स्वतंत्र भारत के झांकी: भाग – 29

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अध्याय – 4 “लोकतांत्रिक क्रांति अउरी राजनितिक उथल-पुथल – 5
जनता पार्टी के विघटन अउरी कांग्रेस के वापसी – ‘ब’

अभी तक हमनी के पहिला अध्याय ‘राष्ट्र एकीकरण के चुनौती’ के बारे में देखनी जा| एह अध्याय में हमनी के एह बात से अवगत भईनी जा कि कईसे लार्ड माउंटबेटेंन, सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरु अउरी वी.पी. मेनन के टीम पाहिले त्रावनकोर ओकरा बाद जोधपुर, जैसलमेर, जूनागढ़, हैदराबाद अउरी कश्मीर के एकीकरण करे में सफल भईले जा| दूसरा अध्याय ‘देश के भीतर मूलभूत एकीकरण’ में हमनी के देखनीजा कि कईसे सबसे पहले प्रशासनिक एकीकरण भईल, ओकरा बाद आर्थिक एकीकरण, सामाजिक एकीकरण भईल| एकरा अलावां राज्यन के भाषाई एकीकरण अउरी क्षेत्रीयता के खिलाफ एकीकरण प भी चर्चा कईनी जा| ओकरा बाद तीसरा अध्याय ‘भारत के पडोसी देशन से युद्ध’ शुरू भईल जवन भारत के पडोसी देशन के साथे भईल सारा युद्ध भईल, ओकरा बारें में विस्तार से चर्चा भईल| पाहिले भारत-पाकिस्तान 1947 के बात भईल ओकरा बाद 1962 के भारत-चीन युद्ध, फिर पाकिस्तान के साथे भईल 1965, 1971 अउरी 1999 के कारगिल युद्ध के बात भईल| चउथा अध्याय ‘लोकतांत्रिक क्रांति अउरी राजनितिक उथल-पुथल” शुरू हो चुकल बा| एह अध्याय के तीसरा अंक….

हमनी के एह अध्याय के पहिला अंक में आपातकाल के बारे में चर्चा कईनी जा| ओकरा बाद दूसरा अंक में जयप्रकाश आन्दोलन के बात भईल| तीसरा अंक में आन्दोलन के प्रतिफल के बारे में बात भईल| चउथा अंक में जनता पार्टी के विघटन अउरी कांग्रेस के वापसी के बारे में कुछ बात भईल रहे आ कुछ बाकी रह गईल रहे जवन एह अंक में पूरा होई| पिछला अध्याय में हमनी के देखनी जा कि कईसे फ़िल्मी अंदाज में श्रीमती गाँधी से आपातकाल के हिसाब मंगाए लागल रहे| एकर सार इहे रहे कि आपातकाल खातिर अगर कोई जिम्मेदार बा त सिर्फ इंदिरा गाँधी बाड़ी| कईसे जनता पार्टी के गिरफ़्तारी के दाव उल्टा पड़ गईल| एकरा परिणाम इ भईल कि इंदिरा गाँधी के मीडिया से लेके जनता तक सहानुभूति मिलल| एगो अइसन सन्देश लेके बहरी आइल कि जनता पार्टी के जवना खातिर लोग वोट कईले रहे उ छोड़ के जनता पार्टी सब कर रहल बिया| ‘बेलछी’ अउरी ‘बिहारशरीफ’ के यात्रा इंदिरा गाँधी के राजनितिक दंगल में जान फुक देलस| इंदिरा गाँधी पार्टी के बहरी अउरी भीतरी दुनो तरफ बहादुरी से लड़ी के पार्टी के पुनर्जीवित करे के प्रयास में रही| एही सन्दर्भ में आगे के बात एह अंक में होई|

