स्वतंत्र भारत के झांकी : भाग – 30

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अध्याय – 4 “लोकतांत्रिक क्रांति अउरी राजनितिक उथल-पुथल  – 6

लिठ्ठे के उदय अउरी राजीव गाँधी के हत्या

भूमिका…

अभी तक हमनी के पहिला अध्याय ‘राष्ट्र एकीकरण के चुनौती’ के बारे में देखनी जा| एह अध्याय में हमनी के एह बात से अवगत भईनी जा कि कईसे लार्ड माउंटबेटेंन, सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरु अउरी वी.पी. मेनन के टीम पाहिले त्रावनकोर ओकरा बाद जोधपुर, जैसलमेर, जूनागढ़, हैदराबाद अउरी कश्मीर के एकीकरण करे में सफल भईले जा| दूसरा अध्याय ‘देश के भीतर मूलभूत एकीकरण’ में हमनी के देखनीजा कि कईसे सबसे पहले प्रशासनिक एकीकरण भईल, ओकरा बाद आर्थिक एकीकरण, सामाजिक एकीकरण भईल| एकरा अलावां राज्यन के भाषाई एकीकरण अउरी क्षेत्रीयता के खिलाफ एकीकरण प भी चर्चा कईनी जा| ओकरा बाद तीसरा अध्याय ‘भारत के पडोसी देशन से युद्ध’ शुरू भईल जवन भारत के पडोसी देशन के साथे भईल सारा युद्ध भईल, ओकरा बारें में विस्तार से चर्चा भईल| पहिले भारत-पाकिस्तान 1947 के बात भईल ओकरा बाद 1962 के भारत-चीन युद्ध, फिर पाकिस्तान के साथे भईल 1965, 1971 अउरी 1999 के कारगिल युद्ध के बात भईल| चउथा अध्याय ‘लोकतांत्रिक क्रांति अउरी राजनितिक उथल-पुथल” शुरू हो चुकल बा| एह अध्याय के पहिला अंक में आपातकाल के शुरुआत के बारे में चर्चा भईल| ओकरा बाद दूसरा अंक में जयप्रकाश नारायण आन्दोलन के बारे में बृहत रूप से चर्चा भईल| ओकर अगिला तीसरा अंक में जनता पार्टी के विघटन अउरी कांग्रेस के वापसी के बारे में चर्चा हो चुकल बा| एही अध्याय के अगिला अंक में लिट्टे के उदय अउरी राजीव गाँधी के कईसे हत्या भईल एकरा बारे में चर्चा होई…..

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श्रीलंकाई सरकार के गलत नीति अउरी पक्षपातपूर्ण रवैया के चलते श्रीलंका में रहत तमिल लोगन में गहिराह असंतोष पैदा हो गईल रहे| जवन तमिल पार्टी 1973 तक राष्ट्र विभाजन के खिलाफ रहे, उ सब भी अब अगल राष्ट्र के मांग करे लागल रहे| सरकार के भेदभाव वाला नितियन से जहाँ सिंहला समुदाय के मुनाफा होत रहे ओहिजे तमिल समुदाय के नुकसान होत रहे| शिक्षा से लेके रोजगार, धर्म, संस्कृति, वाणिज्य अउरी व्यवसाय हर जगह तमिल समुदाय के साथ होखत भेदभाव दुनो समुदाय के बीच गहिराह अंतर अउरी असंतोष पैदा कईलस| तमिल लोगन के अधिकार धीरे-धीरे नरम पड़े लागल रहे| सत्तर से दशक में अइसन हालात हो गईल रहे कि विश्विद्यालय आदि में दाखिला अउरी रोजगार पावल मुश्किल बहुत मुश्किल हो गईल रहे| अइसना में मुखालफत कवनो नया बात ना रहे| नौजवानन के विद्रोह आपन दस्तक देवे लागल रहे| लेकिन तमिल लोगन के प्रतिरोध के स्वर कब-कब में हिंसात्मक रूप में तब्दील हो गईल पता ही ना चलल|

