स्वतंत्र भारत के झांकी : भाग – 3

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अध्याय – 1 “देश निर्माण के चुनौती – ३”

त्रावनकोर

पिछला भाग में हमनी के देखनीजा कि कईसे अप्रत्यक्ष रूप से लार्ड माउंटबेटेन राजवाडनं के भारत में विलय करे खातिर कईसे भूमिका तईयार कईलन| जईसे राजा महाराजान के लागल कि ओह लोग के अब ब्रिटेन से कवनो मदद ना मिल पाई तब काफी सारा रियासत के राजा भारत में विलीनीकरण खातिर आपन हुकारी भर दिहले| लेकिन एह से भारत के एकता के बनाए वाला चुनौती अभी ख़त्म ना भईल रहे| काहे कि पाहिले त्रावनकोर फिर हैदराबाद आपन आजादी के तारीख के भी एलान कर चुकल रहे आ हैदराबाद के निजाम के तेवर अभी तक ले ना बदलल रहे|

एकरा अलावा भोपाल अउरी जोधपुर के नवाब के बगावती रुख पाकिस्तान दने उनका के खिचे लागल रहे| जैसलमेर के मिलावे खातिर जिन्ना ओहिजा के राजा के संपर्क करे लागल रहन| पश्चिम में जूनागढ़ अउरी जोधपुर भी आपन तेवर दिखावे लागल रहे| खासकर जोधपुर त उ रियासत रहे जवना के सीमा प्रस्तावित पाकिस्तान से मिलत भी रहे, एह से ओहिजा के माहौल अउरी गरम रहे|

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हालाँकि लार्ड माउंटबेटेन के लेजिस्लेटिव काउंसिल वाला भाषण के वजह से काफी सारा राजान के विलीनीकरण प्रक्रिया आसान हो गईल रहे| ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ प ओह लोग के साइन लेवल भी काफी आसान हो गईल रहे जेकर प्रतिनिधि संविधान सभा में हिस्सा लेवे शुरू कर देले रहन| लेकिन कुछ राज्य रहीसन जहाँ के राजा ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ प साइन ना कईल चाहत रहन| ओहिजे से बातचीत के श्रृंखला शुरू भईल| सारा राजा लोगन के बातचीत करे खातिर सन्देश भेजाइल| एह में सबसे पाहिले त्रावनकोर(फिलहाल में दक्षिण केरल) के तरफ से ना आवे के जवाब मिलल|

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आजादी के अनाउंसमेंट भईला के तुरंत बाद 3 जून के दक्षिण भारत में स्तिथ त्रावनकोर से सी.पी. रामास्वामी अईयर आजादी के एलान कर देले रहन| ओकरा कुछ ही दिन बाद माउंटबेटेन 20 जून के रामास्वामी अईयर के दिल्ली आवे खातिर संदेश भेजले| ओह दिन पूरा बातचीत वी.पी.मेनन के साथे भईल| मेनन सबसे पहिले उनका के भारत में जुडला से होखे वाला सारा फायदा गिनवईले| मूल रूप से ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ में मात्र तीन बात प सहमती लेवे के प्लान रहे डिफेंस, एक्सटर्नल अफेयर अउरी कम्युनिकेशन| एह तीनो विषय प उनकर सहमती लेवे के बारे में भी वी.पी. मेनन पुछले|

लेकिन त्रावनकोर के नवाब रामास्वामी अईयर के समस्या इ तीनो ना बल्कि फाइनेंसियल रहे जवना के जिक्र ऑफ़ ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ में ना रहे| उनकर चिंता संविधान सभा के ‘यूनियन कंसल्टेटिव कमिटी’ से रहे जवना के सम्बन्ध कस्टम अउरी आयात आ निर्यात के टैक्स से जुडल धन से रहे| उनकर कहनाम रहे कि अगर त्रावनकोर भारत में जुडी त आर्थिक रूप से बहुत नुक्सान पहुची काहे कि एह राज्य के इनकम के श्रोत भी इहे रहल बा| समुंद्री तट प होखला के चलते एही से सबसे ज्यादा आमदनी आवत रहल बा| मीटिंग के दौरान वी.पी. मेनन उनका के पूरा समझईले कि एह ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ से ओकर कवनो संबंध नईखे|

