अध्याय – 2 “देश के भीतर मूलभूत एकीकरण -४”
आदिवासी लोगन के एकीकरण-‘ब’
एकरा पिछला अंक में हमनी के देखनी जा कि राष्ट्र निर्माण के समय देश के भीतरी कईसन कईसन एकीकरण भईल रहे| विधायिका अउरी कार्यपालिका के स्तर प बहुत सारा निर्णय लेवल जा चुकल रहे जवना से आदिवासी लोगन के हित के रक्षा कईल जा सको| केंद्र अउरी राज्य सरकार बहुत सारा विशेष प्रकार के सेवा के प्रावधान करे लागल रहे| आदिवासी लोगन खातिर रोजगार के नया रास्ता ढूढल गईल जवना से बेरोजगारी जईसन समस्या से दूर राखल जाव|
काहे कि इतिहास गवाह रहल बा कि बेरोजगारी आपन कतना विकराल रूप लेत रहल बा| एकरा खातिर ग्रामीण स्तर पर लघु उद्योग के भी प्रावधान कईल गईल| एह सब के बावजूद भी स्तिथि बहुत अच्छा ना कहल जाई| चुकी जतना भी सुविधा आ प्रावधान कईल गईल ओकर फायदा अभिजात वर्ग के ही लोग उठा पवलस| जमीनी स्तर प जवन आदिवासी लोग बाड़े उ आजो सरकारी सुविधा से वंचित रहल बाड़े|
एगो समस्या मूल रूप से इहो रहल बा कि आदिवासी लोगन के लेके राज्य सरकार आ केंद्र सरकार के बीच बढ़िया सामंजस्य नइखे रहल| लगभग सारा राज्य सरकार कानून आ निति के सुचारू रूप से लागू करे में असफल रहल बिया| अनुसूचित जाती आ अनुसूचित जनजाति के कमिश्नर अउरी प्लानिंग कमिश्नर के रिपोर्ट में एकर विकराल प्रतिबिम्ब लउकत रहल बा| इहाँ तक कि आदिवासी लोगन के हित के रक्षा खातिर ‘ट्राइबल एडवाइजरी कमिटी’ बनावल गईल रहे जवन वाचडॉग के रूप में काम करे| लेकिन सच्चाई इ बा कि इहो आज ढंग के काम करे में असफल रहल बा|
एकरा अलावां जे भी सहानुभूति वाला अधिकारी ओहिजा जात बा त साहूकार, फारेस्ट कांट्रेक्टर, व्यापरिन आ दबंग लोगन के दबाव से ओकर ट्रान्सफर करवा देवल जात बा| सबसे बड दिक्कत इ बा कि आदिवासी लोग आज भी न्याय से अछूता हो जात बा| एकरा पीछे कारन इ बा कि ना त ओह लोग के आपन सैवाधानिक अधिकार के ज्ञान बा आ नाही कानूनी न्याय के प्रक्रिया के| जटिल नियम कानून आदिवासी के मूल समस्या अउरी सरकारी निति के बीचे असमानता के रेखा हमेशा बनवले रहेला|
आदिवासी लोगन खातिर सब काम कईल गईल लेकिन कानून के बढ़िया से लागू ना भईल ना त बहुत सारा समस्या के समाधान हो सकत रहे| राष्ट्र के एकीकरण करत समय आदिवासी लोगन के हर हित के ख्याल रखके नियम बनावल गईल रहे| लेकिन दुर्दशा आजो उहे बा| पहचान खातिर आजो दर-दर ठोकर खाए के परत बा| नियम एकरो बा कि कोई भी बाहरी आदमी आदिवासी जमीन प कब्ज़ा नइखे कर सकत लेकिन नियम के ताख प रखी के लोग जमीन दखलिआवत बा| आदिवासी लोग के एह अधिकार के बारे में कवनो ज्ञान नइखे| एकरा परिणामस्वरूप आदिवासी लोगन के बीच आक्रोस आ नक्सलवाद जईसन चीज जन्म लेत रहल बिया|
अधाधुंन माइनिंग आ औद्योगीकरण एह लोगन के स्तिथि बद से बत्तर कर रहल बिया| फारेस्ट ऑफिसर, भ्रष्ट अधिकारी और नेता के तिकड़ी हमेशा एह लोग के अधिकार से वंचित रखत रहल बिया| एह से आदिवासी लोगन के जंगल-जमीन प पारंपरिक अधिकार में लगातार कटौती होत रहल बा| अंग्रेज आदिवासी लोगन के शोषण करे खातिर ‘फारेस्ट कानून’ बनवले रहन सन| एह कानून के मुताबिक आदिवासी लोग जंगल से उत्पादित सामान के ना ले सकत रहे अउरी जमीन प भी प्रतिरोधक कानून लागू रहीसन| कुछ सुधार करेके उ कानून आज भी जीवित बा| एह कानून के गलत इस्तेमाल करके फारेस्ट ऑफिसर आदिवासी लोगन के शोषण करेलन|
आजादी के समय जवाहर लाल नेहरु के टीम आदिवासी लोगन के एकीकरण करे खातिर बहुत सारा चीजन के ध्यान में रखल गईल रहे| चुकी एह बात से सभे अवगत रहे कि हमनी के देश एगो विविधता भरल देश ह| अगर देश के सचमुच विकास करे के बा त हर तबका, हर समाज, हर जाती, हर धर्म के साथे लेके चले के परी| सामूहिक सहमती अउरी विश्वास के माध्यम से देश के असल विकास हो सकेला| एह बात से भी सभे अवगत रहे कि देश के आजादी में आदिवासी लोगन के योगदान काफी सराहनीय रहल बा|
