बिन सावन बरसात कैसा होता है? एकदम उबाऊं, चिडचिडा और परेशानी भरा होता है| बिहार की राजनीती में वही बिन सावन बरसात हो रहा है| बिना इलेक्शन का चुनाव प्रचार हो रहा है| नाम है ‘जनादेश अपमान यात्रा’| पंद्रह साल बाप ने बिहार की आवाम को मुर्ख बनाया और अब बेटा उसी राह पर है| किसी भी बेटे को ना तो बोलने की तमीज है और नाही चीजों को समझने की| बस अपनी छोटी छोटी मुहों से बड़ी बड़ी बातें फ़रमाए जा रहे है| बड़े-बड़े बैनर, पोस्टर, 50 गाड़ियों का बड़ा काफिला और बाकी के तमाम संसाधनों से जो यह यात्रा निकल रही है, वो सब किसके पैसे से हो रहा है? यह सब बिहार के लोगों के पैसों से हो रहा है| जो लूटा है उसी को लुटा कर अपनी छवि बनाने की कोशिश में है ताकि और कभी भविष्य में पांच साल मिल जाए तो वो लूट सके| घर में सब बेरोजगार है फिर भी पैसो की कमी नहीं है| वैसे कहते है कि सीबीआई और तमाम सरकारी तंत्र फर्जी है और उनके घर के पीछे पड़ी हुई है| ऐसे में कोई भी सरकारी तंत्र पीछे क्यों न पड़े? जब परिवारवाद की बात आती है तब भी ‘सोनू’ के गाने वाले जैसे गोल गोल नजर आते है|
अपने पेज पर पुत्र तेजस्वी लिखते है कि ये आरएसएस और महात्मा गांधी की विचार धारा के बीच लड़ाई है| मुझे लगता है वो ना तो आरएसएस के बारे में जानते होंगे और नाही महात्मा गाँधी के बारे में| क्यों महात्मा गाँधी ने कभी यह कहा था कि देश में एक ऐसी पार्टी बनाओ जो सारे वरिष्ट नेताओं को लात मारकर अपने दोनों पुत्रों को बैठा दो? क्या महात्मा गाँधी, कर्पूरी ठाकुर या लोहिया जिसको अपना गुरु श्री यादव मानते रहे है, उन्होंने कहा था कि राज्य की विकास रोककर अपना घर भर लो? अपने आप को समाजवादी कहते हुए भी इन बच्चो को शर्म आनी चाहिए| अगर विश्वास नहीं होता तो बिहार का इकनोमिक सर्वे पढ़ ले| चुनाव के दौरान मैंने तीनो टर्म का बिहार का इकनोमिक सर्वे पढ़ा था| आज कुछ चिकने रोड, 20 घंटे बिजली गाँव में दिख रही है न वो सिर्फ नितीश कुमार की वजह से ही दिख रहे है| यह बात मै उस दिन भी कहता था जब नितीश कुमार राजद में थे| वही बात आज भी कह रहा है जब वो राजद में नहीं है| यही सच्चाई है| दूसरी बात बिहार के विकास में आरएसएस और महात्मा गाँधी का क्या लॉजिक है? यह मुझे बिल्कुल समझ से परे है|
क्या महात्मा गाँधी या कर्पूरी ठाकुर ने कभी कहा था कि घर में सांप पालना और उसकी बदौलत सरकार बनाना? अपने आप को महात्मा गाँधी के पुजारी कह रहे श्री यादव पुत्र को क्या सहाबुद्दीन और उसे मिल रही राजनितिक संवर्धन के बारे में नहीं जानते? पुत्र बातें सामाजिक अन्याय, आर्थिक विषमता, तानाशाही और नफ़रत करते है| बिहार में सबसे ज्यादा आर्थिक विषमता है| एक खा-खा के मर रहा है और दूसरा भूखे मर रहा है| यह आर्थिक विषमता किसने पैदा की? भाजपा ने? भाजपा तो आजादी के बाद से लेकर आज तक एकबार भी पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं रही है| २१वीं शताब्दी में जाकर सरकार बनी भी तो वो गठबंधन की| दूसरी बात रही नफरत की तो जातिगत नफरत जितना इनके पिताजी ने भरी उतना शायद ही किसी राज्य में नेता ने भरी होगी| अब तो विडियो और यूट्यूब का जमाना है| सारे चुनाव प्रचार में बिहार के विकासगत निति के बारे में कम और लाठी भैंस के बारे में बाते सबसे ज्यादा होती है|
चुनाव के दौरान की श्री योगेन्द्र यादव की वो बातें आज भी याद आती है जब वो एक इंटरव्यू में इस गठबंधन के बारे में कह रहे थे कि “यह गठबंधन की अवैवहारिक है| मुझे नहीं लगता कि यह गठबंधन 5 साल पूरा भी कर पाएगा| अगर करता भी है तो बहुत सारी बातें वैसी होंगी जो न्यूज़ की हैडलाइन नहीं बन पाएंगी|” आज उनकी बातें सच होती दिख रही है| आखिर 90 के बाद से लेकर पंद्रह साल तक क्या किया? उदारीकरण के युग में देश के सारे राज्य आगे बढ़ रहे थे| अपने लोगो के लिए संभावनाएं तलाश रहे थे| उन दिन हम लूट रहे थे| आज के पंद्रह साल पहले भी लालू यादव का यही भाषण हुआ करता था जो आज है| थीम बिल्कुल वही है “हमें पिछड़ों की आवाज बनान है”| क्यों पंद्रह साल में भी आवाज नहीं बन पाए? ये कौन लोग है जो इतनी बड़ी तादाद में इनकी रैलियों में शरीक हो रहे है? यह वही लोग है जो बेरोजगार है| इनको जानबूझकर पिछड़ा बनाकर रखा हुआ है| यह ट्रांजीशन स्टेट है, अगर अब भी बिहार की आवाम नहीं समझेगी तो आगे भी ऐसे ही बेगार बनती रहेगी|
Support us
Hard work should be paid. It is free for all. Those who could not pay for the content can avail quality services free of cost. But those who have the ability to pay for the quality content he/she is receiving should pay as per his/her convenience. Team DWA will be highly thankful for your support.