उ लोग हमनी समाज के दुगना देले बा| दू मिनट खातिर मान लिही कि रउरा एगो अइसने हिंसक संगठन खोले के बा त कवन कवन चीज के जरूरत पड़ी? सबसे पहिला ह्यूमन कैपिटल(मानव संसाधन), एगो बड़ मात्रा में धन, सुनियोजित तरीका से हथियार पहुचावे के व्यवस्था, ओह प्रकार के ट्रेनिंग आदि मुख्य चीज बा|

एक-एक करके बात करे के कोशिश करब| सबसे पहिला मानव संसाधन, एह प्रकार के संसाधन इक्कठा करे खातिर पईसा नाकाफी चीज होला| एकरा खातिर एगो विचार, एगो प्रोपोगेन्डा के जरूरत होला| विचार कईसन बा आ कईसन ना उहो एगो चर्चा के विषय बा| उदहारण ले लिही दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी आई.एस.आई.एस के पास कवनो विचार त बा नु जवन दुनिया के तमाम देशन इहाँ तक कि भारत के पढ़ल-लिखल लईकन के अपना दने खिचे के कवायद रखत बा|

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हर संगठन में लगभग इहे सिधांत बा| सारा संगठन एगो असुरक्षित होखे के भय दिखा के लोगन के समर्थन पा रहल बा| नक्सली इलाका में भी इहे चीज होला| पहिला बात कि ओह इलाका में सुविधा के अतना दिक्कत बा कि लोगन के गोलबंद कईल काफी आसान हो जाला| स्कूल से लेके अस्पताल तक| स्कूल के आभाव के चलते लईका लईकी ग्रामीण स्तर वाला संस्थान से जुड़े शुरू कर देवे लसन| अस्पताल के आभाव के चलते आदिवासिन के एहसास करावे के कोशिश कईल जाला कि साचो सरकार अनदेखा करत रहल बिया|

चुकी आदिवासिन के दवाई-बीरो उहे नक्सली करेलसन जहाँ से कुछ इमोशनल जुडाव भी आवे लागेला| गरीब आदिवासिन के दिमाग में कूट-कूट के इ भर देवल गईल बा कि सरकार हमेशा से अनदेखी कईले बिया| एह बात में कुछ हद तक सच्चाई बा आ कुछ ओवरएक्सरसाइज भी बा| दूसरा बिंदु बा धन, बहुत सारा बुद्धिजीवी लोग के इ मानना होला कि बाहरी मदद मिलेला लेकिन कुछ बात अईसन भी आइल बा जवना में पता चलल बा सरकारी नीती वाला पईसा लिक होके ओहिजा पहुच रहल बा| एकरा अलावां अवैध गतिविधि जईसे अपहरण अउरी फिरौती से धन के इक्कट्ठा कईल जाला|

तीसरा बिंदु बा हथियार| हम बहुत डाक्यूमेंट्री आ इंटरव्यू देखले बानी| बहुत सारा लेख भी पढ़त रहल बानी एह मुद्दा प| लेकिन डाक्यूमेंट्री में एगो बात नोट कईनी कि समय के साथ हथियार बदलत रहल बा| सबसे महत्वपूर्ण चीज इ बा कि एटॉमिक वेपन के चक्कर में पूरा विश्व पागल हो रहल बा| पुराना हथियार एक्सपायरी हो रहल बा| चीन आ अमेरिका जईसन देश वेपन नष्ट करे के बजाए ओह सब देश में बेच रहल बा जहाँ के बाजार में खरीदल आसान बा| एह से नक्सलियन के आसानी से वेपन मिल जाला|

जब सेना पॉइंट टू-टू से एसएलआर के तरफ बढल रहे त सारा नक्सली लोगन के हाथ में पॉइंट टू-टू रहे| आज जब एसएलआर से इंसास राइफल दने बढ़ल त नक्सली लोगन भीरी एसएलआर पहुच गईल| माने इ कि एक्सपायरी वेपन के आजो आसानी से बाजार में खरीद-फरोख्त हो रहल बा जवना प हमनी के सीधा नियंत्रण नइखे| कही न कही हमनी के प्रशासन व्यवस्था लचर बा ना त अतना आसानी से ओह लोग के हाथे ना लागित|

नक्सलवाद के हल काहे जरूरी बा?

