भारतीय राजनीती में छात्रसंघ काठ के घोडा बनी के रह गईल (भोजपुरी)

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दुनिया के सबसे बड़ लोकतान्त्रिक देश कहाए वाला देश भारत में एह से बड विवंडना का हो सकेला जहवाँ लोकतान्त्रिक मन्त्र के जाप करत-करत लोकतान्त्रिक संस्थान के निशाना बनावल जा रहल बा| छात्र राजनीती के आन्दोलन के स्वरुप बहत नदी जईसन होला जवन आपन रास्ता खुद अख्तियार करेला| एगो नया दिशा देवे के कोशिश करेला| एगो वैकल्पिक राजनीती के उम्मीद बनके निकलेला| लेकिन अगर ओही नदी के पोखर में परिवर्तित करे के कोशिश कईल जाई तो पानी सड़े लागी| एह से युवा लोगन के सोचे के आजादी होखे के चाही| नदी लेखा सोच के नया दिशा में प्रवाहित होखे खातिर आजादी होखे के चाही|

भले डेल्टा बने के वजह से राजनितिक सोच, मुख्यधारा से दू धारा में परिवर्तित हो गईल होखे लेकिन अंततः ओही भारतीयता के विकास वाला समुन्द्र में संगम होखे के बा| लेकिन एगो शर्त इहो बा कि ओहमे ‘दक्षता’ अउरी ‘प्रभाविता’ के समावेश जरूरी बा| दुनो शब्द अलग बा लेकिन दुनो के महत्त्व काफी बा| छात्र नेता अपना राजनितिक जीवन के कतना मेहनत करत बा इ एगो अलग बात हो गईल अउरी मेहनत कवना दिशा में कर रहल बा इ दोसर बात हो गईल|

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छात्र राजनीती कबो राजनितिक पार्टी से अलग नइखे हो पाइल| इहे कारन बा कि भारतीय राजनीती में छात्र संघ, हमेशा काठ के घोडा बनी के रह गईल बा| बाजार अउरी राजनीती मिलकरके आज के युवान में एगो लत लगा देले बा कि उ फ्रेशेर्स फेयरवेल पार्टी करे, फैशन शो आयोजित करे, रंगारग कार्यक्रम के मजा लेवे आ जब राजनितिक पार्टी के जरूरत पड़े तब भीड़ बटोरकरके नाराबाजी करवावे| एह व्यवस्था से सवाल जवाब करे वाला ‘एंग्री यंग मैन’ बिल्कुल पसंद नइखे|

आज के युवा पीढ़ी कॉर्पोरेटी राजनीती के चमचागिरी करे खातिर तईयार बा लेकिन स्वस्थ्य समाज खातिर मूल समस्यान पर संवाद, बहस अउरी सवाल-जवाब करे से गुरेज करेला| अगर कवनो आवाज उठे के कोशिश करत बा त ओहके दबावे खातिर सबसे नवीन आ साधारण फार्मूला आइल, कि राज्यद्रोह के चार्ज लगाके के देशविरोधी गतिविधि वाला हैश-टैग दे दिआव| छात्र राजनीती के आवाज कुचले खातिर इ कवनो पहिला प्रयास ना ह| आजादी के पाहिले भी आ बाद में भी अनेको प्रयास कईल गईल जवना से छात्र राजनीती के दबावल जा सके|

जब पूरा देश ब्रिटिश शासन के खिलाफ लडत रहे ओह घरी भी कुछ नेता अईसन रहले जे छात्रन के राजनीती में हिस्सा ना लेवे के सलाह देत रहन| ओही सवाल के जवाब में भगत सिंह भगत सिंह कुछ महत्वपूर्ण लेख लिखके युवान के जागृत कईले| भगत सिंह के कहनाम रहे कि पंजाब राजनितिक जीवन में काहे पिछडल बा? का बलिदान कम देले बा कि मुसिबत कम झेलले बा? एह सब खातिर उ पंजाब के शिक्षा व्यवस्था तक के निक्कमा करार देले रहेले| एह से उच्च शैक्षणिक संस्थान ना सिर्फ शिक्षा बल्कि मानसिक विकास करेके भी केंद्र ह|