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आखिरकार इंदिरा गाँधी के आयोग के सामने पेश जरूर होखे के परल लेकिन इंदिरा गाँधी बयान देवे से इनकार कर देली| इंदिरा गाँधी के जवाब के बाद सुनवाई अगिला दिन खातिर स्थगित हो गईल| इंदिरा गाँधी के वकील फ्रैंक एंथनी, जस्टिस शाह के सामने आपन बात रखते रहन कि जस्टिस शाह फिर से इंदिरा गाँधी के बोला के जवाब खातिर निहोरा कईले| लेकिन श्रीमती इंदिरा गाँधी एकबार फिर मना कर देली| एकरा पीछे इंदिरा गाँधी के बिंदु इ रहे कि आयोग के सामने बात राखला के मतलब कि उहाँ के प्रधानमंत्री बने के समय जवन गोपनीयता के शपथ लेले रही ओकर उल्लंघन कईल| जवना के पक्ष में श्रीमती गाँधी ना रही| एही चलते बार-बार श्रीमती इंदिरा गाँधी जस्टिस शाह समिति के सामने बयान देवे से हिचकिचात रही| दूसरा बिंदु इ रहे कि सैवाधानिक तौर प उहाँ कवनो प्रकार के जवाब देवे के खातिर बाध्य नइखी| जस्टिस शाह कमीशन के सचिव के निर्देश देले कि सवाल के जवाब देबे से इनकार करे के आधार प इंदिरा गाँधी के खिलाफ मजिस्ट्रेट के आदालत में शिकायत दर्ज कईल जाव| कुल मिला के बात इहे रहे कि जस्टिस शाह के हर सवाल के जवाब इंदिरा गाँधी उहे देस जवन तय करके आइल रही|

चुकी इंदिरा गाँधी इ बात समझ चुकल रही कि अगर मुंह खुले शुरू हो जाई त आपातकाल के बात धीरे धीरे सामने निकल के आवेलागी| इंदिरा गाँधी गते-गते पार्टी के पुनर्जीवित के प्रयास में लागल रही| एह से उ समय उनका हित खातिर तनिको ठीक ना रहे| इहे कारण रहे कि कानूनी लूपहोल खोजीके इंदिरा गाँधी टरकावत रही| एह में जस्टिस शाह भी कुछ कर ना सकत रहन काहे कि एकरा से अधिक उनका लगे अधिकार भी त ना नु रहे| 20 फरवरी 1978 में जस्टिस शाह कमीशन के कार्यवाई पूरा भईल| लेकिन एह तरकस में एगो अउरी चीज निकल के आइल| फरवरी 1978 में आँध्रप्रदेश अउरी कर्नाटक में विधानसभा के चुनाव भईल| पार्टी के अंदर आतंरिक कलह के चलते लगभग एक महिना बनल इंदिरा गाँधी के पार्टी कांग्रेस आई के एह चुनाव में जीत मिलल| कांग्रेस के नया चुनाव चिन्ह हाथ के पंजा के इ पहिला जीत रहे जवन बहुत हौसला अफजाई कईलस| एह समय तक जनता पार्टी के लगभग एक साल से ज्यादा बीत चुकल रहल रहे| लेकिन खाली परिवर्तन के नाम प बनल इ सरकार कुछ ख़ास ना कर पवलस जवना खातिर जनता चुनले रहे|

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एह सरकार में भी उहे भईल जवन कांग्रेस के समय होत रहे| महंगाई बढ़ल, भ्रष्टाचार बढ़ल अउरी अपराध के घटना बढे लागल रहे| अब सवाल उठल बा कि जयप्रकाश नारायण जी के का भूमिका रहे एह सब प? चुकी एही सब के खिलाफ उहाँ के कांग्रेस के विरुद्ध बिगुल फुकले रही| ओह घरी के वरिष्ठ पत्रकार रहले कुलदीप नैयर जयप्रकाश नारायण जी के इंटरव्यू लेले रहले| ओह इंटरव्यू से एगो निष्कर्ष इ निकलल कि जनता पार्टी के बनला के बाद जयप्रकाश नारायण जी के हाल उहे हो गईल रहे जवन आजादी के बाद महात्मा गाँधी के हो गईल रहे| मतलब इ कवनो ख़ास अहमियत ना बाच गईल रहे| गाँधी जी के समय अकडू स्वाभाव के नेहरु जी रहले आ जयप्रकाश नारायण जी के समय मोरारजी देसाई जी रहले| इ दुनो आदमी के सामने क्रमशः गाँधी जी अउरी जयप्रकाश नारायण जी के तनिक ना चलल| मोरारजी देसाई सिधांत के पक्का जरूर रहले लेकिन अपना आगे कोई के ना सुनत रहन| लेकिन एगो चीज उहाँ के भुलात रही कि उहाँ के प्रधानमंत्री होखला के नाते जिम्मेदारी उहाँ के जिद्द से ज्यादा जरूरी रहे| इहे गलती के परिणाम इ हो रहे कि इंदिरा गाँधी लहे-लहे मंजबूत होखत चलल चल गईली अउरी जनता सरकार कमजोर होत चल गईल|

