अध्याय – 4 “लोकतांत्रिक क्रांति अउरी राजनितिक उथल-पुथल – 2”
जयप्रकाश नारायण आन्दोलन
अभी तक हमनी के पहिला अध्याय ‘राष्ट्र एकीकरण के चुनौती’ के बारे में देखनी जा| एह अध्याय में हमनी के एह बात से अवगत भईनी जा कि कईसे लार्ड माउंटबेटेंन, सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरु अउरी वी.पी. मेनन के टीम पाहिले त्रावनकोर ओकरा बाद जोधपुर, जैसलमेर, जूनागढ़, हैदराबाद अउरी कश्मीर के एकीकरण करे में सफल भईले जा| दूसरा अध्याय ‘देश के भीतर मूलभूत एकीकरण’ में हमनी के देखनीजा कि कईसे सबसे पहले प्रशासनिक एकीकरण भईल, ओकरा बाद आर्थिक एकीकरण, सामाजिक एकीकरण भईल| एकरा अलावां राज्यन के भाषाई एकीकरण अउरी क्षेत्रीयता के खिलाफ एकीकरण प भी चर्चा कईनी जा| ओकरा बाद तीसरा अध्याय ‘भारत के पडोसी देशन से युद्ध’ शुरू भईल जवन भारत के पडोसी देशन के साथे भईल सारा युद्ध भईल, ओकरा बारें में विस्तार से चर्चा भईल| पाहिले भारत-पाकिस्तान 1947 के बात भईल ओकरा बाद 1962 के भारत-चीन युद्ध, फिर पाकिस्तान के साथे भईल 1965, 1971 अउरी 1999 के कारगिल युद्ध के बात भईल| चउथा अध्याय ‘लोकतांत्रिक क्रांति अउरी राजनितिक उथल-पुथल” शुरू हो चुकल बा| एह अध्याय के दूसरा अंक….
“जात-पात तोड़ दी, तिलक-दहेज छोड़ दी।
समाज के प्रवाह के नवका दिशा में मोड़ दी।“
– जे.पी. नारायण
सबसे पाहिले प्रतिरोध के स्वर गुजरात से उठल रहे| ओहिजा छात्र लोग हिंसक आन्दोलन ‘नवनिर्माण आन्दोलन’ कईलस अउरी एह में विपक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभवलस| 1974 में अराजकता जईसन स्थिति उत्पन्न हो गइल रहे| आगजनी अउरी लूट के घटना सरेआम होखे लागल रहे| कबो-कबो पुलिस के विवशता में लाठी चार्जो करे के पर जात रहे| आंदोलनकारी लोग गुजरात विधानसभा के ज़बरन त्यागपत्र देवे खातिर विवश क देले रहे| गुजरात के हालात बद से बदतर होखल चलल चल जात रहे| अइसना में मोरारजी देसाई आमरण अनशन शुरू कर देले रहन| श्रीमती गाँधी राज्य सरकार के बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लगवा देले रही| बिहार में भी एकर प्रभाव आ प्रतिबिम्ब देखे के मिलल| मार्च, 1974 में छात्र लोग ने बिहार विधानसभा के घेराव कईलस| छात्र आंदोलन के कुचले खातिर पुलिस बल लाठी आ गोली के भी बेझिझक प्रयोग कईलस| एह आंदोलन में विपक्षी दल के छात्र लोगन के साथ मिले शुरू हो गईल| अइसना स्थिति में हिंसक आंदोलन आरंभ हो गईल अउरी एक हप्ता के भीतरे दू दर्जन से अधिक लोग आपन ज़िंदगी गवां देलस| राजनीति से सन्यास ले चुकले लोकनायक जे.पी. दोबारा सक्रिय हो गईले अउरी उहाँ के आंदोलन के कमान संभाल लेनी|
देश में आजादी के बाद से लेके 1977 तक ज्यादातर आन्दोलन के मशाल थामे वाला नेता, जयप्रकाश जी के नाम देश में एगो अईसन व्यक्तित्व के रूप में उभरेला, जवना में उहाँ के विचार आ दर्शन के प्रतिबिम्ब लउकेला| जयप्रकाश नारायण जी एही विचार आ दर्शन के सहारे भारत के दिशा तय करे के कोशिश कईले रहनी| 1975 के महत्वपूर्ण भाषण में उहाँ के कहले रही कि भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी के मिटावल आ शिक्षा क्षेत्र में क्रांति लावल अइसन चीज ह कि ओह घरी के कांग्रेस के सरकार वाली व्यवस्था के सहारे पूरा ना कईल जा सकत रहे| काहे कि उहाँ के मानना रहे कि उ सब वोही व्यवस्था के उपज रहे| उहाँ के मानना रहे कि इंदिरा गाँधी जी के सरकार पूरी तरह अलोकतांत्रिक आ भ्रष्ट हो चुकल रहे| एही से उहाँ के सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन करे खातिर क्रांति के आवाहन कईनी जवना के नाम रहे “सम्पूर्ण क्रांति”| एही सम्पूर्ण क्रांति के नारा रहे “सिंहासन खाली करी जनता आ रहल बिया”| जेपी जी सम्पूर्ण क्रांति के सफल बनावे खातिर एक साल तक कॉलेज अउरी विश्वविद्यालय बंद करे आवाहन कईले रहनी|
