भारत ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के एगो बड़हन मार्केट ह| भारत सबसे तेजी से पूरा विश्व में उभरे वाला मार्केट रहे लेकिन आज काल कुछ डिक्लाइन भईल बा| पूरा विश्व में प्रोडक्शन के नजरिया से भारत के सातवाँ स्थान बा आ वॉल्यूम के नजरिया से चौथा स्थान बा| भारत साल में औसतन 17.5 मिलियन गाड़ियन के उत्पादन करेला| सबसे बड बात इ बा कि भारत के इकॉनमी के एगो बड़हन हिस्सा एह ऑटोमोटिव सेक्टर से जुडल बा| मैन्युफैक्चरिंग के जीडीपी में हिस्सेदारी लगभग 14% बा| ओह में अकेले ऑटोमोटिव के 7% के हिस्सेदारी बा|
हमनी के खाली 3.9% के आस पास जीडीपी के हिस्सा शिक्षा प आ 0.85% हिस्सा रिसर्च प खर्च करीला जा| एह बात से अंदाजा लगावल जा सकेला कि कतना बड हिस्सेदारी ऑटोमोटिव के रहल बा| भारतीय अर्थव्यवस्था के नजरिया के ऑटोमोटिव के बड़हन योगदान बा| एही बिषय प देखल जाई कि एकर एतिहासिक पहलु का रहल बा आजादी के बाद से, लोग भारत में निवेश काहे करी, भारत के लगे एह क्षेत्र में कवन कवन चुनौती सामने बा, सरकारी पहलु का बा, एकर प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था प कईसे परी आदि |
भारत में ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज के अतीत
वर्तमान के स्तिथि और चुनौती के बारे में जाने से पाहिले हमनी के एकर ऐतिहासिक पहलु के थोडा संज्ञान में ले लेवल जाव| 1897 में पहिला कार भारत के सड़क प आपन शुरुआत कईलस| 1930 आवत आवत इम्पोर्ट होखे शुरू भईल उहो बहूत कम मात्रा में| मूल रूप से 1940 के आस पास ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज के शुरुआत भारत में भईल| पाहिले हिंदुस्तान कंपनी आइल 1942 में, फिर प्रीमियर 1944 आ फिर महिंद्रा 1945 में आपन शुरुआत कईलस|
जब 1947 में भारत आजाद भईल तब सरकार अउरी प्राइवेट सेक्टर के लोग गाडी के कॉम्पोनेन्ट बनावे खातिर मिलकर के प्रयास कईलस ताकी ओकरा से ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज के मदद कईल जा सके| 1950 से 1960 तक राष्ट्रीयकरण अउरी लाइसेंस राज के चलते काफी प्रभावित रहल| 1970 में जब आयात प्रक्रिया प बैन लगावल गईल तब भारत के ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज काफी फले-फुले के मौका मिलल| ट्रेक्टर, स्कूटर जईसन चीज त बने लागल लेकिन कार तबो लक्ज़री लेखा ही रहे| फिर अस्सी के मध्य में राजीव गाँधी जी दिल्ली में ऑटो एक्सपो के जरिए भारत के ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज के प्रोत्साहित करे के कोशिश जरूर कईले रहले|
नौ दिन तक चलल ओह ऑटो एक्सपो में भारत द्वारा उपयोग कईल नया नया तकनीक, रिसर्च और विकास से भारत के लोग के अवगत करावल चहले अउरी लोगन के एकरा प्रति उत्तेजित करे के कोशिश कईले| लेकिन जईसे नब्बे के दशक में आर्थिक संकट आइल ओह से काफी प्रभावित रहल| नया नया वित्तमंत्री बनले मनमोहन सिंह नर्सिम्भा राव के नेतृत्व में, अउरी उदारीकरण के आवाहन कईले| परिणामस्वरुप बहुराष्ट्रीय कंपनी जईसे जापान के सुजुकी आ टोयटा अउरी साउथ कोरिया के हुनडाई के भारत में निवेश करे खातिर स्वागत कईल गईल|