अइसना में ओह आदिवासी समाज के सही स्थान देल बहुत जरूरी रहे| एह खातिर तमाम तरह के सुविधा देल गईल जवना से इतिहास में एह लोग के साथे जवन अन्याय भईल रहे आ बहुत ज्यादा स्थान ना मिलल ओकर कुछ हद तक पूर्ति कईल जा सको| कुछ एक आदिवासी आन्दोलन के छोड़ देवल जाव जईसे विरसा मुंडा वेग्रह के त बाकी के आदिवासी जईसे भील, अंडमानीज, हो अउरी मानकडीया वेग्रह के बारे में बहुत कम जानकारी मिलेला|
अइसना में आदिवासी लोगन के एकीकरण करे खातिर ओह विश्वास अउरी संतोष प खरा उतरल बहुत जरूरी रहे| ओही विश्वास के जीते खातिर आजादी के बाद सब सब कईल गईल रहे| कानून में ओह लोग के विशेष प्रावधान के अलावां पंचायती राज अउरी सरकारी संस्थान में आरक्षण, उच्च शिक्षा में जगह अउरी नियमित अंतराल प चुनाव आदि पर भी ध्यान देल गईल| आजादी के तुरंत बाद जवन खाका बनल ओह में एह बात के प्रावधान कईल गईल कि आदिवासी लोगन के प्राथमिक शिक्षा ओही लोगन के स्थानीय भाषा में कईल जाई|
आज स्तिथि इ बा बहुत जगह आदिवासी लोगन के स्थानीय भाषा के नजरअंदाज करके एगो ख़ास तरह से भाषा आ संस्कृति के थोपे के कोशिश कईल जा रहल बा| एकर प्रमाण हम कुछ दिन पाहिले राज्य सभा टीवी के कार्यक्रम ‘मै भी भारत’ में देखले रही, जब राज्य सभा टीवी के पत्रकार श्याम सुंदर गुजरात के भील के आदिवासी के कवर करे गईल रहले| इहाँ तक ओहिजा के बंनबधु कल्याण आश्रम जईसन संस्था जवना के सरकार के तरफ से धनराशी प्राप्त होला ओहिजा के दिवारन महात्मा गाँधी के जगह प सावरकर अउरी गोलवलकर के जी फोटो लगावल जा रहल बा|
इ सब चीज एह बात के प्रदर्शित कर रहल बा कि हमनी के पूर्वज जवना के चीज के एक साथे मिलाके एकीकरण कईले रहले हमनी के दोबारा ओह चीज से तुर रहल बानी जा| आदिवासी इलाकान के विकास खातिर डेबर आयोग बनल लेकिन इनकर सुझाव के मुताबिक नियम कानून तक लागु ना हो पाइल| बहुत अइसन आदिवासी समाज बा जवना के कानूनन आदिवासी समाज के पहचान नइखे मिल पावल| यानी कि कानूनन उ लोग आदिवासी ना ह| मतलब इ कि जवन नियम-कानून अउरी सुविधा आदिवासी लोगन खातिर बनल बा ओकर फायदा उ समूह ना उठा पाई काहे कि ओह आदिवासी समूहन के पंजीकृत नइखे कईल गईल|
दोसरा भाषा में कही त बुकिंग केहू अउरी के नाम प भईल आ डिलीवरी केहू अउरी के, अइसना में कोई कईसे उम्मीद करी कि ओह लोग के विकास निरंतर हो रहल बा| आदिवासी लोगन के भीतर भी एगो अभिजात वर्ग बा जवन दिनों दिन अमीर से अमीर हो रहल बा अउरी जवन मूल आदिवासी बा उ गरीब से अउरी गरीब हो रहल बा| एह दुनो के बिच असमानता के रेखा बढ़त चलत जा रहल बा| एह असमानता के वजह से आदिवासी लोगन के गुस्सा सरकार अउरी सरकारी तंत्र प निकलेला|
आदिवासी गांवन में जब जब नया उभार आवेला तब तब एगो ख़ास ताकत आ समूह आदिवासी हितन के सवाल के सामाजिक टकराव में बदले के कोशिश करेला| एह समय प आदिवासी लोगन में एगो ठोस नेतृत्व के कमी खलेला जवन एह उभार के एगो व्यापक आन्दोलन में तब्दील करके आपन आधिकार के मांग कर सको| एह से जरूरत बा आज के समय में ओह समाज के अन्दर एगो बढ़िया नेतृत्व के जवन आदिवासी लोगन के आर्थिक, सामाजिक, सांकृतिक प्रगति के प्रोत्साहन कर सके|
एह सीरीज “स्वतंत्र भारत के झांकी” के दूसरा अध्याय ‘देश के भीतर मूल भूत एकीकरण’ के अगिला कड़ी में देखल जाई ‘राज्यन के भाषाई पहचान के एकीकरण’ के बारे में….
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