उहाँ के सम्पूर्ण क्रांति के वास्तविक अर्थ रहे राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। उहाँ के एह सातों क्रांतियों के मिलाके सम्पूर्ण क्रान्ति के कल्पना कईले रहनी| एह क्रांति के असर अतना बेजोड़ रहे कि केंद्र में कांग्रेस के सत्ता से हाथ धोवे के पड़ गईल रहे| जयप्रकाश जी के हुंकार प नौजवान लईकन के जत्था सड़क प निकल आवत रहे| बिहार के धरती से उठल चिंगारी पूरा देश में प्रभावशाली तरह से देश में फ़ैल चुकल रहे| आज के बिहार के सियासत के नेता लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान या फिर सुशील मोदी, सब लोग ओही छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के हिस्सा रहे| पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में उपस्थित लाखों लोग जात-पात, तिलक, दहेज अउरी भेद-भाव के छोड़े के संकल्प लेले रहे| ओही मैदान में हजारों-हजार लोग आपन जनेऊ तुर के विरोध प्रदर्शन कईले रहे| ओह घरी चर्चित नारा रहल रहे|
“जात-पात तोड़ दी, तिलक-दहेज छोड़ दी।
समाज के प्रवाह के नवका दिशा में मोड़ दी।“
आपातकाल लागू हो गईल रहे| तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी पिछला रात से सुबह तीन बजे तक तईयार कईल गईल भाषण जनता के कान तक पंहुचा चुकल रही| लोकतंत्र के करिया दौर शुरू हो चुकल रहे| लोकतंत्र के चउथा स्तंभ अखबार, रेडियो अउरी टी.वी. प सेंसर लगा देवल गईल रहे| सरकार के विरुद्ध कुछ भी प्रकाशित ना कईल जा सकत रहे| मौलिक अधिकार लगभग समाप्त कर देवल गईल रहे| मीसा (मेंटेनेंस ऑफ़ इंटरनल सिक्यूरिटी एक्ट) और डीआईआर (डिफेन्स ऑफ़ इंडिया एक्ट) के तहत देश में एक लाख से ज्यादा लोगन के जेल में ठूंसाए लागल रहन| आपातकाल के खिलाफ आंदोलन के नायक जय प्रकाश नारायण के किडनी कैद के दौरान खराब हो गईल रहे| देश के जतना भी बड़ नेता लोग रहन, सब के सब जेल में डला गईल रहन| एक तरह से जेल राजनीतिक पाठशाला बन चुकल रहे| बड़ नेता लोगन के साथ जेल में युवा नेता लोगन के बहुत कुछ सीखे आ समझे के मौका मिलल|
लालू-नीतीश अउरी सुशील मोदी जईसन बिहार के नेता लोग एही पाठशाला में आपन सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक पढ़ाई कईले रहले जा| एक दने राजनीती के नवहा नेता राजनीति सीखत रहे उहे दूसरा दने संजय गांधी आपन दोस्त बंसीलाल, विद्याचरण शुक्ल अउरी ओम मेहता के तिकड़ी के जरिए तानाशाही बनावे के कोशिश में रहले| संजय गांधी वीसी शुक्ला के नया सूचना प्रसारण मंत्री बनवईले जे मीडिया प सरकार के इजाजत के बिना कुछ भी लिखे-बोले प पाबंदी लगा देले रहे| जे भी इनकार करत रहे ओकरा के जेल में डाल देवल जात रहे| एक तरह देश के जनता प जुलम होत रहे ओहिजे दूसरा तरफ संजय गाँधी देश के आगे बढ़ावे के नाम प पांच सूत्रीय एजेंडे प काम करना शुरू कर देले रहन| पहिला परिवार नियोजन, दूसरा दहेज प्रथा के खात्मा, तीसरा वयस्क शिक्षा, चउथा पेड़ लगावे आ पांचवा जाति प्रथा उन्मूलन| अनुशासनहीनता से परिपूर्ण श्री संजय गाँधी सिर्फ अपना मन के मालिक रहन| इतिहास में एह बात प चर्चा बा कि सुंदरीकरण के नाम प संजय गांधी एके दिन में दिल्ली के तुर्कमान गेट ले झुग्गिन के साफ करवा देले रहन|