1991 से शुरू भईल बाहर के कंपनी के हिस्सेदारी जवना में ‘जॉइंट वेंचर’, ‘प्रोडक्शन शेयरिंग’, ‘ट्रांसप्लांट’, ‘क्रॉस बोर्डेर मर्जर’ जईसन प्रक्रिया के काफी बल मिलल| सन 2000 तक भारत के मार्केट में खाली 12 गो बड ऑटोमोटिव कंपनी रहीसन जवना में ज्यादातर कंपनी में बाहरी कंपनी के प्रत्यक्ष आ अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सेदारी रहे| लेकिन एगो आश्चर्य के बात बता दी कि उदारीकरण के बादो ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में, अस्सी के दशक के अपेक्षाकृत नब्बे के दशक में निर्यात में गिरावट भईल रहे| ओकरा पीछे कारन इ रहे कि बहुराष्ट्रीय कंपनी आउटमोडेट प्लेटफ़ॉर्म प्रदान कईलस भारत के जवना चलते वैश्विक कम्पटीशन में बढ़िया से भाग ना ले पवलस|
भारत में निवेश करेके कारण
भारत में निवेश के सबसे पहिला आ मुख्य कारण इ बा कि भारत के बाजार काफी स्टेबल बा| जवना रफ़्तार से पापुलेशन बढ़ रहल बा ओह रफ़्तार से लोग के जरूरत भी ओही मुताबिक बढ़ी| एह से निवेशक लोग भारत दने रुख करे के कोशिश करीहे| बढ़त घरेलु खपत एकर प्रमाण बा| चुकी चाइना, ग्रीस आ तनी मनी अमेरिका के इकॉनमी प्रभावित होखला के वजह से अउरी पश्चिमी एशियाइ देशन में असंतुलित सुरक्षा के नजरिए से भारत से बाजार काफी बेहतर बा|
आज भारत वॉल्यूम के नजरिया से भारत ऑटोमोटिव मार्केट के विश्व के चौथा बड देश बा| चुकी भारत एगो कृषि प्रधान देश रहल बा एह से अहिजा खेती से सम्बंधित तकनिकी सहायता जईसे ट्रेक्टर आदि के बरियार मांग रहल बा| पिछला सात साल में तवो व्हीलर के उत्पादन में वार्षिक 8.5 मिलियन से 15.9 मिलियन यूनिट तक पहुचल बा| इ एह बात के प्रतिक बा कि भारत में ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज के भविष्य काफी सुनहरा बा|
भारत के निति पाहिले के अपेक्षाकृत काफी उदार बा जवन कि निवेशक के भारत दने आकर्षित करेला| अगर एक्साइज देखल जाव त काफी कम बा, ऑटोमोटिव खातिर मिशन प्लान काफी अच्छा बा| इ सब चीज एगो निवेशक के भारत के तरफ आकर्षित करी| भारत के तरफ से अच्छा प्लेटफार्म दिहल जा रहल बा एगो मैन्युफैक्चरिंग हब बनावे खातिर| हमनी के प्रधानमंत्री जी भी कई तरह के सुंदर इनिशिएटिव जईसे ‘मेक इन इंडिया’ अउरी ‘गेट अप इंडिया’ आदि के जरिए सभे के स्वागत करे के कोशिश कर रहल बानी| भारत के मार्केट के दूसरा बड़ा खासियत बा कि कही एक जगह केन्द्रित नइखे|
भारत के हर क्षेत्र में एकर प्रभाव बा| दक्षिण क्षेत्र खासकर के चेन्नई आ बंगलौर 35% रेवेनुए शेयर रखेला, अउरी भारत के लगभग 60% एक्सपोर्ट ओहिजा से होला| दूसरा क्षेत्र सेंट्रल रीजन बा जवना में महाराष्ट्र, पुणे बा, जवन 33% रेवेनुए के शेयर रखेला| उत्तरी रीजन 32% रेवेनुए रखेला जवना में हरियाणा के मानेसर अउरी गुडगाँव महत्वपूर्ण क्षेत्र बा| इहो एगो कारन हो सकेला निवेशक के आकर्षित करे खातिर| इ त हम मत्वपूर्ण जगह के नाम बतईनी ह ओईसे पश्चिम बंगाल भी अच्छा हब ह| भारतीय बाजार निवेशक लोग के विकल्प प्रदान करेला जवन शायद ही कवनो देश में होई|