हालाँकि जनता पार्टी कमजोर होखे के शुरुआत त तबे शुरू हो गईल रहे जवना घरी प्रधानमंत्री चुने के जंग चलत रहे| जवना में जयप्रकाश नारायण जी के निहोरा प चौ. चरण सिंह अउरी बाबु जगजीवन राम के जगह मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री बनावल गईल रहे| बाकी के जवन कसर रहे उ मोरारजी देसाई के जिद्द अउरी अकड़पन पूरा कर देले रहले| आपसी द्वंद शुरू से चलत रहे| मोरारजी देसाई अउरी चौ. चरण सिंह जे एके साथे मिलके इंदिरा गाँधी के आपातकाल के विरोध लड़ाई लड़ले रहे उ अब अपना कुर्सी प्रेम के चलते आपसी लड़ाई शुरू कर देले रहे| चौ. चरण सिंह के एह बात के मलाल रहे कि उ लगभग लाखन वोट से जीत के आइल रहले जबकी मोरारजी देसाई कुछ हजार वोट से जीतल रहले| एकरा बावजूद उनका के प्रधानमंत्री बना देवल गईल| मोरारजी देसाई प निशाना साधे खातिर चौ. चरण सिंह उनकर बेटा कांति देसाई प लागल भ्रष्टाचार के आरोपन के हाईलाइट करे के कोशिश कईले| इहाँ तक कि चौ. चरण सिंह प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के चिठ्ठी लिखके अपना बेटा प लागल आरोपन प कार्यवाई करे के निहोरा कईले|

एह चिठ्ठी से मोरारजी देसाई भड़क गईले| एह चिठ्ठी के द्वेष में मोरारजी देसाई चौ. चरण सिंह से गृह मंत्रालय वापस लेवे के सोचे लगले| मोरारजी देसाई कैबिनेट के मीटिंग में एह बात के उठईले| लेकिन ओह मीटिंग में मौजूद बाकी के नेतागण जईसे बीजू पटनायक आदि उनका के इहे समझवले कि चौ. चरण सिंह जे एक समय प्रधानमंत्री के प्रबल दावेदार रहे ओकरा के अइसे अपमानित कईल सही नइखे| एह दुनो नेतान के बीचे खाली एह बात के ही कड़वाहट ना रहे| बल्कि निर्णय के लेके भी आपसी असहमति रहे| उदाहरन के रूप में चौ. चरण सिंह चाहत रहन कि इंदिरा गाँधी के खिलाफ लागल आरोप प जल्दी से कार्यवाई करे खातिर विशेष आदालत के गठन कईल जाव लेकिन एह बात प मोरारजी देसाई सहमत ना रहन| हालाँकि अगर देखल जाव त चौ. चरण सिंह बदला अउरी व्यक्तिगत द्वेष प उतर गईल अर्हन| अगर मोरारजी देसाई के बेटा प भ्रष्टाचार के आरोप रहे भी त ओकरा के तरीका से बात कईल जा सकत रहे| दूसरा बात इ कि इंदिरा गाँधी के जनता जवाब त वोट के माध्यम से देहि चुकल रहे| एह से विशेष आदालत के कवनो मतलब ना बनत रहे| जरूरी इ रहे कि जनता जवना खातिर जनता पार्टी के चुनले रहे ओह प पार्टी के खरा उतरल चाहत रहे|