इ लड़ाई मुख्य रूप से लिट्टे अउरी श्रीलंकन सरकार के बीच रहे| तमिल लोगन के साथ होखत भेदभाव से परेशान तमिल संगठन लिट्टे स्वतंत्र स्टेट के मांग करत रहे| श्रीलंका में चलत इ लड़ाई बौध लोगन के एगो दोसर चेहरा रहे| हिन्दू बनम बुद्धिस्ट के भी डिस्कोर्स तईयार भईल रहे| एहिजा हिन्दू अल्पसंख्यक में अउरी बौध बहुसंख्यक में रहे| तमिल लोग उत्तर भाग में रहत रहेलोग जबकी बुद्धिस्ट लोग केंद्र अउरी दक्षिण में रहत रहे| तमिल लोग तमिल भाषा बोलत रहे अउरी बौध लोग सिंहली| इहे मूल अंतर दुनो समुदाय में रहे जवन कहीं कहीं अलगाव के बिंदु बनल रहे| अइसन ना रहे कि एकर शुरुआत सिर्फ आजादी के बाद के देंन ह| अगर आगे जाके जर के खोजे के प्रयास करल जाव त पाईम जा कि अंग्रेजन के निति कहीं न कहीं असंतोष के बिया बहुत पहिले बो देले रहे| जवना घरी गृहयुद्ध भईल उ ओकर प्रतिफल रहे| अंग्रेजन के जमाना में तमिल लोगन के उच्च पदन प बईठावल गईल रहे| शिक्षा से लेके सरकारी ऑफिस तक हर जगह तमिल के परेफरेंस ज्यादा मिलत रहे| श्रीलंका के पहिले सीलोन कहल जात रहे| सीलोन के 1948 में आजादी मिलल लेकिन 1972 तक ब्रिटिश डोमिनियन के तहत सरकार चलल|

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ब्रिटिश डोमिनियन के मतलब पूर्ण आजादी ना होला| विदेश निति अउरी इंटरनेशनल डिप्लोमेसी ब्रिटिश क्राउन के भीतर ही आवेला| लेकिन ओकरा बाद जईसे श्रीलंका गणराज्य बनल आपसी अंतर बढे शुरू हो गईल| अंग्रेजन के जमाना में जवन भेदभाव कईल गईल रहे ओकरा के बदले के प्रयास शुरू हो गईल अउरी तमिल लोगन के खिलाफ नफरत पैदा होखे शुरू कर देवल गईल| इहे एह संघर्ष के मुख्य कारण बनल| एकरा खातिर कुछ अइसन कदम उठावल गईल जवना से तमिल समुदाय पूरा तरह से भड़क गईल| पहिला रहे “सिंहला केवल” अधिनियम एह कानून के अनुसार देश के राष्ट्रभाषा सिंहला तय भईल| एकरा से गैर-सिंहलियन खासकर तमिल लोगन के रोजगार मिलल लगभग असंभव हो गईल| जे पहिले से नौकरी में रहे, ओकरा के नौकरी से निकालल जाए लागल रहे| प्रधानमंत्री एसडब्ल्यूआरडी भंडारनायके द्वारा एह कानून के लावल गईल रहे| दूसरा रहे “शिक्षा के कथित मानकीकरण”, एह कानून के अंतर्गत, विश्वविद्यालयन में तमिल लोगन के प्रवेश असंभव हो गईल| नौकरियन में गैर-सिंहलियन खातिर कवनो काम ना बच गईल रहे|

एकरा अलावां तीसरा मुख्य कारण रहे कि तमिल लोगन के भारतीय तमिल के नाम प नागरिकता ख़ारिज करे के कोशिश कईल गईल रहे| औपनिवेशिक काल में चाय के बगानन में काम करे खातिर श्रमिकन के भारत से श्रीलंका लावल गईल रहे| कहल जाला कि घाव कतनो गहरा होखे, समय के साथे भर जाला, लेकिन तमिलन के साथ अइसन ना भईल| जवन तमिल लोग देश के प्रगति में भागीदारी कईले रहे, ओह तमिल लोगन के बहुसंख्यक सिंहला समुदाय आपन माने खातिर तैयार ही ना भईल| एही कारण तमिल लोगन के पीढ़ी-दर-पीढ़ी निर्धनता के जीवन जीने के लिए विवश होखे के परल| ठीक एही सिधांत प आज म्यांमार में बुद्धिस्ट लोग बा| जईसे श्रीलंका के बुद्धिस्ट भारत के तमिल के आपन ना माने प तईयार होत रहे ओसही आज म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम के आपन ना माने खातिर तईयार बा| हिंसात्मक बल से उहे हाल रोहिंग्या के करत बा जवन तमिल के करत रहे| इहाँ तक कि 1962 में भारत अउरी श्रीलंका के बीच एगो संधि भईल रहे जवना अंतर्गत अगिला पनरह वर्षंन में छव लाख तमिल लोगन के भारत भेजे जाए के रहे अउरी लगभग चार लाख तमिल लोगन के श्रीलंका के तरफ से नागरिकता देवे के रहे|