उनका से वी. पी. मेनन आग्रह कईले कि सोच समझ से फैसला लेस कवनो फैसला जल्दबाजी में ना लेस| उनका के 15 अगस्त के बाद होखे वाला संभावित डर के बारे में भी सूचित कईले कि डायरेक्ट एक्शन भी हो सकत बा| एह बात के भी आश्वासन दिवईले कि जवन भी गीला-सिकवा कांग्रेस से होखे ओकरा से चिंता करे के कवनो जरूरत नईखे काहे कि पूरा समिति एह बात के निर्णय ली कि जवन भी होखी उ राज्य के हित में होखे, ना सिर्फ त्रावनकोर बल्कि पूरा भारत के रियासत खातिर इ बात बा| मीटिंग के अंत में कवनो ख़ास निष्कर्ष ना निकलल| रामास्वामी अईयर एह प विचार करे के जवाब देके चल गईले|

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ओकरा ठीक अगिला दिन बातचीत लार्ड माउंटबेटेन के साथे भईल| हालाँकि माउंटबेटेंन काफी समझईले अउरी उनका से भारत में जुड़े खातिर सलाह देले| माउंटबेटेन उनका से कहले कि त्रावनकोर भारत एकीकरण में एगो बहुत बड भूमिका निभा सकत बा| पूरा देश एह कदम खातिर सराही अउरी ह्रदय से स्वागत भी करी| पहिले त खैर उ मना कर देले| बाद में इ कहले कि हम भारत में शामिल ना होखम लेकिन एह तीनो बात प हम समर्थन करत बानी| वी.पी. मेनन साफ़ साफ़ एह बात के कह देले कि एह बात प समर्थन तबे हो सकत बा जब कवनो राज्य एह प साइन करके भारत में विलय कर लेवे| वी.पी. मेनन भी आपन बात प अडल रहलन|

बाद में लार्ड माउंटबेटेंन जोरे भईल मीटिंग से सी.पी. रामास्वामी अईयर के एह बात के एहसास हो गईल कि ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ प साइन कईल अपरिहार्य हो गईल बा| हालाँकि त्रावनकोर के महराजा रामास्वामी अईयर के, त्रावनकोर के पूर्व महराजा के पुण्यतिथि मानावे खातिर जल्दी लौटे के रहे एह से ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ अउरी स्टैंडस्टील अग्रीमेंट के पेपर लेके वापस लौट अईले| लेकिन अईला के कुछ ही दिन बाद त्रावनकोर के महराजा ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेसन’ अउरी स्टैंडस्टील अग्रीमेंट प साइन करके माउंटबेटेन के टेलीग्राफ कर देले| ओकरा बाद सरदार पटेल त्रावनकोर कांग्रेस से अपील कईले कि डायरेक्ट एक्शन वाला प्लान ससपेंड कर देवल जाव|

ओकरा बाद वी.पी. मेनन, सरदार पटेल अउरी लार्ड माउंटबेटेंन के तिकड़ी त्रावनकोर मिशन में सफल होईला के बाद राजस्थान के जोधपुर अउरी जैसलमेर के राजनीती के तरफ रुख कईलेजा| इ राजनीती बहुत दिलचस्प एह कारण से भी रहे काहे कि इ सब इलाका पाकिस्तान के बॉर्डर के काफी करीब रहे| इहाँ तक कि जैसलमेर के कुछ हिस्सा पाकिस्तान के साथे सीमा भी साझा करत रहे| एह मिशन के खास बात इ रहे कि एह में एगो अउरी करैक्टर के आगमन हो गईल रहे जेकर नाम मोहम्मद अली जिन्ना रहे|

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मोहम्मद अली जिन्ना ओह राज्यन के पाकिस्तान में मिलावे खातिर अथक प्रयास कईले रहन| वी.पी. मेनन आपन किताब ‘द स्टोरी ऑफ़ द इंटीग्रेशन ऑफ़ द इंडियन स्टेट’ में लिखले बाड़े कि जिन्ना, जोधपुर के राजा हनवत सिंह के सदा पन्ना आ आपन फाउंटेन पेन तक थमा दिहले कि ल जवन मर्जी शर्त रखेकेबा रखs लेकिन पाकिस्तान में विलय करs| अइसना स्तिथि के जवाब में वी.पी. मेनन, सरदार पटेल अउरी लार्ड माउंटबेटेंन के तिकड़ी कईसे एह मिशन में सफलता पावल एह श्रृंखला के अगिला कड़ी में…..

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