सरकार के पहल
भारत सरकार के तरफ से भी काफी अच्छा समर्थन मिल रहल बा| नीतिगत बदलाव भी कईल जा रहल बा| ऑटोमोटिव के क्षेत्र में 100% FDI के हरी झंडी देल गईल बा एह से विदेशी निवेशक के भारी मात्रा में आवे के उम्मीद बा| FDI के अच्छा पहल एह से हम मानिला काहे कि FDI से सिर्फ कैपिटल इन्वेस्टमेंट ना बल्कि टेक्नोक्रैट के भी स्थानांतरण होला| 2015-2016 के यूनियन बजट के देखल जाव त ओहमे ट्रेक्टर सेक्टर के बूस्ट करे खातिर साढ़े आठ लाख करोड़ रुपया सरकार किसान के उधार देवे के निर्णय कईले बिया| एक से दू गो फायदा बा|
पहिला, के खेती में तकनीक से कम समय में ज्यादा उत्पादन के लाभ मिली जवना से बढ़त जनसँख्या के खाद्य आपूर्ति वाला उद्देश्य सार्थक होई| एह से खाद्य आपूर्ति से क्षेत्र में होखे वाला आयात में कमी होई| दूसरा फायदा इ बा कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज के काफी प्रोत्साहन मिली| भारत सरकार के तरफ से स्वस्थ्य एनवायरनमेंट के दिशा में एगो पहल कईल गईल बा जवना में CNG व्हीकल, इलेक्ट्रिक व्हीकल अउरी हाइब्रिड व्हीकल बनावे के समर्थन मिलल बा|
भारत सरकार के तरफ से ऑटोमोटिव मिशन प्लान जईसन प्लान के जरिए मदद मिल रहल बा| साथ ही भारत सरकार एक्सपोर्ट टैरिफ के भी कम कईले बिया जवना से निर्यात में चार चाँद लगावल जा सके| साथ ही साथ GST जईसन बिल लाके ऑटोमोटिव क्षेत्र में निवेश करे खातिर बेहतर विकल्प देवल जा रहल बा| एह से होई का कि जवन टैक्स के चोरी होत रहल ह राज्य के बॉर्डर प उ ख़त्म हो जाई, जवना के परिणाम स्वरुप प्रोडक्ट उचित दाम पर मिले लागी| चोरी कम होई आ उचित दाम प मिले लागी त लोग ख़रीदे के दिशा में भी आकर्षित होइहे|
500 करोड़ से ऊपर के निवेश में टैक्स रिलैक्सेशन के भी प्रावधान कईल जा रहल बा जवन कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के दिशा में सार्थक कदम बा| नयका बनल नियम में छोटहन इंडस्ट्रीज के मोटीवेट करे खातिर एक्साइज ड्यूटी भी कम कईल गईल बा जवना से निवेश के तरफ जागरूकता बढ़ो| भारत सरकार लगातार राज्य सरकार के बिजली के तरफ इशारा कर रहल बिया कि ओकरा से दुरुस्त रखो|
भारत के सामने मुख्य चुनौती
भारत में ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज के अच्छा बाजार बनावे वाली समस्या क पीछे बहूत सारा चुनौती भी बा| एह चुनौती क सज्ञान में लेके एकर हल ढूढल काफी जरूरी बा| सबसे बड समस्या बा बिजली के जवन राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में बा| ऑटोमोटिव कंपनी के मुलभुत जरूरी चीजन में पानी, बिजली अउरी इंफ्रास्ट्रक्चर रहेला| पानी के आजो हाल बेहाल बा| राज्य सरकार अउरी केंद्र सरकार के विवाद अभियो थमल नइखे|