लेकिन तमिल लोग श्रीलंका से भारत लौटे प तईयार ना भईल|| बिना नागरिकता, बिना अधिकार के साथे उ लोग श्रीलंका में ही संघर्ष जारी रखलस| एह सब बातन के प्रभाव इहे पड़ल कि तमिल नौजवान संगठन बनाके हिंसात्मक रूप से विद्रोह कईलस| बहुत सारा आर्म्ड समूह बनल ओही में से एगो लिट्टे नाम के संगठन बनल| लिठ्ठे प्रभावी एह से साबित भईल काहे कि सबसे पहिले तमिल समूह अन्दर बनल बहुत सारा समूहन से निपट के आपन बर्चस्व देखइलस| एकर नेता प्रभाकरन रहे| लिट्टे के खासियत इ रहे कि एगो अनुशासित आर्म्ड रेबेल्लियन में गिनल जात रहे जवना में बच्चा से लेके औरत तक शामिल रहीसन| हिंसा के कुछ घटना के रिएक्शन बहुत ही ज्यादा खतरनाक रहल बा| ‘काला जुलाई’ नाम से मशहूर घटना जवना में 23 जुलाई, 1983 के एलटीटीई के एगो हमला में श्रीलंकाई सेना के तेरह गो सैनिक मारल गईले| एह घटना के बाद भड़कल हिंसा में कम से कम एक हजार से ज्यादा तमिल मार देवल गईले अउरी कम से कम दस हजार तमिल घरन के आग के हवाले कर देवल गईल| इ नरसंहार दुनियाभर के तमिलन के हिला देलस| भारत में भी एकर प्रभाव लउकल| श्रीलंका में हजारन तमिल युवक सशस्त्र विद्रोह के रास्ता अख्तियार कर लेले रहे|

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एह घटना में भारत के भी हित छिपल रहे| भारत कई कारनन के चलते श्रीलंकाई संघर्ष में हस्तक्षेप कईले रहे| एकरा में क्षेत्रीय शक्ति के रूप में अपना के प्रदर्शित कईल अउरी तमिलनाडु में स्वतंत्रता के मांग के दबावल शामिल रहे| चूंकि तमिलनाडु के लोग सांस्कृतिक कारनन के चलते श्रीलंकाई तमिल लोगन के हित के पक्षधर रहे| एह से भारत सरकार के भी संघर्ष के दौरान श्रीलंकाई तमिलन के सहायता खातिर आगे आवे के परल रहे| श्रीलंका में तमिल के समर्थन करे के खातिर भारत के उपस्तिथि प्रत्यक्ष अउरी अप्रत्यक्ष रूप से लउके शुरू हो गईल रहे| 1983 से 1987 तक भारत मदद कईले रहे| भारत के खुफिया एजेंसी रॉ के उपस्तिथि अउरी लिठ्ठे समूह के आर्थिक मदद, प्रशिक्षण में मदद अउरी हथियार मुहैया करा के मदद कईले रहे| 5 जून, 1987 के के जब श्रीलंका सरकार दावा कईलस कि उ जाफ़ना प अधिकार करे लेले बिया, ओही घरी भारत पैराशूट के द्वारा जाफ़ना में राहत सामग्री गिरवलस| भारत के एह सहायता के लिट्टे के प्रत्यक्ष सहायता भी मानल गईल बा|

एकरा बाद 21 जुलाई, 1987 के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी अउरी तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति जयवर्द्धने के बीच एगो समझौता प हस्ताक्षर भईल| एह समझौता के ‘पीस एकॉर्ड’ के नाम से जानल गईल| एह समझौता के अंतर्गत श्रीलंका में तमिल भाषा के आधिकारिक दर्जा देवल गईल| साथ ही, तमिल लोगन के बाकी के अन्य मांग भी मान लेवल गईल| भारतीय शांति रक्षक बल के श्रीलंका में उतारल गईल जवना के सामने विद्रोहियन के हथियार डाले के पर गईल| भारतीय बल के सामने ज्यादातर विद्रोही गुट आपन हथियार डाल देले रहे लेकिन लिठ्ठे तईयार ना भईल| भारत के शांति रक्षक सेना (IPKF) लिट्टे के तुरे के पूरा प्रयास कईलस| तीन साल तक युद्ध चलल| एह समय शांति रक्षक बल प मानवाधिकार उल्लंघन के भी आरोप लागल| दूसरा तरफ सिंहली समूह भी देश में भारतीय सैनिक के उपस्तिथि के विरोध करे शुरू कर देले रहे| एकरा बाद श्रीलंकन सरकार, भारत सरकार से बल के वापस बोला लेवे के गुजारिश कईलस| लेकिन राजीव गाँधी वापस बोलावे के मूड में ना रहन अउरी माना कर देले|