जवन कांग्रेस आज जे.एन.यु. वाला मुद्दा के केंद्र में लेजे छात्र राजनीती के पैरोकारी करके अपना के महीसा बतावे के कोशिश कर रहल बिया उहो इतिहास में इहे काम कईले बिया| बल्कि एकरो ले गन्दा कईले बिया| छात्र राजनीती दबावे खातिर संजय गाँधी के नेतृत्व में छात्रसंघन के अपराधीकरण तक कईल गईल बा| यहाँ तक की विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ के गरिमा कम करे खातिर लिंगदोह समिति के सिफारिश तक लागु करवा देवल गईल जवना से छात्रन के मोह भंग कईल जा सके|

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छात्रसंघ के बदलत भूमिका

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन से लेके स्वतंत्रता के बाद के सालन तक जतना भी बड आन्दोलन भईल, ओहमे छात्रन के सक्रीय भागीदारी रहल बा| सारा आन्दोलन के सफलता के इबारत युवा ही लिखले रहे| बड नेतान लोगन के सहयोग आ मार्गदर्शन मिलत चलल चल गईल| सबसे पाहिले 1905 में स्वदेशी आन्दोलन में युवा लोगन के भागीदारी बड पैमाना पर भईल| ओकरा श्रृंखला के कड़ी जुड़त चलल चल गईल|

1922 में चौरीचौरा कांड के राम प्रसाद बिस्मिल आ चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में युवा लोग ही अंजाम देले रहे| 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भी जबरजस्त भूमिका रहल बा| 1942 में गाँधी जी के आवाहन प ‘अंग्रेज भारत छोडो’ आन्दोलन में जब ढेर नेता लोग गिरफ्तार हो गईले त सारा जिम्मेवारी युवा आ छात्रन पर ही आइल| 1936 में ‘आल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन’ के स्थापना भईल जेकर स्वतंत्र आन्दोलन में बेहद योगदान रहल बा| इ उन्हें ‘आल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन’ ह जवना के आज वाम के छात्र राजनीती के रूप में देखल जाला|

आजादी के बाद छात्र आन्दोलन के सबसे बेजोड़ भूमिका सत्तर के दशक में शुरू भईल| 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के लोकप्रियता आसमान में रहे| लेकिन 1973 से उनकर राजनीती के रुख धीरे धीरे बदले लागल रहे| आजादी के लगभग 25 साल बाद भी जनता के उम्मीद अधुरा ही रहे| गरीबी अउरी आर्थिक विषमता हमेशा प्रश्न बनके परेशान करत रहे| मंदी, महंगाई, बेरोजगारी आदि समस्यान के चलते लोगन के दिमाग में एगो असंतोष बढे लागल रहे|

ओही में संजय गाँधी द्वारा कईल गईल मारुती कार भ्रष्टाचार, असंतोष में चार चाँद लगा दिहलस| छात्र के विरोध प्रदर्शन सामने खुल के आवे लागल| ओहिजे इंदिरा गाँधी से मामला संभाले में बहुत बड चुक भईल| आज इहे गलती बीजेपी कर रहल बिया| चुकी छात्रन के आन्दोलन के उ ओही तरीका से अपना कब्ज़ा में लेवे के कोशिश कईली जवन रास्ता पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में अपनईले रही| एही से कहाला कि राजनितिक निर्णय में जईसे बुएरोक्रेटिक प्रतिबिम्ब लउके लागेला तसही ओह राजनीती के अमूल्यन शुरू हो जाला| फिर का इंदिरा गाँधी के जवन हश्र 1977 के चुनाव में भईल उ कोई ले छुपल नइखे|

छात्रसंघ के भूमिका शुरू से ही सत्ताविरोधी रहल बा| आजादी के पाहिले युवान के मकसद अंग्रेजी हुकूमत उखाड़ फेके के रहे| इहाँ तक कि आजादी के बाद भी छात्रसंघ विपक्ष में ही रहल बा| सरकारी राजनीती के निरंकुश होखे से बचावे खातिर विपक्ष में रहहु के चाही| युवान में एगो नया उर्जा होला जवन जमीनी हकीकत से बात करे के कोशिश करेला| आजादी के बाद के सालन में जवन भी संगठन रहे उ या त सोशलिस्ट रहे या कम्युनिस्ट| बाद में लालबहादुर शास्त्री के कार्यकाल में जब बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के नाम से हिन्दू शब्द हटावे खातिर विधेयक पेश कईल गईल तब छात्रन के जबरजस्त विरोध के कारन विधेयक वापस लेवे के परल|