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आपसी मेल ना होखला के चलते चौ. चरण सिंह के दिमाग घूमी गईल अउरी अंट संट बहरी बयान देवे लगले| मौका के इन्तजार में बईठल रहले मोरारजी देसाई, चौ. चरण सिंह के खिलाफ कार्यवाई करके कैबिनेट से बाहर करे के मौका मिल गईल| ठीक अगिले दिन मोरारजी देसाई अपना घरे एगो अनौपचारिक मीटिंग अपना घरे बोलवले आ फिर से उनका के बाहर करे के निहोरा कईले| एह मीटिंग में ना सिर्फ चरण सिंह बल्कि राजनारायण के भी छुट्टी करे के प्रस्ताव रखल गईल| इ उहे राजनारायण जे इंदिरा गाँधी के हरवले रहे, इहों के मोरारजी देसाई के विरोधी रही अउरी चौ. चरण सिंह के करीबी रहले| कैबिनेट में निकाले के सहमती बनल| राजनारायण अउरी चौ. चरण सिंह कैबिनेट से इस्तीफा दे दिहले रहन| जनता पार्टी के द्वंद अब रोड प आ चुकल रहे| कांग्रेस पार्टी के सुकून के पल लौट के आवे लागल रहे| इ द्वंद इंदिरा गाँधी अउरी संजय गाँधी दुनो आदमी के खूब निक लागत रहे| चौ. चरण सिंह अउरी राजनारायण के रूप में दुगो मोहरा कांग्रेस के मिल चुकल रहे जवन जनता पार्टी में सेंध लगा सकत रहे|

परिणाम इ भईल कि संजय गाँधी के राजनारायण से करीबी बढ़त चलल चल गईल| इ राजनीती के एगो पहलु ह जवन समय के साथे बदलेला| के जानत रहे कि जे आदमी राजनितिक दंगल में संजय के गाँधी के माई इंदिरा गाँधी के हरवले रहे उहे एक दिन उनका बेटा के साथे बईठ के चाय प चर्चा करी| लेकिन राजनीती में सबकुछ संभव बा| राजनारायण धीरे धीरे जनता पार्टी के सारा राज संजय गाँधी के बता दिहले| संजय गाँधी धीरे-धीरे राजनारायण के भड़कावे शुरू कईले| दूसरा दने संजय गाँधी, इंदिरा गाँधी के साथे मिलके मोरारजी सरकार के गिरावे के योजना बनावे लगले| तीनों लोग संजय गाँधी, इंदिरा गाँधी अउरी राजनारायण मिलके एगो थ्रस्ट बनावे के कोशिश में लाग गईल| चुकी कांग्रेस के योजना इ रहे कि जनता पार्टी के कुछ नेता लोगन के तुर के कुछ लेफ्ट अउरी बाकी के क्षेत्रीय पार्टी से समर्थन लेके जनता सरकार के गिरा देवल जाव| कांग्रेस एह बात के बहुत बढ़िया से समझत रहे कि चौ. चरण सिंह, मोरारजी देसाई के मुकाबले ज्यादा खतरनाक साबित हो सकत रहन| लेकिन रिस्क त लेवला के अलावां कांग्रेस के लगे कवनो अउरी विकल्प ना रहे|