1989 के संसदीय चुनाव में राजीव गाँधी के हार के बाद भारत के नयका प्रधानमंत्री विश्वनाथप्रताप सिंह श्रीलंका से शांति रक्षक बल के हटावे के आदेश दे देले| भारत के बहुत भारी नुकसान भईल रहे| लिट्टे अउरी भारतीय सेना के बीच तीन साल तक चलल युद्ध में भारत के बहुत कुछ खोवे के परल रहे| लगभग 1200 से ज्यादा भारतीय सैनिक मराइल रहे| हालाँकि मूल रूप से समझौता तमिल समूह अउरी श्रीलंकन सरकार के बीच होखे के चाहत रहे लेकिन भईल भारत सरकार अउरी श्रीलंकन सरकार के बीच, जवन कि थोडा अजीब रहे| भारत के सिर्फ मध्यस्तता कईल चाहत रहे| अगर भईल भी रहे त कम से कम लिट्टे के पक्ष के विश्वास में जरूर लेवल चाहत रहे| इहे कारन रहे कि लिट्टे समझौता प तईयार ना रहे| दूसरा कारन रहे कि प्रभाकरन सिर्फ इलम यानी कि आजादी के मांग करत रहे| जबकी पीस एकॉर्ड के तहत तमिल के अधिकार देवे के बात रहे लेकिन आजाद करे के बात ना रहे| ओकरा पहिले प्रभाकरन भारत आके चेन्नई में प्रेस कांफ्रेंस में एह बात के कह चुकल रहे कि आजादी के अलावां अउरी कवनो लॉन्ग टर्म हल तमिल लोगन खातिर नइखे|

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भारत के पक्ष बंटवारा ना रहे लेकिन प्रभाकरन के मन सिर्फ बंटवारा रहे| इहे कारण रहे कि भारत के खुद ओकरा जोरे लड़ाई करे के पर गईल जवना के पलले-पोसले रहे| हालाँकि भारत के सैनिकन के ओहिजा के ना त लोकल सपोर्ट रहे अउरी नाही श्रीलंकन सरकार के, अइसना में आन्हे प ढेला फेकला लेखा स्तिथि हो गईल रहे| इहे कारण रहे कि 1200 से ज्यादा भारतीय सैनिक शहीद भईल रहे लोग| भारतीय बल कहीं न कहीं लिट्टे के क्षेत्र अउरी बल दुनो के बहुत सिमित कर देले रहे| भारतीय शांति रक्षक बल के देख-रेख में जाफना में चुनाव कईल गईल| एने भारत में 1991 में चुनाव के तईयार चालू रहे| लिट्टे के एह बात के डर रहे कि कहीं अइसन मत होखे कि राजीव गाँधी फिर से सत्ता में आ जास अउरी फिर से IPKF के श्रीलंका में उतार देस| एही डरे लिट्टे राजीव गाँधी के हत्या करे के योजना बनवलस| राजीव गाँधी के चेन्नई के नजदीक श्री पेरम्बदुर में निशाना बनावल गईल| राजीव गाँधी के रैली में आत्मघाती हमला के माध्यम से उहाँ के हत्या कर देवल गईल|

एकरा बाद भारत, श्रीलंकाई तमिल लोगन के सहायता बंद कर देलस| वर्ष 2008 में जब श्रीलंकाई सेना, लिट्टे के ठिकानन प अधिकार करे शुरू कईलस तब भारत के गठबंधन सरकार कहीं न कहीं प्रभावित जरूर भईल| तमिल नाडु के राजनीतिक दल केंद्र सरकार से श्रीलंकाई मामले में हस्तक्षेप करे के मांग कईलस| इ उहे समूह ह जवन राजीव गाँधी के समय श्रीलंका से सेना हटावे खातिर भी बहुत हल्ला मचईले रहे| अइसन ना करे के एवज में मुख्य सहयोगी दल डीएमके सरकार से हटे के भी धमकी दे देले रहे| केंद्र सरकार प दबाव बनावे खातिर तमिल नाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि अपना सांसदन से इस्तीफा तक ले लेले रहन| तमिल लोगन के मुद्दा प तमिल नाडु के तमाम पार्टी एकसाथे नजर आइल रहे| अउरी श्रीलंका में तुरंत युद्धविराम के मांग कईले रहे| बरियार दबाव के बीच विदेशमंत्री प्रणव मुखर्जी श्रीलंका गईले| श्रीलंका के राष्ट्रपति उहाँ से तमिल लोगन के सुरक्षा के आश्वासन देले| बाद में युद्ध विराम भी घोषित हो गईल|

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