ओही आन्दोलन से एबीवीपी के एगो आवाज मिलल| एह बनारस आन्दोलन के बाद यूथ कांग्रेस कमजोर भईल आ छात्र कोमुनिस्ट, समाजवादी आ एबीवीपी दने मुड़े लगले| लेकिन असम छात्र आन्दोलन के बाद छात्र राजनीती के जवन भूमिका बदलल उ बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण रहल| असम में समाजवादी राजनीती नीव रखे खातिर ‘उल्फा’ जईसन संगठन के गठन कईल गईल जवन बाद में आतंकवादी संगठन के रुख अख्तियार लेलस| छात्र राजनीती के इ दूसरा पहलु ह| ओहिजो काठ के घोड़े नु बनी के रह गईल होइहे छात्र नेता लोग ना त आवाज उठल रहित आ इतिहास में पढ़े के मिलल रहित|

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छात्रसंघन के अपराधीकरण के दौर

इ केकरा पता रहे कि गुजरात के एगो विश्विद्यालय के मेस के जरल रोटी के प्रतिरोध एगो राष्ट्रिय स्तर प एगो ऐतिहासिक छात्र आन्दोलन के भूमिका तईयार कर दिही| एह चिंगारी के आग बिहार में फैलल अउरी अंततः पहिला बार कवनो गैर-कांग्रेसी सरकार सत्ता में आईल| इ मामला भी ठीक ओकरे लेखा बा कि केकरा पता रहे कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला के आत्महत्या अतना बड भूमिका तईयार कर लिही कि कवनो जे.एन.यु. में कन्हैया नामक छात्र नेता के एगो राष्ट्रिय पहचान दे दिही| ओह घरी चिंगारी पश्चिम से पूरब अख्तियार कर लेले रहे|

अबकी चिंगारी दक्षिण से उतर दने अख्तियार कईले बा| लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद कुर्सी के खीचा-खिची में जयप्रकाश नारायण जी के ‘सम्पूर्ण क्रांति’ वाला नारा विलुप्त हो गईल| आजादी के बाद जवन हश्र गाँधी जी के भईल रहे उहे हाल जयप्रकाश नारायण जी के भईल| दुनो लोगन के नजरंदाज कर देवल गईल| मोरारजी देसाई में उहे भावना आ गईल रहे जवन नेहरु जी में आइल रहे, “सरकार हमारा चलावे के बा कि इनका ?”| एकर परिणाम इहे भईल कि जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति के नारा धराशाई हो गईल| सपना के बिखराव के चलते छात्र राजनीती में मूल्यन के स्थान आदर्शविहीनता ले लिहलस|

ओह घरी आदर्शविहीनता के सबसे बड प्रतिक के रूप में बनके उभरले संजय गाँधी| छात्र लोगन के रिमोट जयप्रकाश नारायण जी से संजय गाँधी के हाथन में शिफ्ट होखे शुरू हो गईल| काठ के घोडा ओहू घरी बनल जब जे.पी. जी रहली, आ काठ के घोडा एहु घरी बनल जब संजय गाँधी के हाथों कमान आइल| अंतर बस अतने रहे कि राजनीती में मूल्यन के स्थान आदर्शविहीनता ले लेलस| फिर का शुरू भईल फ़िल्मी अंदाज में कॉलेज में गुंडागर्दी| उनका साथ में विश्वविद्यालय में पढ़े वाला उदंड नौजवान लोगन के एगो फ़ौज रहे जवन डंडा के बल प सबकुछ नियंत्रित कईल चाहत रहे| ‘सम्पूर्ण क्रांति’ के विफलता के प्रतिक्रिया में युवक जनता दल से कांग्रेसी जमात में बदले लगले|

एकरा बाद हर जगह हिंसक राजनीती, छेड़छाड़, गुंडागर्दी, अराजकता अउरी अनुशासनहीनता आपन वर्चस्व जमावे लागल| एने छात्रन के संभाले के काम संजय गाँधी ले लिहले बाकी के काम इंदिरा गाँधी के हरावे वाला राजनारायण अउरी चौ. चरण सिंह मुक्कमल कई दिहले| छ्त्रसंघ चुनाव में बम धमाका भी सुनाई देवे लागल| संसदीय राजनीती के सारा बुराईयन के छात्रसंघ अपनावे शुरू कर दिहलस| एह से रउआ अंदाजा लगा सकेनी कि छात्र संघ कहवां पहुच चुकल होई|

