स्वतंत्र भारत के झांकी : भाग – 4

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अध्याय – 1 “देश निर्माण के चुनौती-४

जोधपुर अउरी जैसलमेर

अभी तक एह अध्याय में इ पता चलल कि कईसे लार्ड माउंटबेटेन बाकी के राजवाडा राज्यन के भारत के एकीकरण में साथ देवे खातिर तईयार भईले| ओकरा बाद बारी बारी से सभ राजा लोगन के भारत में विलय करके खातिर आमंत्रित कईले| काफी सारा राजा लोग तईयार हो गईल लेकिन कुछ राजा लोग तईयार ना होत रहे| ओही राजा लोगन के भारत में विलय करवावे खातिर आपन मिशन चलइले जा| सबसे पाहिले वी.पी. मेनन, सरदार पटेल अउरी लार्ड माउंटबेटेंन के तिकड़ी त्रावनकोर मिशन में सफल होईला के बाद राजस्थान के जोधपुर अउरी जैसलमेर के राजनीती के तरफ रुख कईलेजा|

इ राजनीती बहुत दिलचस्प एह कारण से भी रहे काहे कि इ सब इलाका पाकिस्तान के बॉर्डर के काफी करीब रहे| इहाँ तक कि जैसलमेर के कुछ हिस्सा पाकिस्तान के साथे सीमा भी साझा करत रहे| एह मिशन के खास बात इ रहे कि एह में एगो अउरी करैक्टर के आगमन हो गईल रहे जेकर नाम मोहम्मद अली जिन्ना रहे| मोहम्मद अली जिन्ना ओह राज्यन के पाकिस्तान में मिलावे खातिर अथक प्रयास कईले रहन|

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जोधपुर के राजा हनवंत सिंह के पता ना लाग पावत रहे कि कहाँ बाड़े| मोहम्मद अली जिन्ना से संपर्क पढ़ गईल रहे| जिन्ना से भेट मुलाकात अउरी पाकिस्तान में मिले खातिर मीटिंग प मीटिंग होखे लागल रहे| अंतिम मीटिंग जोधपुर के नवाब हनवंत सिंह, जैसलमेर के नवाब महराज कुमार अउरी बीकानेर के नवाब के संघे होखे वाला रहे| लेकिन बीकानेर के नवाब के ना गईला के वजह से से बाकी के दुनो लोग चहुपल| वी.पी. मेनन आपन किताब ‘द स्टोरी ऑफ़ द इंटीग्रेशन ऑफ़ द इंडियन स्टेट’ में लिखले बाड़े कि जिन्ना, जोधपुर के राजा हनवत सिंह के सदा पन्ना आ आपन फाउंटेन पेन तक थमा दिहले कि ल जवन मर्जी शर्त रखेकेबा रखs लेकिन पाकिस्तान में विलय करs|

हालाँकि जोधपुर के नवाब पाकिस्तान में मिलला के बाद करांची पोर्ट इस्तमाल करे खातिर मांग कईले| एकरा अलावां उ जोधपुर से सिंध जाए वाला रेलवे लाइन प आपन आधिकार के भी मांग कईले| इ सब खातिर जिन्ना तईयार हो गईले| ओही घरी जिन्ना मुड के जैसलमेर के राजा से भी जोधपुर लेखा पाकिस्तान में विलय करे खातिर पूछले|

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लेकिन जैसलमेर के राजा जिन्ना से एगो शर्त रखले कि अगर भविष्य में हिन्दू मुस्लिम के बीच झड़प होई त जिन्ना मुसलमानन के पक्षपात ना करिहे| इ सवाल जिन्ना के बहुत बुरी तरह से प्रभावित कर देहलस| परिणाम इ भईल कि जैसलमेर त गईबे कईल साथ में जोधपुर भी हाथ से निकल गईल| जईसे ही इ सवाल जैसलमेर के नवाब महाराजा कुमार, जिन्ना के सामने रखले ओसाही जोधपुर के नवाब महराज हनवंत सिंह के कपार ठनक गईल| जोधपुर के नवाब निर्णय के लेके आस्मंजस्य में पड़ गईले| ओही घरी साइन करे खातिर जिन्ना के दल के तरफ से खूब दबाव बनावल गईल लेकिन निर्णय लेवे खातिर कुछ वक्त मंगले|

लेकिन जईसे जोधपुर के जनता के पता चलल कि नवाब के मन पाकिस्तान दने झुकत बा तसही माहौल गरमा गईल| जनता अउरी जागीरदार बिल्कुल ना चाहत रहे कि जोधपुर पाकिस्तान में मिलो| जोधपुर के नवाब के दिवान के माध्यम से नवाब में मंशा के पता चल गईल रहे| लार्ड माउंटबेटेंन जोधपुर के नवाब के दिल्ली बुलईले| दिल्ली जाके जोधपुर के नवाब महराजा हनवंत सिंह सरदार पटेल से मुलाकात कईले| ओह मुलाकात में सरदार पटेल उनका से एह विषय में पूछले कि का इ सब सही बात बा कि रुआ एह घरी लगातार जिन्ना से मीटिंग कर रहल बानी अउरी पाकिस्तान में मिले खातिर मन बना रहल बानी|