विडंबना देखी कि इहे चौ. चरण सिंह एक दिन इंदिरा गाँधी के खिलाफ विशेष कोर्ट बनावे खातिर मोरारजी देसाई से लड़त रहन| बाद में ओही चौ. चरण सिंह के कांग्रेस समर्थन देवे के खातिर आगे बढे लागल रहे| राजनीती के इहो एगो मजेदार पहलु ह| एही से कहल बा कि राजनीती के फैसला कबो सही गलत ना होखेला बल्कि खाली मकसद पूरा करे खातिर होला| चौ. चरण सिंह के लगे ज्यादा से ज्यादा 30 से 35 सांसद ही रहन जवन जनता पार्टी से अलग हो सकत रहन| इ बात कांग्रेस भी अच्छा ले जानत रहे अउरी चौ. चरण सिंह भी| एही से चौ. चरण सिंह जनता पार्टी छोड़े से हिचकिचात रहन| लेकिन कांग्रेस फिर भी कोशिश में रहे कि कम से कम 30 से 35 सांसद बहरी आ भी जात बाड़े त निश्चित रूप से जनता सरकार बहुत कमजोर हो जाई जवन कांग्रेस के मजबूत बनाईत| राजनारायण जाके संजय गाँधी के समझईले कि चौ. चरण सिंह जनता पार्टी छोड़ के गठबंधन ना करिहे काहे कि उहाँ के ज्योतिषी एकर सलाह नइखन देत| जब संजय गाँधी के मालूम चलल कि चौ. चरण सिंह ज्योतिष के ज्यादा मानेले तब उहाँ के आपन ख़ास दोस्त कमलनाथ के भेजवा के ओह ज्योतिष के ख़रीदे के कोशिश कईनी जवना से आपन मन मुताबिक बात कहवा सकस|

हालाँकि ज्योतिष पईसा प निर्णय देवे से इनकार कर देले जवना के परिणामस्वरूप संजय गाँधी के इ चाल नाकाम हो गईल| कुछ दिन बाद मोरारजी देसाई, चौ. चरण सिंह के उपप्रधानमंत्री बनाके अपना कैबिनेट में वापस लेवे के परल| एही बीचे इंदिरा गाँधी आपन बढ़त लोकप्रियता के फायदा उठईली| इंदिरा गाँधी कर्नाटक से लोकसभा के उपचुनाव जीत के संसद पहुँच गईली| संसद के प्रिविलेज समिति उ रिपोर्ट पेश कईलस जवना में इंदिरा गाँधी के एह बात के दोषी पावल गईल कि उहाँ के प्रधानमंत्री रहते अपना पद के गलत इस्तेमाल कईले रहली| एकरा अलावां आरोप इहो लागल कि उहाँ के अपना कार्यकाल में संजय गाँधी के मारुती कंपनी प उठल सवाल के छान-बीन करे वाला अफसरन के परेशान कईल गईल रहे| एह बात प जनता पार्टी इंदिरा गाँधी के संसद सदस्यता ख़त्म करे अउरी जेल भेजे के प्रस्ताव पास कईलस| एकरा चलते श्रीमती गाँधी के दिल्ली के तिहाड़ जेल में एक हप्ता रहे के परल| ओही घरी शाह कमीशन के रिपोर्ट भी आ गईल रहे जवन इंदिरा गाँधी के दोषी ठहरईलस| एह रिपोर्ट में कहल गईल कि इंदिरा गाँधी प कार्यवाई करे खातिर पर्याप्त सबुत मौजूद बा|

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हालाँकि कुछ गंभीर आरोप इंदिरा गाँधी पर लगावल गईल रहे| लेकिन ओह में कुछ एक आरोप बिना गोड-मुड़ी के रहे| जनता सरकार कुल 8 समिति के गठन कईले रहे जवन अलग-अलग मामला में इंदिरा गाँधी के खिलाफ इमरजेंसी के दौरान भईल घटना के जांच करत रहे| ओह में एगो तृष्णा समिति के रिपोर्ट में इंदिरा गाँधी प चार मुर्गा अउरी दू गो अंडा के चोरी के आरोप लगवले रहे| इहे ना बल्कि एकरा खातिर गैरजमानती वारंट भी जारी करवा देले रहे| एह सब से लोगन के लागल कि नया बनल जनता पार्टी खाली इंदिरा गाँधी से बदला लेवे खातिर पीछा पडल बिया ओकरा जनता के फिकिर कम बा| इ नकारात्मक बात सामने जरूर आइल| खैर कुछ अच्छा काम भी जनता पार्टी में भईल जवना में संविधान के 44वां संसोधन करके कवनो सरकार खातिर आपातकाल लगावल बहुत मुश्किल कर देलस| अधिक से अधिक तीन साल के सीमा तय भईल अउरी सशस्त्र विरोध के स्तिथि में ही लागावे के प्रावधान कईल गईल| घोषणा के 1 महिना के अन्दर संसद के दुनो सदन में अनुमोदन कईल अनिवार्य कर देवल गईल|