आजादी के समय हमनी लगे का रहे? मुहावरा के भाषा में कही त 1947 में भारत में एगो साइकिल भी ना बनत रहे| आज विश्व के महाशक्ति बने जा रहल बा| दू दशक पाहिले 1991 में जवन देश विदेशी मुद्रा के खजाना खाली होखे के चलते आर्थिक संकट में रहे, जेकरा सोना गिरवी रख के कर्जा लेवे के पडल रहे उ बहुत ही कम समय में आपन ताकत बढ़ा लेले बा| हर क्षेत्र में भारत आपन परचम लहरा रहल बा| पाहिले पैसा खातिर आईएमएफ आ वर्ल्ड बैंक में अमेरिका के पैरिकारी करे के पडत रहे|

इहाँ तक कि ओही आर्थिक संकट में हमनी के मजबूरन ईराक के लड़ाई में अमेरिका के साथ भी देवे के पडल बा| आज उ देश कुछ देश से मिलके ब्रिक्स और एशियन बैंक जईसन संसथान के लीड कर रहल बा| लेकिन भारत के लगे जतना आंतरिक चुनौती बा ओतना कवनो देश के लगे नइखे चाहे बात चीन के होखे या फिर अमेरिका के| अलगावादी, आतंकवादी, दक्षिणपंथी फासीवाद के साथे-साथे वामपंथी नक्सलवाद हमनी के देश के पीछे ले जा रहल बा| एही सब समस्यान के वजह से कई जवान, आम नागरिक आपन बलि देले बा| देश के लगभग 30% से ज्यादा भूभाग आजो नक्सली लोगन के गिरफ्त में बा जहाँ बेस्किमती संसाधन छुपल बा|

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समय के साथे संसाधन के सावधानिकपूर्वक उपयोग कईल काफी जरूरी होला| लेकिन उपयोग समतापूर्वक होखे आ लोगन के ओकर उचित हक़ मिलत रहे त कवनो बुराई नइखे| अगर सच में हमनी के आपन पूरा भूभाग के सही से उपयोग करिजा त कतना विकास होई| आज जतना भी आर्थिक आ सामाजिक लाभ बा ओकर आधो उठावे लागे त निश्चित रूप से ओह लोगन के जन-जीवन में काफी बदलाव आई| लेकिन नक्सली जन के इ बात रास ना आई| काहे कि अगर सुविधा मिले लागी त ओह लोगन के दोकान बंद हो जाई| एह से नक्सली कबो ना चाही कि ओह सब के लाभ आदिवासिन के मिलो|

हम इ बात एह से अतना साफ़ कहत बानी काहे कि रुआ आ हमनी के त सरकार के देखत नु बानी जा| कवनो अइसन पालिसी लागु बा जवन पूरा देश खातिर बनल होखे आ आदिवासिन खातिर ना| कुछ दिन पाहिले नबीन जी हमरा वाल प बड़ा संक्षेप में बहुत गहिराह बात कहनी कि ‘नक्सलवाद अब एगो सुनियोजित आतंकवाद के रुप धई ले ले बा , ई कई हजार करोड़ के उद्योग बनि गईल बा जवना मे लईकी के सप्लाई बलात्कार से ले के निर्दोष आदिवासियन के हत्या से ले के सैनिकन के शहादत ले शामिल बा’| उहाँ के बात काफी हद तक सही भी बा|

एह से जरूरी इ बा कि सरकारी सुविधा के डिलीवरी नियमतः सार्थक रूप से होत रहो जवना से आदिवासी लोगन के मन में भारत के संविधान आ व्यवस्था के प्रति विश्वास जागो| नक्सली स्कूल आदि सब उड़ा रहल बा जवन कि हमनी के मुख्य ताकत ह| एह से होला का कि ओहिजा के शिक्षा व्यवस्था लचर हो जाला| एह से टेम्पररी शिक्षा आ स्वस्थ्य खातिर बढ़िया व्यवस्था के जरूरी बा| ना त वापस स्कूल बने आ टुटला के बीचे बहुत सारा नौजवान शिक्षा से वंचित होखला के चलते ओह लोग के तथाकथित क्रांति के रुख रेक लागेले| इ सब नक्सली लोगन के प्लान के एगो हिस्सा ह जवना में लईकन के शिक्षा से अछूता रखी अउरी लड़ाका पैदा करत रही|

ठीक एही कांसेप्ट प पाकिस्तान में स्तिथ स्वात वेल्ली में फैजुल्लाह आपन संगठन ‘तालिबान’ खातिर लडाका पैदा करत रहे| कुछ आला ऑफिसर जईसे दंतेवाडा में ओ.पी. चौधरी जईसन लोगन द्वारा एह सब चीज के प्रति बढ़िया कदम उठावल गईल बा| ओइसन व्यवस्था हर नक्सली इलाका में जरूरी बा| हमनी के नक्सली लोगन के रिफार्म के मौका देवे के चाही जवना से वापिस मुख्यधारा में लावल जा सको अउरी आपन गलती के सुधार सको| हम एह से कहत बानी काहे कि नक्सली के मारला ले नक्सलवाद कबो ख़त्म ना होई| एगो मारम तले गुस्सा में दस गो पैदा हो जाई| हमनी के हिंसात्मक जवाब ओह लोग के तथाकथित आन्दोलन के हवा देवेला अउरी  हमनी के व्यवस्था के प्रति गुस्सा पैदा करेला|

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