अध्याय – 3 “भारत के पडोसी देशन से युद्ध – 1”
1947 : भारत पाकिस्तान के पहिला युद्ध
अभी तक हमनी के पहिला अध्याय ‘राष्ट्र एकीकरण के चुनौती’ के बारे में देखनी जा| एह अध्याय में हमनी के एह बात से अवगत भईनी जा कि कईसे लार्ड माउंटबेटेंन, सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरु अउरी वी.पी. मेनन के टीम पाहिले त्रावनकोर ओकरा बाद जोधपुर, जैसलमेर, जूनागढ़, हैदराबाद अउरी कश्मीर के एकीकरण करे में सफल भईले जा| दूसरा अध्याय ‘देश के भीतर मूलभूत एकीकरण’ में हमनी के देखनीजा कि कईसे सबसे पहले प्रशासनिक एकीकरण भईल, ओकरा बाद आर्थिक एकीकरण, सामाजिक एकीकरण भईल| सामाजिक एकीकरण में हमनी के खासकर आदिवासी समूह के बात कईनी जा| एकरा अलावां राज्यन के भाषाई एकीकरण अउरी क्षेत्रीयता के खिलाफ एकीकरण प भी चर्चा कईनी जा| आज से अगिला अध्याय भारत के पडोसी देशन से युद्ध के बारे में चर्चा होई| एह सीरीज के पहिला अंक में भारत पकिस्तान के पहिला युद्ध 1947 के बात होई|
14 अगस्त 1947 उ दिन रहे जहिआ पकिस्तान खून से आपन इतिहास के पहिला पन्ना लिखले रहे| एह घटना के अभी ले घाव भरल भी ना रहे कि अक्टूबर 1947 के भारत प आक्रमण कर दिहले रहे| आक्रमण करे वाला पाकिस्तानी सेना के भेष में ना रहे बल्कि कबायली अउरी कबायलियन के भेष में पाकिस्तानी आधिकारी| उत्तर पश्चिमी सीमा प्रदेश से पाच हजार से ज्यादे कबाइली 22 अक्तूबर, 1947 के अचानक कश्मीर में घुस अईलन सन|
ओकनी के शरीर प सेना के वर्दी भले ना रहे, लेकिन हाथन में बंदूक, मशीनगन अउरी मोर्टार रहे| पाहिले हमला सीमा वाला स्थित नगरन दोमल अउरी मुजफ्फराबाद प भईल| एकरा बाद गिलगित, स्कार्दू, हाजीपीर दर्रा, पुंछ, राजौरी, झांगर, छम्ब अउरी पीरपंजाल के पहाड़ियन प कबाइली हमला भईल| ओकनी के इरादा इ रहे कि कसहू श्रीनगर प हमला करके ओकरा के अपना कब्ज़ा में लिहल जाव| श्रीनगर के कब्ज़ा करे के पीछे सबसे बड़हन मकसद इ रहे कि राजा हरी सिंह हाथे लाग जास|
एकर शुरुआत कश्मीर विवाद से भईल| कश्मीर विवाद के पीछे एगो कहानी रहल बा कि आखिर एकर शुरू कहाँ से भईल | जब अंग्रेज भारत छोड़ के जात रहसन तब अंग्रेज ‘लैप्स ऑफ़ पैरामाउन्सी’ नाम से एगो अधिकार दिहले| एकर माने इ कि जवन अधिकार अंग्रेजन भीरी रहे उ पूरा वापस कर रहल बाड़े एह स्वतंत्रता से कि राज्य के राजा के पास पूरा अधिकार बा या त स्वतंत्र रहे या फिर बातचीत के सहारे भारत आ पाकिस्तान से जाके मिल जाव|
ओह घरी कश्मीर के राजा रहले राजा हरी सिंह जेकर चाहत रहे कि उ स्वतंत्र गणराज्य बनावस| एह फैसला प ना त सरदार बल्लभ भाई पटेल राजी रहन अउरी नाही मोहम्मद अली जिन्ना| जिन्ना सबसे पाहिले कश्मीर के साथे भईल सारा “स्टैंड स्टील अग्रीमेंट” तोड़ दिहले| अउरी कश्मीर के पेट्रोल, आनाज अउरी जरूरी वस्तुन के जरूरत के सप्लाई बंद कर दिहले| सियाल से जम्मू कश्मीर के बीच रेल सेवा बंद कर देवल गईल|