हत्या, आगजनी, अपहरण जईसन चीज भी होखे लागल रहे| ओही छात्र संघ से निकलल युवा खनन, ठेकेदारी अउरी अपहरण जईसन रुख अपनावे लागल| आपातकाल के बाद युवा शक्ति काफी बुरी तरह से प्रभावित भईल| जयप्रकाश नारायण जी के आन्दोलन त सफल रहे लेकिन जवन सरकार केंद्र में गिरल आ असम के सरकार लोगन के निराश कईलस, उ युवा एकता अउरी आन्दोलन के ध्वस्त कर दिहलस| चुकी असम के सरकार छात्र आन्दोलन से बनल सरकार रहे जवन कि भारत में पहिला बेर भईल रहे|

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ओही घरी से आजु ले ज्यादातर छात्र राजनीती पिछलगु बनिके आपन जवानी के चूल्हा में निरंतर झोकत रहल बा| विश्वनाथ प्रताप सिंह के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में भी छात्र लोग सहयोग करके दोबारा आपन भाग्य अजमावल| लेकिन उहो छात्रन खातिर निराशा छोड़ के चली गईले| अइसन बात भी ना रहे कि छात्र लोग कम सहयोग कईले होखे| बेहद प्यार देलस लेकिन मंडल कमीशन के सिफारिश लागु करे के जल्दीबाजी अउरी ओह जाती प राजनीती करे वाला युवान के दू टूका में बाँट दिहलस| एगो टुक आरक्षण विरोधी आन्दोलन के अपना हक़ में कईलस आ दूसरा बाबरी आंदोलन| आज एगो के जाती के नाम प काठ के घोडा बनावल जा रहल बा आ दूसरा के धर्म के नाम प|

अभियो पहिलही उहे हाल बा

ओकरा बाद जतना छात्र आन्दोलन भईल पाहिले से ज्यादा निराशा छोड़त चलल चल गईल| कांग्रेस सरकार में भईल भ्रष्टाचार के खिलाफ गुस्सा के फायदा अन्ना आन्दोलन के हवा जरूर मिलल| लेकिन जईसे जयप्रकाश नारायण जी के ‘सम्पूर्ण क्रांति’ फेल हो गईल ओसहि राजनितिक महत्वकांक्षा के वजह से अन्ना जी के ‘लोकपाल बिल’ फेल हो गईल| ओकरा बाद दिल्ली में निर्भया वाला मामला प देश के आक्रोश लउकल लेकिन सही कवनो नेतृत्व ना होखे के वजह से कुछ ख़ास प्रभाव ना दिखा पाइल|

अभियो पूरा तरह से ख़त्म नइखे भईल| समय समय प जाधवपुर यूनिवर्सिटी, जे.एन.यु. यूनिवर्सिटी जईसन संस्थान में छोट मोट आवाज उठत रहेला| यु.पी.ए1 आ यु.पी.ए2 के समय जतना भी मुख्य आन्दोलन भईल चाहे बात अन्ना आन्दोलन के होखे या निर्भया कांड के, सबके बढ़िया तरीका से उपयोग करके बीजेपी आपन राजनीती फायदा उठवलस| दूसरा शब्द में कही त ओह राजनीती में एबीवीपी के छात्र नेता अउरी बाबा रामदेव के फ़ौज आपन भूमिका बढ़िया तरीका से निभावले रहे|

ओह घरी बीजेपी, कांग्रेस के खिलाफ गोलबंद करके भ्रष्टाचार जईसन मुद्दा के केंद्र में राखी के चारो खाना चित कर देहले रहे| आज कांग्रेस उहे दाव अपना रहल बिया| आज तमाम यूनिवर्सिटी के छात्र नेतान के गोलबंद करके असहिषुणता, तानाशाही शासन, चुनावी वादन जईसन मुद्दा के  केंद्र में राखी के, बीजेपी के खिलाफ खड़ा करके सत्ता ध्वस्त करे के फ़िराक में लाग गईल बिया| खासकर कन्हैया के भाषणकला के भरपुर उपयोग कईल जा रहल बा| हो सकेला कि तमाम ओह छात्रन के एह बात के एहसाह ना होखे कि ओह लोग के राजनितिक टूल के रूप में उपयोग कईल जा रहल बा| हो सकेला आवे वाला समय में एकर अनुभूति होखे| लेकिन एक बार फिरू से हमनी के छात्र राजनीती हमेशा लेखा काठ के घोडा बनत चलल चल गईल| हमेशा राजनीती ‘यूज़ एंड थ्रो’ के रूप में अपनावत चलल चल गईल|

नोट :- हमार इ लेख ‘आखर के अप्रैल महिना’ में प्रकाशित हो चुकल बा|

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