एह पर नवाब जवाब देले कि रुआ सही सुन रहल बानी| ओकरा पीछे जिन्ना के रियायत के कारन बतईले| सरदार पटेल उनका के सबसे पाहिले आगाह कईले अगर जोधपुर के जनता कवनो प्रकार के बगावत करे लागे त भारत से उम्मीद बिल्कुल मत करम| चुकी एह बात से पटेल जानत रहले कि जोधपुर के जनता बिल्कुल एह निर्णय के खिलाफ बिया| सरदार पटेल ओह शर्त के बारे में भी कहले कि उ सब शर्त भारत भी दे सकत बा| जहाँ तक रहल पोर्ट के बात त नवाब से कहले कि जोधपुर से कराची के बजाए कच्छ के बंदरगाह से जुड़ सकत बा|

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एह बात के आश्वासन दिलवाईले कि बंदरगाह के वजह से रेवेनुए में कवनो फर्क ना पड़ी| सरदार पटेल एह बात से भी अवगत करईले कि अगर राज्य में अनुशासन ख़राब होई त अनुशासन बनावे खातिर डायरेक्ट एक्शन लेवल जा सकत बा| एह बात से डर के ओह घरी त जोधपुर के नवाब महराजा हनुवंत सिंह, सरदार पटेल के विश्वास दिवाईले कि अइसन कुछ करे के ना परी| उ खुद जाके माउंटबेटेंन से ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ प साइन कर दिहे| लेकिन ओहिजा से निकलते उनकर तेवर फिर बदल गईल|

राजस्थान के इ मामला बहुत ज्यादा गंभीर रहे| अगर गलती से भी कुछ गड़बड़ भईल रहित त भारत के जोधपुर जितल ओतना आसान ना होईत जतना कि हैदराबाद| चुकी हैदराबाद बीच में रहे चारो और से घेर के तीन दिन में जीत लेवल गईल रहे| लेकिन एकर सीमा पाकिस्तान के सीमा से जुडल रहे अगर युद्ध होईत त पाकिस्तानी आर्मी के सपोर्ट मिलित| एह से जोधपुर, जैसलमेर अउरी बीकानेर जीतल भारत खातिर ओतना आसान ना रह जाईत| ओकरा महज कुछ ही दिन बाद या इ कही आजादी के दिन के महज चार दिन पाहिले 11 अगस्त 1947 के महराजा हनुवंत सिंह वायसराय लॉज पहुचले|

ओहिजा उनकर मुलाकात लार्ड माउंटबेटेन से भईल| माउंटबेटेन साफ़ साफ़ कहले कि जोधपुर के पाकिस्तान में मिलल कवनो गैर-कानूनी तरीका नइखे| बिल्कुल मिल सकत बा पूरा अधिकार बा| लेकिन कवनो फैसला लेवे के पाहिले ओकर परिणाम के बारे में आगाह करे के कोशिश कईले| लार्ड माउंटबेटेन उनका के समझईले कि हनुवत सिंह खुद हिन्दू राजा, उनकर प्रजा बहुसंख्यक में हिन्दू इहाँ तक कि आस पास वाला राज्य भी हिन्दू बहुल बा| एह सब चीज के केंद्र में राखी के सोचल जाव सैधांतिक तौर प पाकिस्तान में विलय करे वाला निर्णय बिल्कुल उचित नइखे|

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इ फैसला पार्टीशन के सिधांत मुस्लिम बहुत क्षेत्र अउरी गैर मुस्लिम बहुल क्षेत्र के भी हनन करत बा| कानूनन कोई ना रोकी पाकिस्तान में विलय होखे से लेकिन सैधांतिक तौर प अप्रासंगिक बा| इ सांप्रदायिक हिंसा के बढ़ावा दे सकत बा| वी.पी. मेनन उनका से समझावे लगले अउरी जुड़े खातिर आग्रह करे लगले| जईसे ही लार्ड माउंटबेटेन कुछ पल खातिर कमरा से बहरी गीले ओसही महराजा हनुवंत सिंह वी.पी. मेनन के कपार प बन्दुक तान के कहले “’I refuse to accept your dictation.”

एह बात प इतिहास में थोडा कंट्रोवर्सी रहल बा| काहे कि हनुवंत सिंह के जीवनी लिखे वाला लेखक के कहनाम रहे कि वी.पी. मेनन ओह सब शर्त के हटा देले रहले रहन जवना के वादा सरदार पटेल कईले रहन| एह से पिस्तौल तनले रहन| खैर, तनिके देर बाद जब माउंटबेटेंन कमरा में आइले अउरी ओह घटना प ज्यादा जोर ना देले| लार्ड माउंटबेटेंन उनका के ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ प साइन करे के सलाह देले अउरी महराजा हनुवंत सिंह साइन कर भी दिहले| इ मिशन भी सफल हो गईल| 15 अगस्त 1947 के देश के आजादी मिल गईल, लेकिन आजादी से बाद भी कुछ राज्य जईसे जूनागढ़, हैदराबाद, कश्मीर आदि प फैसला अभी तक ना हो पाईल रहे| एह राज्यन के कहानी अगिला कड़ी में…

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