एह से एगो बात साफ़ रहे कि पकिस्तान कश्मीर के अपना में मिलावे खातिर ताकत के उपयोग करत रहे| इ अंदेशा तब सच साबित हो गईल जब पकिस्तान के तरफ से हथियारन से लैस पाकिस्तानी आर्मी कबाइली के भेष में भारत प हमला कईलस| अभी जम्मू कश्मीर के राजा सोचते रहन तले एकाएक अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान कबायली के भेष में कश्मीर प आक्रमण कर दिहलस| एही से कबाइली के भेष में पाकिस्तानी सेना सबसे पाहिले श्रीनगर के अपना कब्ज़ा में कईल चाहत रहे जवना से जबरन राजा हरी सिंह से हस्ताक्षर करवा सको अउरी कश्मीर प आपन अधिकार जमा सको|
एही श्रीनगर प कब्ज़ा करे के उद्देश्य से कश्मीर घाटी, गुरेज सेक्टर अउरी टिटवाल प भी हमला कईल गईल| एह अभियान के “आपरेशन गुलमर्ग’ देवल गईल| सबसे बड़ हमला मुजफ्फराबाद के ओर से भईल| पहिला दिक्कत एहिजा इ रहे कि एगो त असही एहिजा मौजूद राज्य पुलिस के जवानन के संख्या कम रहे अउरी दूसरा पुंछ के लोग भी हमलावारन में शामिल हो गईल रहs सन| कश्मीर में बगावत के माहौल हो गईल रहे| मुस्लिम सैनिक कश्मीर के सेना छोड़ हमलावरन से हाथ मिला लेलस| एह से हमलावरन के ताकत अउरी हौसला दुनो बढ़ गईल रहे|
बहुत जल्दी ही मुजफराबाद पहुच गईल रहे आ तबाही माचवे शुरू कर देले रहे| श्रीनगर से मात्र 164 किलोमीटर दूर| मुजफ्फराबाद पूरी तरह से बर्बाद हो चुकल रहे| ओहिजा के बड पैमाना प नगरिकन के हत्या भईल| बलात्कार भी बहुत बड पैमाना प भईल| लूटपाट मचा के पूरा इलाका तबाह कर दिहल गईल रहे| मुजफ्फराबाद के तबाह कईला के बाद कबाइलियन के अगिला निशाना रहे उड़ी अउरी बारामूला| 23 अक्तूबर, 1947 के उड़ी में घमासान युद्ध भईल| हमलावरन के रोके खातिर ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में ओहिजा मौजूद सेना उरी में उ पुल ध्वस्त करने में कामयाब भईले, जवना से हमलावारन के गुजरे के पडत रहे|
अगर इ पुल उहाँ के ध्वस्त ना कईले रहती त शायद कश्मीर हमनी के हाथे से निकल गईल रहित| पुल के टुटला के वजह से दू दिन के समय भारत के सेना के मिल गईल रहे| एगो पठान के गोली लगला से ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह ओहिजे शहीद हो गईले| बहुत सारा इतिहासकार एकरा के कश्मीर बचावे के एगो महत्वपूर्ण घटना मानेला| एह से हमलावर आगे ना बढ़ पईले जा अउरी खीस मिटावे के खातिर उ लोग ओही क्षेत्र में जमके लूटपाट कईले जा, महिलान से बलात्कार कईले जा|
ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह के इ अइसन शहादत रहे जवन कश्मीर के बचवले रहे| इहाँ के एह काम से एगो अउरी सकारात्मक प्रभाव इ पडल कि खीस में हमलावर आपन आपा खो देले जा| लूटपाट त करते रहन जा| एकरा अलावा गैर मुस्लिम महीलान के साथ साथ अब मुस्लिम महीलान के भी अस्मिता के लुटे शुरू कर देलसन| एकरा से भईल इ कि जवन सेना आ ओहिजा के स्थानीय लोग ओह हमलावरन से हाथ मिलाके ओह लोग के ताकत आ हौसला दुनो बढाइले रहे उ लोग जब आपन धर्म के अस्मिता के साथे खेलत देखलस त धीरे धीरे अपना के पीछे खिचे लागल| उरी में गोड रखते हमलावरन के दुरी श्रीनगर से मात्र 90 किलोमीटर रह गईल|