जनता के शोषण अउरी तानाशाही के एह दौर में “पांच सूत्रीय कार्यक्रम” में सबसे ज्यादा जोर परिवार नियोजन प रहे| लोगन के जबरदस्ती नसबंदी करवावल गईल रहे| लगभग 19 महिना के दौरान देश भर में करीब अस्सी लाख से ज्यादा लोगन के जबरदस्ती नसबंदी करा देवल गईल रहे| पुलिस बल के समूह गांव के गांव घेर लेत रहे अउरी पुरुष लोगन के पकड़के नसबंदी करा देवल जात रहे| देश के जनता, मीडिया अउरी नेता लोगन के अलावां बॉलीवुड भी एह शोषण से अछूता ना रहे| विद्या चरण शुक्ला के सूचना प्रसारण मंत्री दुगो कारन से बनावल गईल रहे| पहिला मीडिया, कवि अउरी कलाकार लोगन के मुंह बंद करवावे खातिर अउरी दूसरा एह लोगन से सरकार के जबरन प्रशंसा करवावे खातिर| इहाँ के ज्यादातर फिल्मकारन के सरकार के प्रशंसा में गीत लिखे-गावे प मजबूर कईनी, ज्यादातर लोग झुक गईले, लेकिन किशोर कुमार जईसन कुछ लोग आदेश ना मनले| एकरा एवज में उहाँ के गाना रेडियो प बाजे बंद हो गईल| उनका घर प आयकर के छापा परवा के परेशान कईल जाए लागल| अमृत नाहटा के फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ के सरकार विरोधी मानके ओकर सारा प्रिंट जला देवल गईल रहे|
तब शुरू भईल भारतीय राजनीती के एगो नया दौर| मुखालफत के स्वर धीरे धीरे गहिराह होत चलल चल जात रहे| एकर फ्रंट चेहरा जयप्रकाश नारायण जी रही| जयप्रकाश नारायण जी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी अउरी राजनेता रही| मूल रूप से इहाँ के इंदिरा गाँधी के विरोध में विपक्ष के नेतृत्व खातिर जानल जाला| इहाँ के एगो समाज सेवक भी रही आ इहाँ के लोकनायक के रूप में भी काफी मशहूर बानी| जयप्रकाश नारायण के लक्ष्य ना सिर्फ आम जनता के राजनितिक भागीदारी रहे बल्कि गरीबी अउरी बेरोजगारी पर भी उहाँ के विचार अउरी सिधांत सराहनीय रहल बा| उहाँ के हमेशा शोषणविहीन अउरी खुशहाल समाज के कल्पना कईले रहनी| जयप्रकाश नारायण जी के आन्दोलन भारतीय राजनीती के एगो शानदार मोड़ रहे जहाँ से जनता पार्टी बनल फिर टूटल अउरी टूटला के बाद नया नया बहूत सारा पार्टीन के उदय भईल|
आपातकाल के जरिए इंदिरा गांधी जवना विरोध के शांत करवावल चाहत रही उहे 19 महीना में देश का बेड़ागर्क कर देले रहे| संजय गांधी अउरी इंनकर तिकड़ी (बंसीलाल, विद्याचरण शुक्ल अउरी ओम मेहता) से, सुरक्षा बल अउरी नौकरशाह सब लोग निरंकुश हो चुकल रहे| एकबे इंदिरा गांधी कहले रही कि आपातकाल लगला के बाद विरोध में कुकुरो ना भोकत रहे| लेकिन 19 महीना में उहाँ के आपन गलती अउरी लोगन के गुस्सान के एहसास हो गईल रहे| 18 जनवरी 1977 के इहाँ के अचानक ही मार्च में लोकसभा चुनाव करवावे के ऐलान कर देनी| 16 मार्च के भईल चुनाव में इंदिरा अउरी संजय गाँधी दुनो लोग हार गईले| 21 मार्च के आपातकाल खत्म हो गईल लेकिन अपने पीछे लोकतंत्र के सबसे बड़ सबक छोड़ गईल| तब हिंदुस्तान के आवाम पहिला बेरी गैर कांग्रेसी सरकार बनावे के जनादेश देलस| एह प चर्चा अगिला अंक में….
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