गरमाइल राजनीती में हनुमान के भूमिका निभावत रहले राजनारायण एकबे फिर संजय गाँधी के करीब गईले अउरी मानसून सत्र शुरू में सरकार गिरावे के पप्रयास शुरू कईले| चुकी संजय गाँधी प लागल आरोप प निर्णय आ गईल रहे अउरी उनका के दू साल के सजा भईल लेकिन जमानत अगिले दिन मिल गईल| ओकरा बाद राजनारायण लंकादहन के काम शुरू कईले| मानसून सत्र शुरू होखते विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व करत रहले यशवंत राव चौहान, मोरारजी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कईले| एकरा बाद चरण सिंह अउरी उनकर सहयोगी स्तीफा देवे शुरू कईले| जनता पार्टी के ज्यादातर लोग मोरारजी प स्तीफा देवे के दबाव बनावे लगले| मोरारजी देसाई ना मनले| परिणाम इ भईल कि सांसद के बाद धीरे-धीरे मंत्री लोग भी स्तीफा देवे कईलस| मोरारजी देसाई खातिर सबसे ज्यादा पीड़ादायक पल तब आइल जब उहाँ के सबसे भरोसामंद नेता जोर्ज फर्नांडिस अविश्वास मत के वोटिंग के ठीक एक दिन पाहिले स्तीफा दे दिहले| उपप्रधानमंत्री रहले बाबु जगजीवन राम, मोरारजी देसाई के अल्टीमेटम दे दिहले कि उहाँ के वोटिंग से ठीक पाहिले जदी प्रधानमंत्री पद से स्तीफा ना दिहे त उहो कैबिनेट छोड़ दिहे| मोरारजी देसाई के झुके के परल अउरी वोटिंग से ठीक पाहिले स्तीफा देवे के परल|

बाद में इंदिरा गाँधी के समर्थन से चौ. चरण सिंह प्रधानमंत्री बनले जरूर लेकिन सिर्फ 23 खातिर ही बनले| इंदिरा गाँधी अउरी संजय गाँधी के काम पूरा हो चुकल रहे| जनता पार्टी तुरके पर्याप्त खेले खातिर ग्राउंड मिल गईल| अब समय आइल अटैक करे खातिर| एही बीचे कांग्रेस मात्र 23 दिन के भीतर समर्थन खीच के चुनाव के घोषणा कर देलस| सिर्फ तीन साल के अंदर इमरजेंसी से खफा भईल जनता कांग्रेस के हाथे दोबारा सत्ता के चाभी थमा देलस| इंदिरा गांधी के जीत कांग्रेस के दूगो मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टियन के सूपड़ा साफ कर देलस| राष्ट्रीय पार्टी के मान्यता खातिर 54 सीट भी जनता दल अउरी लोक दल के नसीब ना भईल| परिणामस्वरूप 1980 के 7वां लोकसभा के कुल सीट 529 में इंडियन नेशनल कांग्रेस (आई) के 353 अउरी जनता पार्टी(सेकुलर) के 41 आ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(मार्क्सवादी) के 37 सीट मिलल|   कांग्रेस संसद में चरण सिंह के समर्थन करे के वादा कईले जरूर रहे, लेकिन बाद में पीछे हट गईल| उहाँ के अकेला अईसन प्रधानमंत्री रहनी, जे कबो संसद ना गईल| एह तरह से जनता पार्टी के विघटन के मदद से कांग्रेस के वापसी भईल|

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