उरी से निकलते महुरा बिजली घर के अपना कब्ज़ा में कर लेलस जवना से पूरा श्रीनगर के बिजली गुल हो गईल रहे| श्रीनगर प कब्ज़ा अब बस चंद घंटा के बात रह गईल रहे| हमलावर बारामुला पहुच गईल रहसन जवन श्रीनगर ने मात्र 50 किलोमीटर रह गईल रहे| लेकिन बारामुला पहुचते हमलावर आपन असली रंग देखावे शुरू कर दिहल सन| फिर से लूटपाट, बलात्कार अउरी हत्या में लग गईलs सन| ओकनी के निशाना प सिर्फ हिन्दू ही ना बल्कि सिख, इसाई इहाँ तक कि मुस्लिम औरत लोग भी रहे|
ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह के पुल तुरला से घटना दू दिन तक टल गईल अउरी हमलावर लूटपाट के चलते अपना लक्ष्य से भटक गईल| इ दू दिन भारत अउरी महाराजा हरी सिंह दुनो लोग के समय दे देलस जवना से कार्यवाई कर सको| हरी सिंह के भी इ बात समझ में आ चुकल रहे कि कबाइलीयन से बचावल राजा हरी सिंह के बस के बात नइखे रह गईल| घबरा के राजा हरी सिंह भारत से भारतीय आर्मी के मांग कईले लेकिन लार्ड माउंटबेटन इ कह के मना कर दिहले कि भारत में शामिल होखे वाला लैटर ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ प जम्मू कश्मीर के राजा हरी सिंह साइन नइखन कईले, एह से कानूनन भारत आपन आर्मी कश्मीर नइखे भेज सकत|
एहिजा लार्ड माउंटबेटेंन से इतिहास आजो सवाल करेला कि इ नियम पाकिस्तान प लागू काहे ना भईल? राजा हरी सिंह पाकिस्तान के दस्तावेज पर भी त हस्ताक्षर ना नु कईले रहन| अगला दिन डिफेंस समिति के मीटिंग भईल| आ ओह में इ तय भईल कि रियासत मामला के सचिव वी.पी. मेनन श्रीनगर जईहे|
ओहिजा वी.पी. मेनन के मुलाकात राजा हरी सिंह अउरी जम्मू कश्मीर के नया प्रधानमंत्री मेहरचंद महाजन से भईल| मेहरचंद महाजन के कहनाम रहे कि भारत सरकार के जतना जल्दी ही सके कदम उठावे के चाही| वी.पी. मेनन राजा हरी सिंह के सलाह देले कि उहाँ के जल्दी से जल्दी श्रीनगर छोड़ के जम्मू खातिर रावाना होखे के चाही| चुकी वी.पी. मेनन यह बात से वाकिफ रहन कि अगर गलती से राजा हरी सिंह हमलावरन के हाथे लाग जईहे त कश्मीर बचावल मुश्किल हो जाई| महाराजा त ओही घरी जम्मू खातिर रावाना हो गईले लेकिन वी.पी. मेनन हालात समझे खातिर ओहिजे रुक गईले|
कबाइली रातों रात श्रीनगर के घेर लेलस आ वी.पी. मेनन के ओहि घरी श्रीनगर छोड़े के मजबूर हो गईले| अब कश्मीर के बचावे के पूरा दारोमदार दिल्ली प टिकल रहे| दूसरा तरफ माउंटबेटेन एह बात प अडल रहन कि पाहिले राजा हरी सिंह हस्ताक्षर करस फिर कवनो मदद कईल जाई| 26 अक्टूबर 1947 के मीटिंग में जम्मू अउरी कश्मीर के प्रधानमंत्री मेहरचंद महाजन भी रहन| उहाँ के कहनाम रहे कि महराजा हर बात खातिर तईयार बाड़े| लेकिन जवन होखे उ जल्दी होखे के चाही|