एह सब के प्रबंधन महत्वपूर्ण बा काहे कि मान लिही कंपनी भारत आ रहल बिया अगर पर्याप्त मात्रा में बिजली ना होई त जनता के बिजली में काट के देवे के परी| भारत के सामने एगो सबसे महत्वपूर्ण चुनौती राज्य सरकार अउरी केंद्र सरकार के बीच समन्यवय भी रहल बा| हमेशा एक दूसरा से व्यक्तिगत स्तर तक आके लडत रहल बा| स्वस्थ्य लोकतंत्र के नजरिया से भी ठीक नईखे अउरी भारत के विकास के नजरिया से भी ठीक नईखे|
एगो अउरी बड़हन समस्या इ बा कि हमनी के ऑटोमोटिव के बेसिक चीज प पर्याप्त पईसा नईखी जा करत| जीडीपी के खाली 0.85% ही रिसर्च प खर्च होला| तमाम इंजीनियरिंग कॉलेज बा हर जगह टेक्निकल फेस्ट जईसन चीज होला| ओहिजा एक से बढ़ के एक सुझाव आवेला| लेकिन ओह लोग के आईडिया ओह दिन ख़त्म हो जाला जहिआ फंक्शन ख़त्म होला| इ सबसे जबुन चीज ह| प्लेटफार्म के कमी हमनी इहाँ के ह्यूमन कैपिटल के स्थानांतरित होखे के मजबूर कर देला|
इहे कारन बा कि आज ज्यादातर विद्यार्थी MS खातिर बाहर पलायन कर रहल बाड़े जेकरा के ब्रेन ड्रेन कहल जाला| जईसन कि हम उपरे एगो चीज मेंशन कईले रहनी कि उदारीकरण के बावजूद नब्बे के दशक में ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज के प्रोडक्शन में कमी आइल रहे| ओकर सीधा सरोकार ब्रेन ड्रेन से बा| अगर हमनी के आपन ह्यूमन कैपिटल रहित त, FDI के सहारे दोसर के लावल आउटडेटिड तकनीक छोड़ी, हो सकत रहे कि दुनिया के सबसे आधुनिक तकनीक भारत के होईत|
भारत में कुछ NGO भी अइसन विकास के मुखालफत कईले आइल बा| इहो एगो चुनौती बा| ताजुब के बात इ बा कि उ लोग एगो तय पैमाना से ज्यादा पईसा मजदूरन, अउरी आस पास के लोग के भड़कावे में खर्च करेला| उदहारण के रूप में एगो ग्रीन पीस नाम के NGO बा जवन FCRA के कानून के उल्लंघन करत रहल बा| FCRA के मुताबिक कवनो संस्था 50 प्रतिशत से ज्यादा पईसा अपना एडमिनिस्ट्रेशन प खर्च ना कर सकेला| लेकिन उ लोग करत आइल बा एही से आज ज्यादातर ग्रीन पीस से जुडल संस्था प बैन लगावल बा| चुकी कवनो ऑटोमोटिव कंपनी अगर आपन कंपनी लगा रहल बिया त ओहिजा के मजदूर के भडकावल, जमीन खातिर किसान के भडकावल ठीक चीज नइखे| इहो एगो बड समस्या बा जवन निवेशक खातिर चिंता के विषय रहेला|
अंत में निष्कर्ष के रूप में इहे कहल चाहब कि भारत में ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज के काफी सुनहरा भविष्य बा| एह में सभे के सहयोग जरूरी बा| हम आपन अनुभव बता रहल बानी कि लईकन में काफी भूख बा सीखे के प्रति| बस जरूरत बा अच्छा प्लेटफार्म के जवना के उम्मीद हम भारत सरकार से कर रहल बानी| आईडिया मरो मत एक्सपेरिमेंट करे के मौका मिलो| एकर विकास खातिर राजनीती से ऊपर उठके राज्य सरकार, केंद्र सरकार अउरी जनता सभे के एक साथे समन्यवय बईठावल जरूरी बा| ना त होला का कि केंद्र में दोसर पार्टी के सरकार बा आ राज्य में दोसर के त उ इर्ष्या के वजह से अपना राज्य में FDI के अनुमति ना देला| इ कवनो नया बात नइखे|
नोट :- इ लेख ‘आखर’ पत्रिका के नवंबर में छप चुकल बा|
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