एह बात प माउंटबेटेन के कहनाम रहे कि राजा सच में इक्छुक बाड़े त पाहिले उ ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ प पहिला हस्ताक्षर करस| एह नाजुक स्तिथि पर भी माउंटबेटेन फ़ौज भेजे के विरोध में रहन| इ जानत कि श्रीनगर प कबाइलीयन के कब्ज़ा कबो हो सकेला| फिर इनकर सन्देश लेके वी.पी. मेनन अउरी मेहरचंद महाजन राजा हरी सिंह से मिले खातिर जम्मू पहुचले| राजा हरी सिंह बहुत जल्दी ही हस्ताक्षर करके जम्मू कश्मीर के भारत मे विलय होखे के सन्देश दे दिहले| अब कश्मीर नियम के अनुसार भारत के हिस्सा बन गईल| अब कश्मीर के रक्षा भारत के जिम्मेदारी बन गईल|
फिर भी हरी सिंह के डर रहे कि अगर भारतीय फ़ौज ना आई त का होई| सांझी के राजा हरी सिंह कैप्टेन दीवान के बोला के कहले कि “अगर काल भोर तक भारतीय फ़ौज श्रीनगर में दिखाई ना दिही त नींद में हमरा के गोली मार दिहs”| अब बारी आइल कि फौजी करवाई होखे| लार्ड माउंटबेटेन के हुंकारी त मिल गईल तले एगो अउरी गंभीर समस्या खड़ा हो गईल| अंग्रेजी कमांडर श्रीनगर में फ़ौज भेजे के मना करे लगले काहे कि दुनो देश में कमांडर अंग्रेज ही रहन आ आपस में ना लड़ल चाहत रहन जा|
अंग्रेजी कमांडर पर्याप्त साधन ना होखे के बहाना बनावे लगले| तब सरदार बल्लभ भाई पटेल अउरी जवाहर लाल नेहरु कड़ा भईले जा| तब जवाहर लाल नेहरु एह बात के संकेत दिहले कि एकर मतलब इ होई कि जानबूझ के पूरा देश सांप्रदायिक झड़प के बढ़ावा देल| जवाहर लाल नेहरु कश्मीर में रहे वाला ब्रिटिश नगरिकन के जान के भी खतरा से अवगत करइले| तब एगो अउरी गलती लार्ड माउंट बेटेन इ कईले कि उ श्रीनगर में सेना भेजे के इज्जाजत त दे दिहले लेकिन ‘जनमत संग्रह’ के लकड़ा बीच में लगा दिहले|
फिर इतिहास उनका से एगो अउरी गंभीर प्रश्न करत बा कि जब सारा राज्यन के विलय दस्तावेज प हस्ताक्षर से भईल त ओहिजा जनमत संग्रह जईसन लकड़ा काहे लगावल गईल? तब जवाब इ मिली कि जूनागढ़ में भी इहे भईल रहे ओहिजा के राजा महाबत खान मुस्लिम रहन जबकी जनता ओहिजा बहुसंख्यक में हिन्दू रहे| एकदम समान्तर केस रहे| ओहिजा के राजा पकिस्तान में शामिल होखल चाहत रहन| लेकिन फिर भी जनमत संग्रह करवावल गईल रहे| इहे कारण बा कि नेहरु अउरी पटेल दुनो में से कोई भी एह फैसला के विरोध ना कईलस|
अगिला सुबह तुरंत बाद भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में कबाइलियन के सामना करने के खातिर विमान अउरी सड़क मार्ग से पहुंच गईल| भारतीय सेना के लगे सबसे बड चुनौती इ रहे कि ओकरा इहो ना पता रहे कि घाटी के एकमात्र हवाई अड्डा सुरक्षित बा कि ना बा| एह लड़ाई में शेख अब्दुल्ला अउरी नेशनल कांफ्रेंस के समर्थक लोग बहुत बड भूमिका निभवले रहे| इ लोग कन्धा से कन्धा मिलाके सेना के साथ दिहल लोग अउरी कश्मीरी लोग के भरोसा दिवईलस कि उ लोग अकेले नइखे| बौखलाइल जिन्ना जनरल ग्रेसी के आदेश देवे के कहले कि जल्दी के फ़ौज श्रीनगर भेज देस| जनरल ग्रेसी उनकर आदेश के पालन करे से मना कर दिहले|
उनकर कहनाम रहे कि उनका खबर बा कि कश्मीर अब भारत के हिस्सा हो चूकल बा| पाकिस्तानी फ़ौज भेजला के मतलब कि भारत के साथ खुला लड़ाई| चुकी अब तक त पकिस्तान इहे कहत आवत नु रहे कि उ कबाइली ह ओह में पाकिस्तान के कोई नइखे| लेकिन फ़ौज भेजला के मतलब पूरा दुनिया के सामने लड़ाई के आवाहन कईल| अंग्रेज कमांडर चाहत ही ना रहसन कि आपन लोग भेजे काहे कि भारत के तरफ भी अंग्रेज कमांडर ही रहन| आपन खून बहावल ना चाहत रहन जा| जब तक से जनरल ओकिन लेक से आदेश ना मिली तब ले ग्रेसी कुछ ना करिहे इ कहके जिन्ना के आदेश के पालन करे से मन कर दिहलस|
मूल रूप से जनरल ओकिन लेक भारत अउरी पाकिस्तान दुनो सेना के प्रमुख रहन| उ लार्ड माउंटबेटेन के निचे आवत रहन| बारामूला में कर्नल रंजीत राय के नेतृत्व में सिख बटालियन काफ़ी बहादुरी से लड़ल लेकिन बारामूला अउरी पट्टन शहरन के ना बचा पाईल| बारामूला में कर्नल राय शहीद हो गईलन बाद में उनका के महावीर चक्र से अलंकृत करल गईल| बारामूला में भारत के 109 जवान शहीद भईले अउरी साढे तीन सौ से ज्यादा घायल भईले| अंततः जिन्ना के जवाहर लाल नेहरु अउरी माउंटबेटेन के बात चित करे के निमंत्रण देवे के पड़ गईल|
बातचीत खातिर न्योता भेजले| माउंटबेटेन तुरंत नेहरु साथे आवे खातिर तईयार हो गईले| नेहरु भी तईयार रहन| लेकिन पटेल अइसन ना चाहत रहन| नेहरु अउरी माउंटबेटेन लगातार सरदार पटेल के मनावे लगले| नेहरु तईयार भी रहन लेकिन उनकर तबियत इज्जाजत ना देलस कि उ जास| एही बीचे जिन्ना के इ ब्यान आ गईल कि भारत कश्मीर के धोखा अउरी हिंसा के सहारे विलय कईले बा| इ बात फिर दोहरावल गईल जब जिन्ना अकेले लाहौर बातचीत करे खातिर गईले|
इ मीटिंग भारत अउरी पकिस्तान के बीचे पहिला मीटिंग मानल जाला| एह मीटिंग में जिन्ना मनले कि पहिला हमला पकिस्तान के तरफ से भईल रहल| एह से पाहिले कि एह मीटिंग के बात सामने आव, जवाहर लाल नेहरु रेडियो प आपन चर्चित भाषण दे दिहले जवना के आज भी इतिहास में बहुत बड भूल के रूप में देखल जाला| कई इतिहासकार के मानना इ रहल कि अगर उ भाषण ना दिहले रहते त शायद कश्मीर मामला ओहिजे सलट जाईत| उहाँ के ओह भाषण में कहनी कि जईसे कश्मीर में शान्ति व्यवस्था स्थापित हो जाता ओसही यूनाइटेड नेशन के देख रेख में जनमत संग्रह करवावल जाई|
एहिजे से भारत के मुश्किलन के दौर शुरू भईल| जईसन हिंसा भईल ओह हिसाब से ओहिजा निष्पक्ष जनमत संग्रह करवावल संभव ही ना रहे| इहाँ तक कि भारत-पकिस्तान के मुद्दा प अंतराष्ट्रीय राजनीती शुरू हो गईल| ब्रिटिश सुरक्षा परिषद इहाँ तक कि इ माने से मना करे लागल कि हमलावर के पकिस्तान के तरफ से कवनो समर्थन ही ना देवल गईल रहे जवना के जिन्ना लार्ड माउंटबेटेन के सामने पाहिले मान चुकल रहन| एह तरह से अंतराष्ट्रीय राजनीती में भारत पकिस्तान के एह युद्ध के परिणाम उलझ के रही गईल|
एह सीरीज के 20वां भाग अगिला अंक में…..
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